Tuesday, May 28, 2013

एन श्रीनिवासन के विरोध में आए सिंधियां, मांगा इस्तीफा

फिक्सिंग और सट्टेबाजी के आरोप में दामाद मयप्पन की गिरफ्तारी के बावजूद बीसीसीआई चीफ की कुर्सी नहीं छोड़ रहे हैं। एन श्रीनिवासन के खिलाफ पहली बार किसी बड़े नेता ने आवाज उठाई है। मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खुल कर उनके विरोध में आ गए हैं। बीसीसीआई की वित्तीय समिति के चेयरमैन सिंधिया ने साफ तौर पर श्रीनिवासन के इस्तीफे की मांग की है। लेकिन श्रीनिवासन ने इस मांग को खारिज कर दिया है।
बीसीसीआई के भीतर से श्रीनिवासन के इस्तीफे की पहली पुरजोर मांग उठी। बोर्ड की वित्तीय समिति के चेयरमैन और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ कह दिया कि अगर परिवार में कोई गड़बड़ी होती है तो परिवार का मुखिया ही जवाबदेह और जिम्मेदार होता है। सिंधिया ने अपनी बातें इशारों में ही नहीं कहीं। उन्होंने सीधा कहा कि अब श्रीनिवासन को पद पर नहीं बने रहना चाहिए।
एन श्रीनिवासन के विरोध में आए सिंधियां, मांगा इस्तीफा
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि श्रीनिवासन को जांच पूरी होने तक पद छोड़ देना चाहिए। अगर वो बेदाग साबित हों तो पद पर लौट आएं। मैं उनकी जगह होता तो इस्तीफा दे देता। ये मुद्दा जवाबदेही का ज्यादा है और ये जवाबदेही मानते हुए ही श्रीनिवासन को इस्तीफा दे देना चाहिए।
सिंधिया का ये बयान बीसीसीआई से जुड़े बाकि राजनेताओं के लिए साफ संदेश है। वो राजनेता जो अलग अलग वजहों से श्रीनिवासन पर चुप्पी साधे बैठे हैं। लेकिन ये बात कैसे भूली जाए कि खामोश नेताओं में कांग्रेस नेता और आईपीएल के चेयरमैन राजीव शुक्ला भी हैं। इतना ही नहीं बीजेपी के अरुण जेटली भी खामोशी ओढ़े बैठे हैं।
श्रीनिवासन के इस्तीफे के मुद्दे पर खामोश जेटली जानते हैं कि चुप रहने में ही उनका फायदा है। इसी साल 2 सितंबर को श्रीनिवासन का कार्यकाल खत्म हो रहा है। विवादों को देखते हुए उन्हें एक साल का एक्सटेंशन मिलना मुश्किल है। ऐसे में जेटली को स्वाभाविक तौर पर बीसीसीआई की गद्दी मिलती दिख रही है। जानकारों का ये भी मानना है कि जेटली 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे चुनाव में हार का जोखिम नहीं उठाना चाहते, इसीलिए भले ही श्रीनिवासन को पर कितने भी आरोप लग रहे हो चुप रहने में ही उनका फायदा है।
बीजेपी नेता कीर्ति आजाद का कहना है कि श्रीनिवासन से कोई कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि इनमें से हर कोई अध्यक्ष बनना चाहता है उन्हें लगता है कि अगर श्रीनिवासन के खिलाफ कुछ बोले तो उनके साथ आठ समर्थकों के वोट कट जाएंगे। आईपीएल में डांस ड्रामा सब है, मैदान के पीछे भी ड्रामा चल रहा था।
सियासत के शातिर खिलाड़ी आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला शुरू से ही श्रीनिवासन के खिलाफ खुलकर बोलने से बचते रहे। शुक्ला की चुप्पी का राज है कि बीसीसीआई प्रमुख श्रीनिवासन के इस्तीफे के बाद शुक्ला पर दबाव बढ़ जाएगा। आईपीएल में फिक्सिंग पर जवाबदेही और जिम्मेदार आईपीएल चेयरमैन के तौर पर सीधे राजीव शुक्ला ही बनती है, नैतिक आधार पर उनसे भी इस्तीफा मांगा जा सकता है।
जेटली और शुक्ला ही नहीं बोर्ड से जुड़े नरेंद्र मोदी, सीपी जोशी और फारुख अब्दुल्ला सरीखे दूसरे राजनेता भी श्रीनिवासन के इस्तीफे पर या तो चुप हैं या इस्तीफे की मांग के खिलाफ खिलाफ हैं।
सूत्रों की मानें तो दामाद गुरुनाथ मयप्पन की गिरफ्तारी के बाद श्रीनिवासन कुर्सी छोड़ने का मन बना चुके थे और आईपीएल फाइनल के बाद इस्तीफे का ऐलान करने वाले थे। लेकिन फाइनल से पहले कोलकाता में बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया की डिनर पार्टी के बाद उनका इरादा बदल गया। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के दौरान अरुण जेटली ने श्रीनिवासन के इस्तीफे का मुद्दा उठाया। लेकिन डालमिया ने श्रीनिवासन को इस्तीफा देने से रोक दिया।
सूत्रों के मुताबिक डालमिया ने कहा कि इस्तीफा मांगने वाले ज्यादातर लोग राजनेता हैं और बीसीसीआई के किसी भी पदाधिकारी ने उनके इस्तीफे की मांग नहीं की है। डालमिया ने श्रीनिवासन को ये भरोसा भी दिलाया कि घरेलू क्रिकेट संघों का बहुमत उनके साथ है।
मौजूद समय में अंकगणित के लिहाज से भी श्रीनिवासन मजबूत पिच पर खेल रहे हैं। 30 घरेलू क्रिकेट संघों में से ज्यादातर का समर्थन श्रीनिवासन के साथ है। बीसीसीआई की 28 कमेटियों में भी श्रीनिवासन गुट का ही दबदबा है।

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