Friday, May 31, 2013

बॉयफ्रेंड बालाजी को गिरफ्तार भी करवा चुकी है लीना

दो दिन पहले दिल्ली के पॉश इलाके से गिरफ्तार दक्षिण भारतीय अभिनेत्री और उसके फरार बॉयफ्रेंड की करतूतों का पिटारा खुलने लगा है। कर्नाटक पुलिस लीना मारिया पॉल से पूछताछ करना चाहती है। कर्नाटक पुलिस के मुताबिक लीना का दोस्त चंद्रशेखर ऊर्फ बालाजी दक्षिण भारत के तीन राज्यों में ठगी की सौ से ज्यादा वारदात को अंजाम दे चुका है।
बालाजी खुद को बड़े-बड़े नेताओं का रिश्तेदार बता कर लोगों को ठगता था। सबसे बड़ी हैरानी की बात तो ये है कि ठगी में उसकी साथी बन चुकी लीना ने ही 2011 में उसे गिरफ्तार भी करवाया था। खूबसूरती का जाल बिछाकर करोड़ों की ठगी करने वाली लीना सलाखों के पीछे है जबकि उसका बॉय फ्रेंड फरार है। जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ रहा है नए खुलासे सामने आ रहे हैं।
बॉयफ्रेंड बालाजी को गिरफ्तार भी करवा चुकी है लीना
मलयालम फिल्मों की अभिनेत्री लीना मारिया पॉल और उसके दोस्त चंद्रशेखर ऊर्फ बालाजी के बारे में कई अहम जानकारियां मिल रही हैं। बेंगलुरू पुलिस के मुताबिक बालाजी एक शातिर ठग है। पुलिस के मुताबिक बालाजी का असली नाम सुकेश चंद्रशेखर है और वह 16 साल की उम्र से ठगी का काम कर रहा है। बेंगलुरू पुलिस ने एक हैरान करने वाली जानकारी भी दी है। उनके मुताबिक बालाजी की दोस्त कही जाने वाली जिस लीना को दिल्ली पुलिस ने ठगी के आरोप में गिरफ्तार किया है। उसी लीना ने 2011 में बालाजी को गिरफ्तार भी करवाया था।
बेंगलुरू पुलिस के मुताबिक उस वक्त लीना बीडीएस की पढ़ाई कर रही थी और बालाजी ने उसे एक राजनेता का बेटा होने का झांसा देकर अपने जाल में फंसा लिया था। रिहा होने के बाद चंद्रशेखर ऊर्फ बालाजी ने एक बार फिर लीना से संपर्क साधा। बाद में लीना भी ठगी के इस धंधे में उतर गई। बेंगलुरू पुलिस के मुताबिक बालाजी के खिलाफ ठगी के सौ से ज्यादा मामले दर्ज हैं। उसका नेटवर्क तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में फैला है और वह लोगों को 100 करोड़ से ज्यादा का चूना लगा चुका है।
पुलिस के मुताबिक लोगों को ठगने के लिए बालाजी बड़े-बड़े नेताओं के नाम का सहारा लेता था। वो खुद को नेताओं का रिश्तेदार बताता और काम कराने के नाम पर लोगों से लाखों करोड़ों रुपये लेकर फरार हो जाता था। 2007 में बालाजी खुद को कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी के बेटे का दोस्त बताते हुए एक बिल्डर से एक करोड़ रुपये ठग लिए थे। पुलिस ने इस मामले में उसे गिरफ्तार भी किया था। तब पुलिस को उसके घर से बीएमडब्लू और होंडा एकॉर्ड समेत आधा दर्जन कारें और 12 कीमती घड़ियां मिली थीं।
ठगी के मामले में सजा काटने के बाद बालाजी ने कर्नाटक छोड़ दिया। उसका अगला ठिकाना था तमिलनाडु। वहां भी उसने खुद को नेता का रिश्तेदार और बड़े अफसरों का बेटा बताकर कई लोगों को चूना लगाया। 2011 में पुलिस ने लीना मारिया की शिकायत पर जब बालाजी को गिरफ्तार किया था तब वो चेन्नई के एक कारोबारी को ठगने की तैयारी में था। बालाजी वहां खुद को तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि का पोता बताकर कारोबारी को ठगने की फिराक में था।
गिरफ्तारी के बाद कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की पुलिस ने बालाजी से पूछताछ की तो ठगी के दर्जनों मामले सामने आए। उसे सजा भी हुई लेकिन जमानत मिलने के बाद वो अचानक ही लापता हो गया। दो दिन पहले भी वो दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आने से बच गया। अब कर्नाटक पुलिस लीना से पूछताछ करना चाहती है कि आखिर वो बालाजी के गिरोह में कैसे शामिल हुई?

