पाकिस्तान के लिए आज ऐतिहासिक दिन
है, पाकिस्तान के करीब साढ़े आठ करोड़ मतदाता आज अपनी पसंद के मुताबिक नई
सरकार चुनेंगे। नेशनल असेंबली की कुल 342 सीटों में से 272 सीटों पर आज वोट
डाले जाएंगे। इसके अलावा चार प्रांतों की असेंबलियों की 728 सीटों पर भी
मतदान होगा। मतदान शाम पांच बजे तक चलेगा। तालिबानी धमकी के बाद चुनाव के
लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। कुल 6 लाख सुरक्षा कर्मियों को
देश के अलग अलग पोलिंग बूथों पर लगाया गया है। हाल में हुई आतंकी घटनाओं के
मद्देनजर 35 हजार से अधिक पोलिंग बूथों को संवेदनशील माना जा रहा है।
ये
चुनाव इसलिए अहम हैं क्योंकि पाकिस्तान के 66 साल के इतिहास में ऐसा पहली
बार है जब लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई किसी सरकार का कार्यकाल पूरा होने
के बाद चुनाव हो रहे हैं। लोकतांत्रिक रूप से हो रही इस जंग में आसिफ अली
जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी, नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम
लीग-नवाज
इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट और आवामी नेशनल पार्टी प्रमुख हैं
इसके अलावा अन्य पार्टियों में जमायत-ए-इस्लामी, आवामी मुस्लिम लीग और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्यू शामिल हैं।
20
दिनों तक चले चुनाव प्रचार के दौरान सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत
रैलियों में झोंक दी। चरमपंथी हमलों के बावजूद सभी पार्टियों ने मतदाताओं
को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला नवाज शरीफ
और इमरान खान के बीच माना जा रहा है। हालांकि इस रेस में सत्ताधारी
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी भी शामिल है। पाकिस्तान में चुनाव के लिए लगभग 70
हजार मतदान केंद्र बनाए गए हैं, इनमें से आधे से ज्यादा संवेदनशील बताए जा
रहे हैं। नेशनल असेंबली के चुनाव में इस बार मुख्य मुद्दा आतंकवाद,
भ्रष्टाचार और युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी है। जानकारों का कहना है एक
के बाद एक भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी सत्ताधारी पीपीपी की हालत खराब है।
नवाज
शरीफ की पार्टी PMLN की सबसे बड़े प्रांत पंजाब पर मजबूत पकड़ है, पंजाब
में मुल्क की आधी से ज्यादा आबादी रहती है। और इसी के चलते नवाज पाकिस्तान
की गद्दी पर काबिज होने का दम भर रहे हैं। वहीं इमरान मुल्क के युवा वोटरों
के भरोसे इस्लामाबाद पहुंचना चाहते हैं। चुनावी सर्वे की मानें तो
पाकिस्तान में किसी भी दल को बहुमत मिलता नजर नहीं आ रहा है। हालांकि
जानकारों का कहना है कि नवाज की पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है।
लेकिन उनका एक तबका ऐसा भी है जो ये मानता है कि अगर 60 फीसदी से ज्यादा
वोट पड़े तो इमरान खान को फायदा हो सकता है।
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