Sunday, May 26, 2013

‘ऑनलाइन बैंकिंग’ तो नहीं करते, लग सकती है चपत!

ऑनलाइन बैंकिंग सहूलियत का एक जरिया तो है, लेकिन बैंक और इसके कंज्यूमर अगर थोड़ी सी भी लापरवाही करते हैं तो ये ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों के लिए आपका अकाउंट खाली करने का एक बढ़िया तरीका भी बन सकता है। नोएडा के उद्यमी सुरिंदर बजाज के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इनकी कंपनी के कैश क्रेडिट अकाउंट से चंद मिनटों में करीब 10 लाख रुपये गायब हो गए।
नोएडा में अपना इंडस्ट्रियल यूनिट चलाने वाले सुरिंदर बजाज पिछले कई सालों से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के कस्टमर हैं और इनकी कंपनी का अकाउंट भी इसी बैंक में है। कई सालों से इस बैंक के साथ बिजनेस करने वाले सुरिंदर के साथ 7 मई को जो हादसा हुआ इसके बारे में इन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।
‘ऑनलाइन बैंकिंग’ तो नहीं करते, लग सकती है चपत!
सुरिंदर बजाज को ईमेल के जरिए उनसे डीटेल मांगे गए ताकि उनका अकाउंट अपग्रेड किया जा सके। अपग्रेड जरिए का अकाउंट अपग्रेड होने के बजाय हैक हो चुका था और उनमें से 10 लाख रुपये जा चुके थे। 10 लाख रुपये में से 3 लाख रुपये आईसीआईसीआई बैंक और 7 लाख रुपये इंडसइंड बैंक के अकाउंट में ट्रांसफर किए गए थे।
सुरिंदर के मुताबिक कि समय रहते अगर सेंट्रल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और इंडसइंड बैंक कदम उठा लेते तो शायद ट्रांसफर हुई रकम को गलत हाथ में जाने से बचाया जा सकता था। लेकिन इन तीनों बैंकों का रवैया निराशाजनक रहा। एक हैरतअंगेज बात ये भी है कि सुरिंदर की कंपनी के कैश क्रेडिट अकाउंट से जब रकम निकली गई, तब इन्हें पता चला कि इस अकाउंट में ऑनलाइन बैंकिंग की सुविधा है। लेकिन इसकी जानकारी बैंक ने इन्हें किसी भी माध्यम से नहीं दी थी।
सुरिंदर बजाज के मुताबिक अभी तक बैंक ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है जिससे लगे कि इनके अकाउंट से गायब हुई रकम इनको वापस मिल सकेगी। बैंक बस सांत्वना दे रहा है और बता रहा है कि पुलिस के पास एफआईआर कर दी गई है। अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। लेकिन इस मामले में बैंकों के रवैये से ना सिर्फ उनके एंटी कंज्यूमर होने की बात साबित होती है, बल्कि ये भी दिखता है कि सिस्टम में बढ़ते रिस्क के मद्देनजर बैंक अपने आप को तैयार नहीं रख रहे हैं।

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