आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के सनसनीखेज़
मामले ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। आम आदमी से लेकर अभिनेता और राजनेता
सभी अपनी प्रतिक्रिया सामने रख रहे है, लेकिन खुद आईपीएल खेलने वाले
खिलाड़ियों ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। पहले कप्तान महेंद्र सिंह
धोनी और अब मास्टर ब्लास्टर कहलाने वाले सचिन तेंदुलकर ने भी इस विवाद पर
उठे सवालों को टाल दिया।
बोर्ड
में बैठे ज्योतिरादित्य सिंधिया इकलौते ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने
बीसीसीआई के प्रमुख एन श्रीनिवासन से इस्तीफा मांगने की हिम्मत दिखाई है।
उम्मीद की जा रही थी कि क्रिकेट की शान बढ़ाने वाले और आज के दिन इसकी
पहचान बन चुके खिलाड़ी ही शायद खेल को बचाने के लिए अब आगे आएं। लेकिन
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के मौनी बनने के बाद ऐसी उम्मीद भी खत्म होती
दिखने लगी। जिन लोगों को क्रिकेट के भगवान से थोड़ी बहुत उम्मीद थी, उन
उम्मीदों को भी झटका लग चुका है।
बुधवार
को मुंबई में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए सचिन तेंदुलकर को मीडिया ने
घेर लिया। हर कोई जेंटिलमैन गेम पर लग रही कालिख के बारे में उनकी राय
जानना चाहता था। लेकिन सचिन के सामने जब पत्रकारों के सवाल और न्यूज चैनलों
के माइक उछले तो सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
सचिन
विवादों से दूर रहने वाले खिलाड़ी रहे हैं। उनका हर कदम क्रिकेट को बचाने
और खेल की बेहतरी की दिशा में उठाया जाने वाला कदम माना जाता है। लेकिन आज
जब चंद क्रिकेटरों, अधिकारियों, सियासतदां और तानाशाहों की वजह से क्रिकेट
चक्रव्यूह में फंसा नजर आ रहा है तो सचिन से क्रिकेट के हक में आवाज उठाने
की उम्मीद थी। सचिन से ऐसी उम्मीद थी, तो इसकी वजह भी थी।
मुंबई
की टीम जब आईपीएल सीजन 6 की विजेता बनी तो सचिन का एक और सपना पूरा हुआ।
सचिन खुद इसे मान चुके हैं और ये भी कह चुके हैं कि वो लम्हा उनके लिए जश्न
और जीवन भर के लिए एक अच्छी याद देने वाला लम्हा था। लेकिन जब इस लम्हे को
जीने का वक्त आया और ट्रॉफी उठाने की बारी आई तो वो तब तक इसमें शामिल
नहीं हुए। जब तक कि श्रीनिवासन खिलाड़ियों के बीच मौजूद थे। इसकी वजह चाहे
जो भी रही हो लेकिन उस वक्त की तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं। इन्हीं
तस्वीरों से लोगों का भरोसा जगा और लगा कि जब श्रीनिवासन की तानाशाही की
चुनौती देने और उसकी गद्दी को हिलाने की जुर्रत कोई नहीं कर रहा हो तो सचिन
ही कुछ करेंगे। लेकिन सचिन ने क्रिकेट के प्रशंसकों को इस मामले में अब तक
निराश किया है।
ये
सच है कि सचिन न तो बीसीसीआई में अधिकारी हैं और न ही क्रिकेट की राजनीति
करने वाले। लेकिन उन्हें ये भी याद रखना चाहिए कि जिस देश में लोग क्रिकेट
को धर्म मानते हैं, उस देश के लोगों की नजर में वो इस क्रिकेट के भगवान
हैं। यही नहीं, सचिन जनता के प्रतिनिधि, राज्यसभा के सदस्य और क्रिकेट के
वर्ल्ड एम्बेस्डर भी हैं। उनकी टूटी एक चुप्पी से भारतीय क्रिकेट या आईपीएल
से टूटा लोगों का भरोसा फिर से लौट आएगा।
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