जो लोग सोचते हैं कि चीन अगले कुछ सालों में
अमेरिका को पछाड़ देगा, ऐसी सोच है नादानी भरी हो सकती है। गहराई से देखें
तो आर्थिक रूप से चीन की कुछ और ही तस्वीर सामने आती है। जानकारों की
मानें तो चीन की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है। पिछले 30 साल से
चला आ रहा चीन का चमत्कार अब धीरे-धीरे अवसान की ओर दिखता है।
पिछले
साल कहा गया था कि चीन में दुनिया की सबसे उंची 220 मंजिला इमारत बनेगी।
दावा किया गया था कि चीन के शहर चांगशा में दुबई के बुर्ज खलीफा को मात
देने वाली ये इमारत महज तीन महीने में ही मार्च तक तैयार हो जाएगी। लेकिन
मार्च आया और डेडलाइन भी बीत गई, इमारत का अता-पता नहीं है। प्रधानमंत्री
ली केकियांग ने स्टेट काउंसिल से इस पर अंकुश लगाने को कहा है। एक उच्च
अधिकारी का कहना है कि स्थानीय प्रशासन के पास वित्तीय साधन नहीं हैं।
चीन
की डेवलपमेंट रिसर्च काउंसिल डीआरसी का मानना है कि 2020 तक चीन में विकास
दर में खासी गिरावट आ सकती है। अमेरिकी कॉन्फ्रेंस बोर्ड का कहना है कि
2019-2025 के दौरान ये 3.7 फीसदी तक गिर सकता है। जैसा कि बताया जाता है कि
चीन 2030 या 2025 या 2017 तक अमेरिका को आर्थिक क्षेत्र में मात दे देगा,
ऐसा सोचना नादानी भरा हो सकता है। हकीकत तो ये है कि चीन इस सदी में
अमेरिका से आगे नहीं निकल पाएगा।
पिछले
साल अमेरिका की जीडीपी 15.7 ट्रिलियन डॉलर थी जबकि चीन की 8 ट्रिलियन डॉलर।
इससे पता चलता है कि अमेरिका चीन से कितना आगे है। चीन की विकास दर
अमेरिका जितनी नहीं हो सकती जिसने केमिकल, स्टील, ग्लास और पेपर इंडस्ट्री
में खुद को पुर्नस्थापित किया है। जानकार बताते हैं कि चीन में धुआंधार
आर्थिक विकास की हवा बनाई गई है। बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में नॉन
परफॉर्मिंग लोन की केटेगरी होती है, लेकिन चीन में ऐसा नहीं है। यही वजह है
कि आने वाले समय में चीन की रफ्तार धीमी पड़ेगी।
यूएस
काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस के अध्यक्ष रिचर्ड हास का कहना है कि अगला सदी
भी अमेरिका की होगी। उनका कहना है कि अमेरिका ने विपरीत हालातों में खुद को
मजबूत और एक रखा है, जो किसी उपलब्धि से कम नहीं है।
अमेरिका
ने भी कर्ज और मंदी का वो दौर देखा था, और चीन को भी इससे गुजरना पड़ा जब
उसके स्टेट बैंक को प्राइवेट लोन से जूझना पड़ा था। फिच रेटिंग्स ने
चेतावनी देते हुए कहा है कि पिछले चार साल में चीन की क्रेडिट सीमा जीडीपी
की तुलना में 125 फीसदी से बढ़कर 200 फीसदी तक बढ़ चुकी है। चार साल में ये
9 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 23 ट्रिलियन डॉलर हो गई है जो अमेरिका के
बैंकिंग सिस्टम के बराबर है। इसके उलट अमेरिका ने सावधानी से कदम उठाए हैं।
इसके बैंक के लोन-जमा अनुपात 0.7 का है जो तीन दशक में सबसे मजबूत सुरक्षा
उपाय है।
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