महाराष्ट्र के 14 सरकारी मेडिकल
कॉलेज एवं अस्पताल में मेडिकल सामानों की खरीद में 100 करोड के घोटाले का
मामला सामने आया है। मेडिकल सामानों को बाजार भाव से 40-50 फीसदी दाम
बढ़ाकर खरीदा गया। खुद सूबे के स्वास्थ-शिक्षा मंत्री पर यह आरोप लग रहे
हैं कि इस पूरे खरीद की जानकारी उन्हें थी।
शिवसेना
नेता दीपक सालवी के मुताबिक जो सामान मेडिकल कॉलेज के लिए खरीदे जाते हैं।
पहले उसका स्पेशिफीकेशन कमिटी तय करती है फिर सप्लायर के हिसाब से टेंडर
निकालते हैं। सौदों की सहमति देने वाली कमेटी में स्वास्थ-शिक्षा मंत्री,
स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य संचालक समेत मेडिकल कॉलेजों के डीन और
विभागाध्यक्ष शामिल हैं। लिहाजा, घोटाले की आंच सीधे-सीधे
स्वास्थ्य-शिक्षा मंत्री विजय कुमार गावित तक पहुंच रही है।
सवाल
आरटीआई से मिली जानकारी की वजह से खड़े हुए हैं जिनके मुताबिक कलर डॉप्लर
मशीन 37 लाख में, वेंटीलेटर करीब 17 लाख में और डॉयोड लेजर मशीन 15 लाख में
खरीदी गईं, जबकि टेंडर में कई कंपनियों ने इन्हीं मशीनों की कीमत काफी कम
लगाई थी। आरोप है कि ऐसी बहुत सी मशीनों को 40 से 50 फीसदी महंगी कीमतों पर
खरीदा गया।
आरटीआई कार्यकर्ता संजय
तांबे पाटिल के मुताबिक राज्य के 14 सरकारी मेडिकल कॉलेज में 300 करोड़ की
सामान खरीदे गए हैं। जिनमें दाम 40 से 50 फीसदी तक बढ़ाए गए हैं। बाजार
कीमत से मंहगे दाम पर सरकार ने मशीन खरीद की है। साल 2008 से 2012 के दौरान
महाराष्ट्र के 14 सरकारी अस्पतालों के लिए करीब 3100 से ज्यादा मशीनें
खरीदी गई। आरटीआई कार्यकर्ता संजय पाटिल का आरोप है कि महंगी कीमत पर
मशीनें खरीदने से खुली लूट से सरकारी खजाने को करीब 100 करोड़ की चपत लग
गई। विपक्ष भी इस खरीद में घोटाले का आरोप लगा रहा है।
स्वास्थ-शिक्षा
मंत्री विजय कुमार गवित के मुताबिक जो खरीद की गई है वो नियमों से की गई
है। लेकिन इस मामले की पूरी जांच करने के लिए कह दिया गया है।सवाल ये है कि
आखिर स्वास्थ-शिक्षा मंत्रालय की नींद तब क्यों नहीं खुली जब ये मशीनें
खरीदी जा रही थीं।
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