जैसे आधार कार्ड आपकी पहचान है वैसे
ही अब आपकी प्रॉपर्टी का भी पहचान कार्ड बनेगा और ये कार्ड है यूपिक कार्ड
यानी यूनिक प्रॉपर्टी आइडेंटिफिकेशन कोड। इस यूपिक कार्ड के जरिए आपकी
प्रॉपर्टी का पूरा ब्यौरा सामने आ जाएगा। यूपिक 12 डिजिट का कोड होगा जो
आपकी प्रॉपर्टी की पहचान बनेगा। यूपिक सिस्टम में आपकी प्रापर्टी से जुड़ी
हर जानकारी होगी, मसलन प्रॉपर्टी किसके नाम पर है, क्या मेजरमेंट है, कितना
कवर एरिया है और एरिया के हिसाब से कितना प्रॉपर्टी टैक्स बनता है।
यूपिक
के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत उत्तरी दिल्ली से की जा रही है। उत्तरी
दिल्ली में करीब 12 लाख प्रॉपर्टी है और मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ 4
लाख प्रॉपर्टी से ही टैक्स मिलता है। यूपिक यानि की यूनिक प्रॉपर्टी
आइडेंटिफिकेशन कोड के दायरे में कमर्शियल और रेजिडेंशियल दोनो तरह की
प्रॉपर्टी आएंगी। इसके लागू होने के बाद सबसे बड़ा फायदा नगर निगम को
प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने में होगा।
यूपिक
कार्ड के बाद प्रॉपर्टी टैक्स की चोरी रुकेगी और इसकी वसूली का सिस्टम
पारदर्शी हो जाएगा। यूपिक के जरिए म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के पास प्रॉपर्टी
का पूरा ऑनलाइन ब्यौरा रहेगा और ऑनलाइन सिस्टम के जरिए आपको ये भी पता चल
जाएगा कि आप पर कितना प्रापर्टी टैक्स बकाया है। कुल मिलाकर कहें तो नगर
निगम की पैनी नजर रहेगी आपकी प्रॉपर्टी पर।
पिछले
साल 2011-12 में उत्तरी नगर निगम ने 183 करोड़ रुपए प्रॉपर्टी टैक्स वसूला
था लेकिन प्रशासन को उम्मीद है कि यूपिक आ जाने के बाद ये रकम दोगुनी हो
जाएगी। फिलहाल यूपिक के पायलट प्रोजेक्ट पर 10 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा और
इस साल के आखिर तक इसे पूरी उत्तरी दिल्ली में लागू कर दिया जाएगा।
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