....तो इसलिए खामोश बैठे हैं कपिल, सिद्धू और गावस्कर

क्रिकेट के दिग्गज घंटों मैच की कमेंट्री और खेल के बारे में अपनी राय जाहिर करते रहते हैं। लेकिन भारतीय क्रिकेट पर लगे सबसे बड़े दाग पर ये लोग अब तक खामोश हैं। फिक्सिंग को लेकर इनकी ओर से कोई बात नहीं निकल रही। क्या बीसीसीआई के साथ इनका कॉन्ट्रैक्ट इनको बोलने से रोक रहा है?
पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर और रवि शास्त्री का बीसीसीआई के साथ कॉन्ट्रैक्ट है। गावस्कर और शास्त्री को करीब 3.6 करोड़ रुपये सालाना मिलते हैं। बतौर कमेंटेटर इन दिग्गजों से अपनी निजी राय सामने रखने की उम्मीद की जाती है। लेकिन बीसीसीआई से जुड़े रहने की वजह से ये कभी भी बोर्ड के खिलाफ बोलते नहीं देखे गए। यहां तक कि आईसीसी के प्लेटफॉर्म पर भी ये बीसीसीआई का पक्ष रखते ही देखे गए।
....तो इसलिए खामोश बैठे हैं कपिल, सिद्धू और गावस्कर
शास्त्री इस समय आईपीएल गवर्निंग काउंसिल के सदस्य भी हैं और पिछले एक दशक से हमेशा ही सत्ता में बैठे लोगों का खुलकर साथ देते हैं। चाहे वो ललित मोदी हों या फिर अब श्रीनिवासन। गावस्कर और शास्त्री के अलावा पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले भी हितों के टकराव वाले विवाद में नजर आए हैं।
कुंबले सिर्फ कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष ही नहीं हैं बल्कि बोर्ड ने उन्हें बीसीसीआई और आईसीसी की टेक्निकल कमेटी में भी शामिल कर रखा है। लेकिन कुंबले खुद आईपीएल में मुंबई इंडियंस के मेंटर के तौर पर जुड़े हुए हैं। उनकी कंपनी टेन्विक विनय कुमार जैसे कई युवा खिलाड़ियों की भी मैनेजमेंट कंपनी है। शायद यही वजह है कि जंबो की जुबान भी खामोश हैं।
आमतौर पर दुनिया के हर मुद्दे पर लाजवाब मुहावरे और शब्दों का इस्तेमाल करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू की चुप्पी भी बेहद अजीब लगती है। सिद्धू को आईपीएल में कॉमेंट्री से करोड़ों की रकम मिलती है। ऐसे में बीसीसीआई के खिलाफ बोलने का मतलब है अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना।
खिलाड़ियों के निजी हित क्रिकेट पर कितने हावी हैं, इसका सबसे बड़ा सबूत है कपिल देव का यू टर्न लेना। एक समय बीसीसीआई से बगावत करने वाले कपिल देव के सुर भी इस बार बदल गए हैं। आईसीएल से जुड़कर कपिल ने बोर्ड से दुश्मनी मोल ली थी। बाद में कपिल भी बैकफुट पर आ गए। कपिल ने श्रीनिवासन की जिद पर लिखित माफी मांगकर बीसीसीआई में वापसी की थी।
अब कपिल देव भी कॉमेंट्री बॉक्स में नज़र आते हैं और गावस्कर-शास्त्री की तरह उन्हें भी करोड़ों रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मिल चुका है। दरअसल बगावत करने वाले खिलाड़ियों के खिलाफ बीसीसीआई का रवैया बदले वाला रहा है। देशी तो देशी अब विदेशी खिलाड़ी भी बीसीसीआई की ताकत से डरते हैं। माना जाता है कि न्यूजीलैंड के डैनी मॉरीसन को अचानक आईपीएल कमेंट्री इसलिए छोड़नी पड़ी क्योंकि उन्होंने एक मैच के दौरान विराट कोहली को टीम इंडिया का भविष्य का कप्तान कह दिया था।
बेबाक अंदाज में निष्पक्ष तौर पर अपनी राय रखने वाली आवाज़ों को बीसीसीआई तवज्जो देना तो दूर दरकिनार कर देती है। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलिया सीरीज के दौरान इयान चैपल भारत इसलिए नहीं आ पाए क्योंकि वो बीसीसीआई की कई शर्तों को नहीं मानना चाहते थे। ये वो शर्तें थीं जिससे उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित हो रही थी।
चैपल जैसा ही नज़रिया अगर भारतीय क्रिकेट के दिग्गज रखते तो शायद देश के क्रिकेट प्रेमियों को वो आवाज सुनने को मिलती जिसके वो हकदार हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि भारतीय क्रिकेट की स्थिति अगर बदतर हुई है तो इसके लिए कुछ हद तक दिग्गजों का निर्णायक मु्द्दों पर खामोश रहना भी है।

