1984 के दिल्ली कैंट सिख विरोधी दंगा मामले
में आज अदालत ने तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि दो को तीन साल
की सजा। इस मामले में सीबीआई पहले ही कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी कर
चुकी है। अदालत के इस फैसले के खिलाफ दंगा पीड़ित परिवार और सीबीआई दोनों
ही दिल्ली हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
1984
सिख विरोधी दंगों के दिल्ली कैंट मामले में सज्जन कुमार तो पहले ही बरी हो
गए, लेकिन बाकी के पांच आरोपियों को गुरुवार को अदालत ने सजा सुनाई। मामले
की सुनवाई कर रही कड़कड़डूमा कोर्ट ने हत्या के आरोप में तीन आरोपियों को
उम्र कैद की सजा सुनाई। उम्रकैद की सजा जिन्हें दी गई वो हैं बलवान खोखर,
गिरधारी लाल और कैप्टन भागमल। जबकि बाकी के दो आरोपियों पूर्व विधायक
महेन्द्र यादव और किशन खोखर को दंगा फैलाने के आरोप में तीन साल की सजा
सुनाई गई।
लेकिन
दंगा पीड़ित अदालत के फैसले से खुश नहीं हैं। उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा
खटखटाने का मन बना लिया है। दंगा पीड़ित जगदीश कौर ने कहा कि हम हाईकोर्ट
जाएंगे। इससे पहले अदालत में सजा से पहले बहस के दौरान सीबीआई ने कहा कि
दिल्ली कैंट इलाके में सोची समझी साजिश के तहत दंगे को अंजाम दिया गया। इस
तरीके का कत्लेआम पहले कभी नहीं देखा गया। आरोपी इतने रसूखदार थे कि सिस्टम
उनके इशारे पर काम कर रहा था।
सीबीआई
का कहना है कि कैंट में सोची समझी साजिश के तहत दंगे को अंजाम दिया गया।
इस केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर मानते हुए इन्हें मौत की सजा देनी चाहिए।
सीबीआई और बचाव पक्ष की दलील सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया।
दंगा पीड़ितों के वकील एच एस फुल्का ने बताया कि कोर्ट ने तीन को उम्रकैद
और दो को दंगा फैलाने के आरोप में सजा सुनाई है।
जहां
तक सवाल है सज्जन कुमार का तो उनकी मुश्किलें खत्म होती नहीं दिखतीं। दंगा
पीड़ितों के अलावा सीबीआई भी अब उनके खिलाफ दूसरे दंगा मामलों में पुख्ता
सबूत जुटाकर अदालत जाएगी।
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