स्पॉट फिक्सिंग विवाद में दामाद पर आरोप
लगने के बाद से श्रीनिवासन से इस्तीफे की मांग की जा रही थी। लेकिन अब तक
इस्तीफे की मांग की अनदेखी करने वाले श्रीनिवासन की असल मुश्किलें अब शुरू
हुई हैं। एक अखबार ने दावा किया है कि श्रीनिवासन बोर्ड में अलग-थलग पड़ने
लगे हैं और अब बोर्ड के ज्यादातर सदस्य उनके इस्तीफे के हक में हैं। ऐसे
में नौबत वोटिंग की आ सकती है। अखबार के मुताबिक ऐसा हुआ तो श्रीनिवासन की
विदाई तय है। बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष ने तो श्रीनिवासन का इस्तीफा नहीं
मिलने की सूरत में खुद पद छोड़ने तक की धमकी दे दी है।
कहते
हैं वक्त कभी एक सा नहीं रहता और जब वक्त बदलता है तो बड़े-बड़ों के दिन
फिरते देर नहीं लगते कुछ ऐसी ही हो रहा है अब बीसीसीआई प्रमुख एन
श्रीनिवासन के साथ। राजनीति में अगर एक हफ्ता लंबा वक्त है तो क्रिकेट
पॉलिटिक्स के लिए 5 दिन भी जीवन के बराबर है। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के
मामले के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया
है। बीते रविवार को बोर्ड का सर्वसम्मत समर्थन होने का दावा करने वाले
श्रीनिवासन शायद अब अपनी बात को नहीं दोहरा सकते।
एक
अंग्रेजी अखबार की माने तो अब बोर्ड के कोषाध्यक्ष अजय शिर्के ने ही अपने
अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अखबार के मुताबिक शिर्के ने कहा है
कि मैं कुछ दिन और इंतजार कर रहा हूं। अगर श्रीनिवासन ने अपना पद नहीं
छोड़ा तो मैं इस्तीफे पर विचार नहीं करूंगा, बल्कि अपना पद छोड़ दूंगा।
साफ
है, महज पांच दिन में ही गणित श्रीनिवासन के खिलाफ हो चुका है। एक
अंग्रेजी अखबार की माने तो बोर्ड में बहुमत अब श्रीनिवासन के साथ नहीं रहा।
शिर्के का बयान श्रीनिवासन विरोधी गुट के मजबूत होने की बानगी है। शायद
यही वजह है कि श्रीनिवासन के शुरुआती बयान के बाद चुप रहने वाले बीसीसीआई
के अधिकारी एक-एक कर उनके खिलाफ बयान देने लगे हैं।
शिर्के
ने अखबार से कहा कि बारीकी से गौर करें तो श्रीनिवासन को बोर्ड को
इमरजेंसी मीटिंग बुलाना चाहिए। लेकिन वह ऐसा तब भी नहीं कर रहे जब भारतीय
क्रिकेट बुरे दौर से गुजर रहा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने
तो श्रीनिवासन के पद नहीं छोड़ने की हालत में सरकार से बीसीसीआई को ही भंग
करने की सलाह दी है। सिन्हा के मुताबिक सरकार को बीसीसीआई को भंग कर
प्रशासक नियुक्त करना चाहिए।
आईपीएल
के एक सीजन की गड़बड़ियों की जांच यशवंत सिन्हा की कमेटी ने की थी। सिन्हा
का दावा है कि उन्हें जो रिपोर्ट दी गई थी उस समय श्रीनिवासन खुद बीसीसीआई
के सचिव थे। सिन्हा के मुताबिक तब श्रीनिवासन ने माना था कि आईपीएल में
भारी गड़बड़ियां हुईं, लेकिन इसके बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।
कुछ
दिन पहले तक श्रीनिवासन के बयानों पर किसी तरह का प्रतिक्रिया देने से
बचने वाले बोर्ड के अधिकारी भी अब बोलने लगे हैं। बोर्ड के अधिकारियों का
बदला रवैया बहुत कुछ कहता है। अखबार के मुताबिक श्रीनिवासन ने बोर्ड में
बहुमत खो दिया है। वोट की हालत में कम से कम 18 वोट उनके खिलाफ जा सकते
हैं, जबकि उनके पक्ष में महज 6 वोट जा सकता है
इन 6 वोट में दो वोट खुद उनका होगा। एक तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष होने की वजह से मिलने वाला वोट
और दूसरा बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष।
ऐसा
होने पर 7 वोट ऐसे भी होंगे जो इस पूरी प्रक्रिया से ही बचना चाहेंगे।
लेकिन वो हालात देखकर अपना रास्ता बदल भी सकते हैं और बहुमत की ओर जा सकते
हैं। अगर इसमें से 6 वोट भी श्रीनिवासन के खिलाफ जाने का मन बना लेते हैं
तो अध्यक्ष के खिलाफ वोटों का पूरा आंकड़ा बढ़कर 24 हो जाएगा। ऐसे में
तीन-चौथाई का बहुमत श्रीनिवासन के खिलाफ हो जाएगा और वो हार जाएंगे। ये 7
वोट ही ऐसे में अहम किरदार निभाएंगे। अगर ये आंकड़े सही हैं तो बीसीसीआई
में श्रीनिवासन के दिन अब घंटों में ही बचे हैं।
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