ICC ने चेताया था, सट्टेबाजों से मिल रहा है मयप्पन

स्पॉट फिक्सिंग मामले में सीएनएन-आईबीएन ने अब तक का सबसे बड़ा खुलासा किया है। इसके मुताबिक आईसीसी ने आईपीएल शुरू होने के बाद बीसीसीआई को चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक गुरुनाथ मयप्पन के रोल को लेकर आगाह किया था। लेकिन बीसीसीआई ने ये बाद दबाए रखी, हालांकि खुद मयप्पन को भी इस बारे में पता था और वो विंदू दारा सिंह को इस बात के लिए चेता भी रहा था कि वो सावधान रहे।
वहीं इस खुलासे पर श्रीनिवासन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। श्रीनिवासन का कहना है कि आईसीसी से बीसीसीआई को चेतावनी नहीं दी थी। श्रीनिवासन ने कहा कि बीसीसीआई के किसी अधिकारी को इस तरह की कोई सूचना नहीं मिली थी।
ICC ने चेताया था, सट्टेबाजों से मिल रहा है मयप्पन
सीएनएन-आईबीएन के मुताबिक आईसीसी ने बीसीसीआई को चेताया था कि आईपीएल के दौरान मयप्पन सट्टेबाजों का साथ मेलजोल कर रहा है। ये चेतावनी अप्रैल में आईपीएल-6 शुरू होने के बाद ही दी गई थी। सीएनएन-आईबीएन के पास मयप्पन और विंदू दारा सिंह के बीच फोन पर हुई बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट मौजूद है। इसके मुताबिक मयप्पन विंदू से कह रहा है कि बीसीसीआई को आईसीसी ने मेरे बारे में चेताया है इसलिए वो जरा सावधान रहकर काम करें।
मयप्पन विंदू को ये भी बता रहा है कि उसे सट्टेबाजी में कितनी रकम लगानी चाहिए। गुरुनाथ मयप्पन विंदू को उस दिन खेल रही दूसरी टीमों के खिलाड़ियों से संबंधित निर्देश भी दे रहा था। गुरुनाथ विंदू से कह रहा था कि वे ओवर विशेष में बनने वाले रनों पर सट्टा लगाए।
सवाल है कि बीसीसीआई ने आईसीसी की इस चेतावनी को नजरअंदाज क्यों किया? बीसीसीआई ने क्यों नहीं गुरुनाथ के खिलाफ कोई कार्रवाई की। क्या ये खुलासा बीसीसीआई के पूरे मैनेंजमेंट को चुप रहने के लिए संदेह के घेरे में खड़ा नही करता? इन सवालों के जवाब बीसीसीआई चीफ एन श्रीनिवासन सहित पूरे बोर्ड को देने होंगे।

ठाकरे स्मारक के लिए शिवसेना ने मांगा महालक्ष्मी रेसकोर्स!

मुंबई का महालक्ष्मी रेसकोर्स जहां अरसे तक होती रही घोड़ों की दौड़, वहां बन सकता है बाल ठाकरे का स्मारक क्योंकि बीएमसी ने रेसकोर्स की जमीन की लीज बढ़ाने से इनकार कर दिया है। बीएमसी पर काबिज शिवसेना की नजर में बाल ठाकरे की यादों को संजोने के लिए घोड़ों की टापों से तपा ये मैदान सबसे बेहतर है।
पहले उसने शिवाजी पार्क में स्मारक बनाने की ठानी थी, लेकिन मात खानी पड़ी। शिवसेना यहां बाल ठाकरे की याद में ढाई लाख वर्ग मीटर जमीन पर विशाल पार्क बनाना चाहती है। शुक्रवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने खुद इसका नक्शा पेश किया।
ठाकरे स्मारक के लिए शिवसेना ने मांगा महालक्ष्मी रेसकोर्स!
वैसे शिवसेना जानती है कि महाराष्ट्र सरकार उसके प्रोजक्ट में पेंच फंसा सकती है। लिहाजा उद्धव ने लगे हाथ मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को नसीहत भी दे डाली। उद्धव ने कहा कि मैं इस मामले में विवाद नहीं चाहता हूं। मैं ये बात बार-बार कह रहा हूं। ये लोगों के लिए योजना है और सारे लोग एकसाथ आएं तो अच्छा है।
शुक्रवार आधी रात रेसकोर्स की जमीन की लीज की अवधि खत्म हो जाएगी। जाहिर है, जमीन के मालिकाना हक के सवाल पर विवाद खड़ा हो रहा है। मामले की संवेदनशीलता देखते हुए मुंबई महानगरपालिका के आयुक्त भी संभलकर जवाब दे रहे हैं।
वैसे शिवाजी पार्क में हुई फजीहत को उद्धव ठाकरे भूले नहीं हैं। शिवसेना प्रमुख का स्मारक बनवाने में उद्धव नाकाम रहे तो पार्टी में उनके नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं। इसलिए वे 2014 के आम चुनाव के पहले हर हाल में स्मारक का काम शुरू करवा देना चाहते हैं। लेकिन सवाल ये है कि कांग्रेस-एनसीपी सरकार उनके चुनावी दांव को आसानी से क्यों सफल होने देगी।

