Thursday, May 23, 2013

तुलसी एनकाउंटर: क्या अशोक गहलोत को थी जानकारी!

सोहराबुद्दीन फर्जी एनकाउंटर केस में एक और नया नाम उभरकर सामने आया है। ये नाम है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है किे अशोक गहलोत ने उदयपुर के तत्कालीन आईजी को एक सीलबंद लिफाफे में खत भेजा था। जिसमें तुलसी प्रजापति के अपहरण से लेकर मुठभेड़ होने का शक तुलसी के परिवार की तरफ से जताया गया था। ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या गहलोत को इस मुठभेड़ की जानकारी थी?
अगर सीबीआई की माने तो अशोक गहलोत को जानकारी थी। सीबीआई ने अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में यह दावा किया है कि उदयपुर के तत्कालीन आईजी पुलिस वी के गोदिका अपने रिटायरमेंट के बाद अपने सरकारी आवास में रह रहे थे। उनके रिटायरमेंट के एक दो हफ्ते बाद उन्हें सील बंद लिफाफे में एक खत मिला।
तुलसी एनकाउंटर: क्या अशोक गहलोत को थी जानकारी!
चार्जशीट में सीबीआई ने दावा किया है कि ये खत कांग्रेस के नेता और विधायक अशोक गहलोत ने आगे बढ़ाया था। सीबीआई के मुताबिक खत में लिखा गया था कि तुलसी राम प्रजापति को पुलिस ने उठा लिया है। और उसके परिवार वालों ने शक जताया है कि उसको मुठभेड़ मार गिराया जाएगा। मतलब साफ है कि तुलसी राम प्रजापति की जान को खतरा था और इस बात का इल्म अशोक गहलोत को भी था।
तुलसी मुठभेड़ मैं उसकी हत्या भी फिल्मी अंदाज से ही होती है। इसलिए क्योंकि इसकी हत्या की स्क्रिप्ट एक साल पहले ही लिखी गई थी जब सोहराब को मुठभेड़ में मार गिराया गया था। तुलसी ने कई बार अपने परिवार के सदस्यों, जेल अधिकारीयों और कोर्ट को भी इस मामले की जानकारी खत के जरिए दी थी।
तुलसीराम ने ये आशंका जाहिर की थी उसे कभी भी मारा जा सकता है। और उसका शक सही भी साबित हुआ। जिस तरह से उसने अपनी मौत की कहानी बताई थी, मारने वालों ने भी उसे उसी अंदाज में मार गिराया। गोदिका ने खत को पढ़ने के बाद उस पर एक नोट लिखा और उसके बाद उसे राजीव दासौत को भेज दिया। नोट में उन्होंने जरूरी कार्रवाई की बात लिखी थी। अगर उस खत पर कार्रवाई की गई होती तो शायद आज तुलसी प्रजापति जिंदा होता।

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