Tuesday, May 28, 2013

प्रेस कॉन्फ्रेंस में धोनी ने नहीं दिया सवालों का जवाब!

आईपीएल में हुई फिक्सिंग का बबाल थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। बीसीसीआई चीफ एन श्रीनिवासन इस्तीफा न देने पर अड़े है। वहीं नेताओं से लेकर क्रिकेट खिलाड़ियों तक कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। क्रिकेट में फिक्सिंग कांड के बाद पहली बार भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कैमरों के सामने आए और उन्होंने फिक्सिंग के बारे में पूछे गए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। चुप्पी साधे रहे, मुस्कुराते रहे। देखिए सवालों से घिरे धोनी की बेबसी, मजबूरी और चुप्पी पर हमारी विशेष रिपोर्ट।
चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक गुरुनाथ मयप्पन की गिरफ्तारी के बावजूद उसी टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी उस बारे में बात नहीं कर सकते, उस बारे में सवालों के जवाब नहीं दे सकते, भारतीय क्रिकेट अपने सबसे बड़े साख के संकट से दोचार है फिर भी उन्हें मुंह पर पट्टी बांध कर रखनी चाहिए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में धोनी ने नहीं दिया सवालों का जवाब!
पहला सवाल- आईपीएल के मैचों में फिक्सिंग के आरोपों पर था। लेकिन धोनी से सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। जब धोनी से भारतीय क्रिकेट टीम के बुरे दौर पर सवाल पूछा गया कि टीम के कप्तान के तौर पर धोनी क्या सोचते हैं। लेकिन धोनी ने इस सवाल का जवाब भी नहीं दिया। बस मुस्कराते रहे।
तीसरा सवाल- सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तार विंदू दारा सिंह से धोनी के रिश्ते पर था। धोनी की पत्नी साक्षी विंदू के साथ मैच में मैदान पर देखी गईं थीं। धोनी से जब पूछा गया कि क्या धोनी विंदू दारा सिंह को जानते थे। जवाब में धोनी बरबस मुस्कुरा उठे।
चौथा सवाल- चैंपियंस ट्रॉफी के लिए धोनी जा रहे हैं। देश की जनता क्रिकेट प्रेमी है। ऐसे में क्या धोनी ये भरोसा दे सकेंगे कि अब क्रिकेट को ऐसी शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ेगी, इस सवाल के जवाब में भी धोनी की शांति था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में धोनी मौनी के अवतार में नजर आ रहे थे। आजतक भारत के इस बेहद तेजतर्रार कप्तान को ऐसी मुद्रा में कभी नहीं देखा गया है। किसी भी प्रेस कान्फ्रेंस में धोनी यूं लाजवाब नजर नहीं आए हैं। उनके पास सवालों के जवाब रहते हैं और वो क्रिकेट को नया विचार और नया रास्ता देने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन यहां बात मैच फिक्सिंग जैसे संगीन आरोपों से घिरे खिलाड़ियों की थी, यहां बात सट्टेबाजी के इल्जामों में गिरफ्तार उनकी आईपीएल टीम के मालिक गुरुनाथ मयप्पन की थी, यहां बात अपने दामाद की हरकतों के चलते इस्तीफे की मांग से घिरे बीसीसीआई चीफ एन श्रीनिवासन की थी।
धोनी का बचाव करते हुए बीसीसीआई के मीडिया मैनेजर रेफरी की तरह मैदान में उतर कर ये तय करते नजर आए कि सिर्फ और सिर्फ चैंपियंस ट्रॉफी के बारे में ही सवाल पूछे जाएं। जाहिर है बीसीसीआई का अघोषित गैग ऑर्डर लागू था, आदेश शायद शीशे की तरह साफ था कि खबरदार फिक्सिंग, सट्टेबाजी, श्रीनिवासन, मयप्पन, पैसे, खरीद फरोख्त और ईमान के बिकने जैसे शब्दों को सुन कर भी अनसुना कर दिया जाए। और शायद इसीलिए 16 मई से आईपीएल में फिक्सिंग की खबर आने के बाद धोनी लगातार मीडिया से बचते नजर आ रहे थे। यहां तक की धोनी आईपीएल फाइनल के पहले के दो मैचों और फाइनल मैच की प्रेस कॉन्फेंस से भी नदारद रहे।
ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं- पिछले दो हफ्ते भारतीय क्रिकेट के लिए काले हफ्ते रहे हैं, भारतीय कप्तान को सामने आ कर भारतीय क्रिकेट के इस दौर से निकलने की कामना करनी चाहिए थी, भरोसा देना चाहिए था कि अब क्रिकेट में बेईमानी की कोई जगह नहीं होगी। क्या बीसीसीआई को नहीं लगा कि ऐसा बयान दिलवा कर गिरती साख को थामा जा सकता था? क्या बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन का डर धोनी ही नहीं टीम कोच के सिर पर चढ़ कर बोल रहा है? और इसीलिए धोनी ने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।

No comments:

Post a Comment