जगदाले के इस्तीफे से मोदी खुश, श्रीनिवासन पर निशाना साधा

मयप्पन पर CNN-IBN के खुलासे के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष की कुर्सी जानी अब तय लग रही है। खुद बीसीसीआई में बगावत का बिगुल बज चुका है। श्रीनिवासन के नंबर दो बोर्ड के सचिव संजय जगदाले और बोर्ड के कोषाध्यक्ष अजय शिर्के ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफे के लिए चौतरफा दबाव झेल रहे बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने वैसे तो बोर्ड की कार्यकारिणी की 8 जून को आपात बैठक बुलाई है। लेकिन, दो आला अधिरकारियों के इस्तीफे ने क्रिकेट की दुनिया में हड़कंप मचा दिया है।
पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी ने ट्वीट किया ‘अजय और संजय का इस्तीफा देखकर खुशी हुई। एक दूसरे का साथ दे रहे कुछ खराब सेब अब भी बचे हुए हैं। अब क्रिकेट का वो शैतान अपने साथियों के साथ मैदान में अकेला रह गया है। अब दागदार बोर्ड की कमान कौन संभालेगा, मेरी नजर में तो वो मूर्ख ही होगा। इसलिए हमें बीसीसीआई और आईसीसी में आमूलचूल बदलाव करने होंगे।‘
जगदाले के इस्तीफे से मोदी खुश, श्रीनिवासन पर निशाना साधा

पेट्रोल 75 पैसे और डीजल 50 पैसे प्रति लीटर महंगा हुआ

शुक्रवार की आधी रात से पेट्रोल और डीजल महंगा हो जाएगा। सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल की कीमत 0.75 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 0.5 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाने का फैसला किया है। अब दिल्ली में 1 लीटर पेट्रोल के लिए 63.99 रुपये और डीजल के लिए 50.26 रुपये चुकाने होंगे। वहीं मुंबई में पेट्रोल की कीमत 70.68 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 56.66 रुपये हो जाएगी।
तीन महीनों में पहली बार पेट्रोल के दाम बढ़ाए गए हैं। इंडियन ऑयल का कहना है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार आ रही कमजोरी की वजह से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने का फैसला किया गया है।
पेट्रोल 75 पैसे और डीजल 50 पैसे प्रति लीटर महंगा हुआ
इंडियन ऑयल के मुताबिक कीमतें बढ़ाने के बाद भी डीजल पर 4.87 रुपये प्रति लीटर का घाटा हो रहा है। केरोसीन पर 27.75 रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस पर 334.5 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है।

नक्सलियों के निशाने पर दिल्ली, गृहमंत्रालय को मिली सूचना!

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की दरभा घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमले के बाद गृह मंत्रालय में चर्चा है कि नक्सली अब बड़े शहरों में बड़ी वारदात कर सकते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय को यह सूचना नक्सलियों के बातचीत के टेप से मिली बताई जाती है।
नक्सलियों के निशाने पर दिल्ली, गृहमंत्रालय को मिली सूचना!
भारत में आंध्र प्रदेश के तिरुपति से लेकर नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर तक रेड कॉरिडोर बन चुका है। इस कॉरिडोर में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश एक पंक्ति में विद्यमान हैं। ओडिशा और मध्य प्रदेश के इलाकों में भी नक्सली धमक सुनी जाती है।
नक्सल प्रभावित राज्यों के कई बड़े शहरों और कस्बों में नक्सलवादियों के मददगार हैं, जिनसे उन्हें न सिर्फ सूचनाएं मिलती हैं, बल्कि चिकित्सा, रसद और प्रचार के माध्यम भी मिलते हैं। शहरों में कई ऐसे संगठन और तथाकथित बुद्धिजीवी, समाजसेवी हैं जो किसी न किसी आड़ में नक्सलवाद के समर्थक और पोषक बने बैठे हैं।
दो साल पहले दिल्ली और मुंबई से भी नक्सली पकड़े जा चुके हैं। ऐसे में देश की राजधानी भी सुरक्षित नहीं है। देश की खुफिया प्रणाली को भेदकर सीमापार से आतंकवादी घुसे और उन्होंने संसद पर हमला किया, मुंबई में कहर बरपा डाला। जब सीमापार से घुसपैठ कर देश के हृदयस्थल को रौंदा जा सकता है तब देश के भीतर मौजूद संपोले क्या नहीं कर सकते?

