राजनीति में दौर बदल रहा है और तमाम
राजनीतिक दल नए प्रयोगों पर जोर दे रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल
करने के लिए अपनी पुरानी टीम पर ही दांव लगाना मुनासिब समझा है। राज्य में
इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बीजेपी के सामने इस विधानसभा चुनाव
में जीत की हैट्रिक बनाने की चुनौती है।
बीजेपी
को बीते 10 साल के शासनकाल की खूबियों और खामियों के साथ मतदाताओं के बीच
जाना है। पार्टी ने चुनाव के मद्देनजर कारगर रणनीति बनाने के लिए एक बार
फिर राज्य का प्रभारी अनंत कुमार को बनाया है। राज्य में साल 2008 में हुए
विधानसभा चुनाव में पार्टी को सफलता दिलाने वाली टीम के प्रमुख रणनीतिकार
राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर,
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार थे।
बीजेपी
ने इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव-2013 के लिए भी अपनी रणनीति में कोई
बदलाव नहीं किया है और पांच साल बाद भी ये सभी उसी पद पर अपनी जिम्मेदारी
संभालेंगे। राज्य में बीजेपी को 'सत्ताधारी विरोध की लहर' के साथ पार्टी
में बढ़ी आपसी खींचतान का भी मुकाबला करना है, लिहाजा वह इन स्थितियों से
हर हाल में निबटना चाहती है।
पार्टी
के जानकार कहते हैं कि पूर्व में एकसाथ काम कर चुके चार प्रमुख नेताओं को
ही फिर से वही जिम्मेदारियां दी गई हैं, क्योंकि उनका आपसी समन्वय बेहतर
है। प्रदेश के संगठन मंत्री अरविंद मेनन इस टीम के नए सदस्य हैं, लिहाजा वे
जरूर कुछ तनातनी का कारण बन सकते हैं। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रमुख
हितेश वाजपेयी ने कहा कि चुनाव की कमान पुरानी टीम को सौंपे जाने से पार्टी
को लाभ मिलेगा, क्योंकि इन नेताओं ने हर स्तर पर चुनौतियों का सामना किया
है और वे चुनाव के प्रबंधन को बेहतर तरीके से जानते हैं।
वे
कहते हैं कि इस टीम में एक युवा साथी अरविंद मेनन की राजनीतिक समझ का भी
पार्टी को लाभ मिलेगा। राज्य में पुरानी टीम के हाथ में चुनाव जिताने की
जिम्मेदारी सौंपे जाने का लाभ और नुकसान कितना होगा, इसका आकलन करना आसान
नहीं है, मगर पार्टी का यह फैसला किसी चुनौती से कम नहीं माना जा रहा है।
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