Wednesday, May 29, 2013

सरेंडर कर चुके नक्सलियों को नहीं मिला पॉलिसी का लाभ

नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की झारखण्ड सरकार की योजना की पोल खुलनी शुरू हो गई है। इस योजना के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को शानदार पैकेज और उनके परिजनों को नौकरी देने की बात कही गई थी, लेकिन इस कागजी योजना का हश्र भी दूसरी अन्य सरकारी योजनाओं की ही तरह ही दिख रही है। आंकड़ों की माने तो इस योजना के तहत अब तक तकरीबन तीन दर्जन से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। लेकिन ज्यादातर को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। रांची में एक पूर्व महिला नक्सली ने इस बाबत प्रशासन से गुहार लगाई है।
रश्मि नाम की ये पूर्व महिला नक्सली कभी कुख्यात कुंदन पाहन की गैंग की खास शूटर हुआ करती थी। इस पूर्व महिला नक्सली का आतंक रांची समेत खूंटी और जमशेदपुर जिले में था। लेकिन 2011 में राज्य सरकार की नई सरेंडर नीति से प्रभावित होकर इसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करना ही उचित समझा। आत्मसमर्पण के बाद सरकार ने रश्मि को ढाई लाख रुपए नकद, घर बनाने के लिए जमीन और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया। लेकिन रश्मि का दावा है कि उसे महज डेढ़ लाख रुपये दिए गए।
सरेंडर कर चुके नक्सलियों को नहीं मिला पॉलिसी का लाभ
शायद यही वजह है कि उसे पुनर्वास योजना का पूरा लाभ नहीं मिला। तभी तो रश्मि आज मजदूरी करने को मजबूर है। लिहाजा अपना और अपने तीन साल के बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित रश्मि ने अब रांची पुलिस से मदद की गुहार लगाईं है। पूर्व महिला नक्सली रश्मि देवी का कहना है कि मैं मजदूरी करूंगी। ये अच्छा नहीं है। बच्चे का भविष्य को लेकर चिंतित हैं। देखते हैं कब तक होगा।
रश्मि ने आत्मसमर्पण के बाद कई अहम खुलासे किए थे। जिससे झारखंड पुलिस को कई बड़ी सफलता हाथ लगी थी। अब रश्मि पूछती हैं कि जो सब्जबाग दिखाकर उन्हें सरेंडर कराया गया था, उससे सरकार पीछे क्यों हट रही है। उधर रांची पुलिस की माने तो इसमें सरकार या प्रशासन की तरफ से कोई अनदेखी नहीं की जा रही है। सरेंडर करने वाले नक्सलियों को आजिविका की समस्या न हो, इसके लिए उनकी कोशिशें जारी हैं।
रांची के एसएसपी साकेत सिंह का कहना है कि जो नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं, हमारी कोशिश होती है कि ऐसे लोगों को रहने और जीविका की कोई प्रॉब्लम न हो।
बहरहाल गुमराह नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा में लाने की सरकार की पहल तो सराहनीय है, लेकिन इसके लिए सिर्फ योजना बना कर ही सब कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। जरूरत है इस योजना को सही रूप से जमीनी स्तर पर लागू करने की। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका फायदा मिल सके।

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