‘सत्याग्रह’ का फर्स्ट लुक

अमिताभ बच्चन, अजय देवगन और करीना कपूर की फिल्म ‘सत्याग्रह’15 अगस्त 2013 को लॉन्च होने वाली है। फिल्म की शूटिंग भोपाल में चल रही है। तस्वीरों में देखें फिल्म का फर्स्ट लुक।
<a href='http://khabar.ibnlive.in.com/photogallery/4865/'><font size=4><font color=red> तस्वीरों में देखें: ‘सत्याग्रह’ का फर्स्ट लुक </font></font size></a>

श्रीनिवासन का खेल खत्म, 5 उपाध्यक्ष देंगे इस्तीफा!

बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन बस अब चंद घंटों के मेहमान हैं। आज पांचों उपाध्यक्ष इस्तीफा दे सकते हैं। शुक्रवार को श्रीनिवासन पर चीफ पद से हटने का दबाव बढ़ाते हुए बोर्ड के सचिव संजय जगदाले और कोषाध्यक्ष अजय शिर्के ने भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने श्रीनिवासन को भेजे इस्तीफे में कहा था कि क्रिकेट में हाल ही में जो कुछ हुआ है, उससे वे काफी आहत हैं।
श्रीनिवासन का खेल खत्म, 5 उपाध्यक्ष देंगे इस्तीफा!
इस बीच चर्चा है कि जॉइंट सेक्रेटरी अनुराग ठाकुर और पांच उपाध्यक्ष भी इस्तीफा दे सकते हैं। ये हैं अरुण जेटली, निरंजन शाह, सुधीर दबीर, चितरक मित्रा और शिवलाल यादव। हालांकि मित्रा ने कहा है कि उनका ऐसा कोई इरादा नहीं है। इस्तीफे के लिए चौतरफा दबाव झेल रहे बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने वैसे तो बोर्ड की कार्यकारिणी की 8 जून को आपात बैठक बुलाई है। लेकिन, दो आला अधिरकारियों के इस्तीफे ने क्रिकेट की दुनिया में हड़कंप मचा दिया है।

एक दिन का इंतजार कीजिए, बड़ी खबर मिलेगी: जेटली

श्रीनिवासन पर बढ़ते इस्तीफे के दबाव के बाद पहली बार बीसीसीआई उपाध्यक्ष अरुण जेटली ने चुप्पी तोड़ी है। अब से कुछ देर पहले पूरे विवाद पर अरुण जेटली ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा है कि आज कुछ बड़ी खबर मिलेगी। बीती रात जेटली ने अनुराग ठाकुर से भी मुलाकात की थी।
एक दिन का इंतजार कीजिए, बड़ी खबर मिलेगी: जेटली
माना जा रहा है कि कल हुए दो इस्तीफे के बाद आज पांच जोन के उपाध्यक्ष अपने पद से इस्तीफे दे सकते हैं। हालांकि ईस्ट जोन के उपाध्यक्ष चित्रक मित्रा ने इस्तीफे की बात से इनकार किया है। कल ही संजय जगदाले ने बीसीसीआई के सचिव पद से और अजय शिर्के ने बीसीसीआई कोषाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। अरुण जेटली साफ तौर पर इशारा कर दिया है कि आज जरूर कुछ बड़ा होने वाला है।

Thursday, May 30, 2013

रिसॉर्ट में हो रहा था नेकेड डांस, पुलिस के भी उड़े होश!

