Wednesday, May 29, 2013

जेल में जन्मे बेटे ने दिलाई 19 साल बाद मां को रिहाई

हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी महिला की दास्तां जो सिर्फ पांच हजार रुपये न होने की वजह से 19 साल जेल में सड़ती रही। जेल में ही उसने अपने बेटे को जन्म दिया, उसी बेटे ने 19 साल बाद पैसे जुटाकर मां की जमानत कराई। आज वो मां जेल की काल कोठरी से बाहर है, लेकिन इस कहानी ने हमारे समाज और सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
इस अभागन का नाम है विजय कुमारी। इसने 19 साल सलाखों के पीछे काटे हैं, जबकि सच तो ये है कि जेल जाने के ही महज एक साल बाद इसकी जमानत हो गई थी, लेकिन जिस पति को जमानत के पांच हजार रुपये बतौर मुचलका अदा करनी थी वो लौट कर आया ही नहीं, ससुराल वालों ने भी कोई सुध नहीं ली, ये किस्सा है 1993 का जब अलीगढ़ में अपने ससुराल रह रही विजय कुमारी पर एक बच्चे की हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ, ससुराल वालों की रंजिश पड़ोसियों से थी और इसी रंजिश के दौरान ही तालाब में एक बच्चे की लाश मिलने पर हत्या का आरोप विजय कुमारी पर आ गया, लोअर कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई, साल भर बाद 1994 में उसे जमानत मिल गई, लेकिन जमानत के पांच हजार का इंतजाम होता तब तक जेल में गुजर गए 19 साल।
जेल में जन्मे बेटे ने दिलाई 19 साल बाद मां को रिहाई
कहानी यहीं खत्म नहीं हुई, विजय कुमारी जब लखनऊ के नारी बंदी गृह भेजी गई उस वक्त गर्भवती थी। धीरे-धीरे पति ने भी जेल आना बंद कर दिया, न ससुराल से न मायके से सब रिश्तेदार साथ छोड़ गए, शायद सब उससे नाता तोड़ चुके थे। जेल में कैद इस महिला ने एक बेटे को जन्म दिया, क्योंकि बेटा जेल में पैदा हुआ लिहाजा साथी महिला कैदियों ने उसका नाम कन्हैया रखा, कन्हैया आठ साल का हुआ तो उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया, 18 साल का होने पर कन्हैया वकीलों के पास दौड़ लगाने लगा, कन्हैया ही शायद इस अभागन का सहारा था, जो पहले मां के साथ आठ साल जेल में रहा और करीब 10 साल बाल सुधार गृह में। लेकिन कन्हैया ने अपनी मां का आंचल नहीं छोड़ा, जब वकीलों के जरिए वो जज के सामने पहुंचा तो जज के हर सवाल के जवाब में उसके पास थे सिर्फ आंसू।
इलाहाबद हाईकोर्ट ने बच्चे के आंसू देखकर न सिर्फ पांच हजार रुपये की माफी दी बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार से एक महीने के भीतर ऐसे कैदियों का ब्यौरा मांगा है, जो जमानत के बावजूद जेल में बंद हैं सिर्फ इसलिये क्योंकि उसके पास या तो पैसे नहीं हैं या उनके अपनों ने उन्हें जेल में सड़ने के लिए छोड़ दिया है। विजय कुमारी की जिंदगी में दो लक्ष्य हैं, एक खुद पर बच्चे की हत्या का मुकदमा लड़ना और बेटे को अपने बाप का हक दिलाना।

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