सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्र किए जाने की
टिप्पणी के बाद देश के आईपीएस लॉबी में खुशी का माहौल है। एक अंग्रेजी
अखबार मेल टुडे को दिए इंटरव्यू में सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने इस बात
का खुलासा किया है। सीबीआई चीफ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की सीबीआई को
स्वतंत्र किए जाने के निर्देश की टिप्पणी से अब आईपीएस लॉबी में ये उम्मीद
बंधी है कि वो बगैर किसी दबाव के निष्पक्षता से हाई प्रोफाइल मामलों की
जांच कर सकेंगे।
इंटरव्यू
में सीबीआई चीफ ने बतौर बाधा तीसरा विभाग कानून मंत्रालय को गिनाया है।
सिन्हा के मुताबिक जब भी सीबीआई कोई याचिका डालती है तो उसके भुगतान के लिए
उन्हें कानून मंत्रालय पर निर्भर रहना पड़ता है। बाधा के लिए जिम्मेदार
चौथे विभाग के लिए सीबीआई चीफ ने सीवीसी यानी सेंट्रल विजिलेंस कमिश्नर का
नाम लिया है। सिन्हा ने अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि भ्रष्टाचार से
जुड़े हर मामलों के लिए सीबीआई को सीवीसी पर निर्भर रहना पड़ता है।
अखबार को दिए इंटरव्यू
में रंजीत सिन्हा ने ये भी कहा कि सीबीआई के पास ऐसे काबिल अफसरों की टीम
है जिसने हाल में कई बड़े और अहम मामलों को सफलता से निपटाया है। सिन्हा ने
ये भी कहा कि सीबीआई को सरकारी नियंत्रण से स्वतंत्र किए जाने के बाद
विभाग मजबूत होगा और अफसर सम्मान के साथ जांच कर सकेंगे।
दूसरी
तरफ अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में सीबीआई चीफ ने उन पांच विभागों के
नाम भी गिनाए हैं जिनके चलते सीबीआई को बाधाओं को सामना करना पड़ता है।
मसलन पहले विभाग के लिए सिन्हा ने गृह मंत्रालय का हवाला दिया है। सिन्हा
के मुताबिक कैडर क्लीयरेंस के लिए सीबीआई पूरी तरह से गृह मंत्रालय पर
निर्भर है। अखबार मेल टुडे को दिए इंटरव्यू में सिन्हा ने ये भी कहा कि
सीबीआई चीफ को केवल इंस्पेक्टर स्तर तक अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार
है। जबकि डीएसपी जैसे बड़े रैंक के अफसरों के लिए उन्हें संघ लोक सेवा आयोग
पर निर्भर रहना पड़ता है। यानी दूसरे विभाग के लिए सिन्हा ने संघ लोक सेवा
आयोग का नाम लिया है।
आखिरी
और बाधा डालने वाले विभाग के नाम पर उन्हें कार्मिक विभाग का नाम गिनवाया।
बकौल सिन्हा इस मंत्रालय के अधीन होने के चलते हर दिन उन्हें यहीं रिपोर्ट
करनी पड़ती है। यहां तक कि फंड के लिए भी उन्हें डीओपीटी पर ही आश्रित
रहना पड़ता है।
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