बेंगलुरु ग्रामीण के एक रिसोर्ट में हो रहे नेकेड डांस पार्टी की तस्वीरें सामने आने से बेंगलुरु में सनसनी फैल गई है। पुलिस ने रिसोर्ट के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है और पार्टी करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने के लिए तीन टीमों का गठन किया है।
यह पार्टी 2 दिसंबर 2009 को इस रिसोर्ट में हुई थी, लेकिन यह तस्वीरें दो दिन पहले बेंगलुरु ग्रामीण पुलिस को मिली है। कन्नडा रक्ष्ना वेदिके के कार्यकर्ताओं ने यह सीडी पुलिस को दी और साथ आरोप लगाया कि इस रिसोर्ट में ऐसी पार्टी अक्सर होती रहती है। पुलिस ने रिसोर्ट के मालिक संपंगी रमैया और उसके बेटों को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा पार्टी करने वाले लोगों की तलाश करने में जुट गई है।
रिसॉर्ट में हो रहा था नेकेड डांस, पुलिस के भी उड़े होश!
रिसोर्ट के मालिक का कहना है कि जब यह पार्टी हुई तब वो वहां पर नहीं था और आंध्र प्रदेश के कुछ लोगों ने उस दिन रिसोर्ट बुक किया था। एक साल बाद उसे कोई शख्स इन तस्वीरों को दिखाकर ब्लैकमेल करने लगा। संपंगी रमैया के मुताबिक़ उन्होंने उसी समय सिथानिया पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन पुलिस ने उस शिकायत पर गौर नहीं किया। बेंगलुरु ग्रामीण पुलिस ने भी इस बात को माना है कि संपंगी रमैया ने शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस थाने के इंस्पेक्टर ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की लिहाजा उसे फिलहाल ससपेंड कर दिया गया है।
बेंगलुरु ग्रामीण पुलिस के एसपी डी प्रकाश ने कहा कि संपंगी रमैया ने शिकायत की थी। लेकिन ना तो वो शिकायत थाने में मिली और ना ही इस मामले को लेकर कोई जानकारी। लिहाज़ा हमने पुलिस इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया और जांच के आदेश दिए हैं।
पुलिस ने कार्रवाई तो शुरु कर दी है, लेकिन सवाल है कि आखिर यह सीडी करीब तीन साल बाद क्यों सामने आई, क्यों अब तक कन्नड़ रक्षण वेदिके ने यह तस्वीरें पुलिस को नहीं दिखाई थी, क्यों पुलिस इंस्पेक्टर ने संपंगी रमैया की शिकायत पर करवाई नहीं की। क्या इन सब सवालों का जवाब पोलिस दे पाएगी।

बराक ओबामा को भेजा गया धमकीभरा जहरीला खत

अमेरिका मे अधिकारियों ने राष्ट्रपति बराक ओबामा को भेजे गए एक धमकीभरे पत्र का पता लगाया है। ये पत्र न्यूयार्क के मेयर माइकल ब्लूमबर्ग को भेजे गए पत्रों के जैसा ही है। खुफिया सेवा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ओबामा को भेजा गया यह पत्र ब्लूमबर्ग को भेजे गए पत्र के जैसा ही है। हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी है।
ब्लूमबर्ग को भेजे गए पत्रों पर गुलाबी रंग का पदार्थ लगा हुआ था जिसे जांच के बाद घातक विष रिसिन करार दिया गया था। ऐसा माना जा रहा है कि ब्लूमबर्ग द्वारा बंदूक संस्कृति के खिलाफ छेडी गई मुहिम के कारण ही उन्हे निशाना बनाया गया है। ब्लूमबर्ग को भेजे गये पत्रों में से पहला पत्र न्यूयार्क की एक म्यूनिसिपल बिल्डिंग से और दूसरा पत्र मेयर्स अगेंस्ट इलीगल गन्स की इमारत से बरामद किया गया था।
बराक ओबामा को भेजा गया धमकीभरा जहरीला खत

रिजल्ट खराब आया तो ASI की पत्नी और बेटी ने दी जान

12वीं का रिजल्ट खराब आने पर निराश होकर एक एएसआई की पत्नी और उसकी बेटी ने खुदकुशी कर ली। घटना दिल्ली के निहाल विहार की है, एएसआई प्रदीप कुमार की पत्नी कमलेश और उसकी बेटी शिवानी ने अपने घर में ही जहर खा लिया यही नहीं शिवानी के भाई ने भी खुदकुशी की कोशिश की, फिलहाल उसे अस्पलात में भर्ती कराया गया है।
रिजल्ट खराब आया तो ASI की पत्नी और बेटी ने दी जान
पुलिस सूत्रों के मुताबिक मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, फिलहाल लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। एएसआई प्रदीप कुमार के मुताबिक सोमवार को उनकी बेटी का रिजल्ट आया था, जिसके बाद कम नंबर आने की वजह से वो काफी तनाव में थी। शायद इसीलिए उन दोनों ने इतना बड़ा कदम उठाया

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बैंकाक से आज लौटेंगे भारत

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी दो दिवसीय थाईलैंड यात्रा खत्म करके आज भारत लौट रहे हैं। वो आज दोपहर तक नई दिल्ली पहुंच जाएंगे। मनमोहन सिंह की पांच दिवसीय जापान और थाईलैंड यात्रा सोमवार से शुरू हुई थी। वो गुरुवार को टोक्यो से थाइलैंड पहुंचे थे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह बैंकाक से आज लौटेंगे भारत
बैंकाक में प्रधानमंत्री ने थाईलैंड की अपनी समकक्ष यिंगलक शिनावात्रा से मुलाकात की। भारत और थाईलैंड ने प्रत्यर्पण संधि सहित सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए। जापान की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान सिंह ने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो एबे से मुलाकात की।

हैरत, अब तो फेसबुक पर भी नजर आ रहा है नक्सलवाद!

नक्सलियों की पहुंच अब सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर भी नजर आ रही है। फेसबुक पर कुछ लोगों ने नक्सल छत्तीसगढ़ के नाम से एक प्रोफाइल बनाया गया है जिससे नक्सलवाद का प्रचार किया जा रहा है। हैरत की बात यह है कि इस प्रोफाइल में मित्र के रूप में प्रदेश के कई बड़े नेताओं सहित 293 लोग शामिल हैं और कुछ लोग इस प्रोफाइल को फॉलो भी कर रहे हैं।
प्रोफाइल में कई स्थानों पर लाल सलाम लिखते हुए नक्सलियों के फोटो डाले गए हैं। प्रोफाइल में नक्सली हमले में शहीद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल के शव के साथ एक व्यक्ति भी नजर आ रहा है जो काली वर्दी पहना हुआ है। तस्वीर धुंधली होने के कारण यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि वह नक्सली है या पुलिस का जवान। प्रोफाइल में मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ भी टिप्पणी की गई है।
हैरत, अब तो फेसबुक पर भी नजर आ रहा है नक्सलवाद!
यह आईडी जनवरी 2013 में बनाया गया है। नेताओं के खिलाफ टिप्पणी और नक्सलवाद के प्रचार के साथ ही आईडी में ड्रग्स की कीमत भी दी गई है और खरीदने के लिए संपर्क करने कहा गया है। संभव है कि आईडी कुछ लोगों द्वारा मजाक के उद्देश्य से बनाई गई हो या किसी की आईडी को हैक कर नक्सलवाद का प्रचार किया जा रहा है। पुलिस का कहना है कि नेताओं के खिलाफ टिप्पणी से मामला गंभीर नजर आता है।

शूटर वर्षा तोमर ने पति-सास के खिलाफ दर्ज कराई FIR

अंतर्राष्ट्रीय शूटर और एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता वर्षा तोमर ने अपने पति सूरज चौधरी और सास के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है। वर्षा ने यह मामला गुड़गांव के डीएलएफ थाने में दर्ज कराया है। वर्षा की शिकायत के बाद गुरुवार को पुलिस ने सूरज चौधरी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया।
अंतर्राष्ट्रीय शूटर एवं एशियन गेम्स में स्वर्ण विजेता वर्षा तोमर ने सूरज चौधरी से शादी 2011 में की थी। लेकिन कुछ दिनों के बाद दोनों के बीच संबंध बिगड़ने लगे। वर्षा के मुताबिक सूरज और उसका परिवार लगातार उससे दहेज की मांग कर रहा था। इतना ही नहीं दहेज नहीं देने पर कई बार उसके साथ मारपीट भी की गई। एफआईआर होने के बाद पुलिस ने सूरज चौधरी को गिरफ्तार कर लिया। गुड़गांव डीसीपी महेश्वर दयाल ने बताया कि वर्षा तोमर ने एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसके बाद उसके पति सूरज चौधरी को गिरफ्तार कर लिया है।
शूटर वर्षा तोमर ने पति-सास के खिलाफ दर्ज कराई FIR
वहीं वर्षा के पति सूरज चौधरी के वकील महावीर सिंह इन आरोपों को झूठा बता रहे हैं। उनका कहना है कि सूरज को सोची-समझी योजना के तहत फंसाया जा रहा है क्योंकि वर्षा के संबंध एक बड़े पुलिस अधिकारी से हैं और उसी कहने पर ही ये ने मामला दर्ज कराया है। सूरज के वकील महावीर सिंह का कहना है कि सूरज और वर्षा गुडगांव में रहते ही नही तो गुडगांव में किस आधार पर मामला दर्ज किया गया है।
मामला अंतर्राष्ट्रीय महिला शूटर से जुड़ा होने के नाते पुलिस ने कार्रवाई में तेजी की है। हालांकि जांच के बाद ही पता चल पाएगा कौन झूठ बोल रहा है।

अब सलवा जुडूम के नेताओं को जान से मारने की धमकी

छत्तीसगढ़ के सुकमा में कांग्रेस काफिले में हमले के बाद नक्सली अपनी दहशत को कम नहीं होने देना चाहते हैं। 25 मई को दरभा घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस के नेताओं सहित 30 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। अभी ये मामला शांत भी नहीं हुआ है कि फिर से नक्सलियों ने सुकमा कलेक्टर के नाम खत जारी कर सलवा जुडूम के नेताओं को जान से मारने की धमकी दी है। यही नहीं, खुफिया एजेंसियों से सरकार को जो खबरें मिल रही हैं, उसके मुताबिक नक्सलियों के निशाने पर अब बड़े शहर हैं।
सुकमा के पास दरभा में जो कुछ हुआ उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। खुफिया एजेंसियों को भनक लगी है कि नक्सली दरभा की ही तरह और हमलों को अंजाम देने की साजिश रच रहे हैं और इस बार उनके निशाने पर देश के बड़े शहर हो सकते हैं।
अब सलवा जुडूम के नेताओं को जान से मारने की धमकी
केंद्र और राज्य सरकारों को मिली खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक नक्सली अब बड़े शहरों को निशाना बनाने की ताक में हैं। नक्सलियों के निशाने पर देश की राजधानी दिल्ली भी है। पुणे पर हमले के लिए भी नक्सली ठोस रणनीति बना रहे हैं।



इसके अलावा नक्सल प्रभावित इलाकों से सटे बड़े शहर भी नक्सलियों के निशाने पर हो सकते हैं। खुद गृह मंत्री ने भी नक्सलियों से मिले रहे खतरों को माना है। केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि हां, जिस तरह से नक्सलियों ने सुकमा में कांग्रेसियों को निशाना बनाया है। उसे देखकर यह कहा जा सकता कि नक्सली के निशाने पर बड़े शहर भी हैं।
खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अपना असर दिखाने के लिए नक्सली अपने प्रभाव वाले इलाके से बाहर निकलने की फिराक में हैं। इसके पीछे उनका मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान खींचना और अपने कैडरों का हौंसला बढ़ाना है।
सूत्रों के मुताबिक, माओवादियों की निराशा का अंदाजा उनके शीर्ष नेताओं के बीच हुई बातचीत से लगाया जा सकता है। सुरक्षा एजेंसियों ने माओवादियों के कुछ शीर्ष नेताओं के बीच होने वाली बातचीत सुनी है जो छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा के घने जंगलों में छिपे हुए हैं।
खुफिया एजेंसियों की माने तो नक्सलियों के निशाने पर देश के बड़े-बड़े नेता भी हैं। दरभा मामले के बाद राज्य और केंद्र सरकार सचेत है और सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया गया है। इस बीच सुकमा के कलेक्टर को डाक से भेजा गया एक खत मिला है। खत लिखने वाले ने खुद के माओवादी होने का दावा किया है और लिखा है कि सलवा जुडूम के सदस्यों और पुलिस के मददगारों को दरभा जैसा ही जवाब दिया जाएगा।
नक्सलियों ने खत के जरिए सलवा जुडूम के नेताओं को जान से मारने की धमकी दी है। नक्सलियों ने बाकायदा सलवा जुडूम नेताओं और पुलिस के मददगारों का नाम भी खत में लिखा है। नक्सलियों के दरभा डिविजनल कमिटी ने बस्तर में तैनात सीआरपीएफ को हटाने की मांग की है और उनके खिलाफ चल रहे ऑपरेशन ग्रीन हंट को बंद करने को कहा है। इसी तरह राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे विकास यात्रा और कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को बंद करने की भी चेतावनी दी है।
नक्सलियों के जेल में बंद साथियों को भी रिहा करने की मांग दरभा कमेटी ने पत्र में किया है। साफ है, दरभा हमले के बाद नक्सलियों का हौसला बढ़ा है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार की तरफ से नक्सलियों पर जल्द लगाम लगाने के दावे किए जा रहे हैं।

कैसे बनेगा अब नोएडा में आशियाना, अलॉटमेंट रेट बढ़ा

दिल्ली से सटा नोएडा एक्स्टेंशन और यमुना एक्सप्रेसवे अभी तक अफोर्डेबल हाउसिंग का एक अच्छा ऑप्शन माना जाता है। लेकिन, जल्द ही इन इलाकों में घर खरीदना महंगा होने जा रहा है। जमीन अधिग्रहण को लेकर हुए विवाद के बाद प्रशासन ने किसानों के मुआवजे में बढ़ोतरी की है। साथ ही, अलॉटमेंट रेट भी बढ़ा दिया गया है।
कैसे बनेगा अब नोएडा में आशियाना, अलॉटमेंट रेट बढ़ा
बढ़ी हुई कीमत का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा नोएडा और यमुना एक्सप्रेस वे में। इन इलाकों में अलॉटमेंट रेट में 15 फीसदी की बढ़ोतरी की गई। वहीं ग्रेटर नोएडा में बढ़ोतरी करीब 9 फीसदी है। रिहायशी इलाकों के अलावा नोएडा में इंडस्ट्रियल और कमर्शियल प्रॉपर्टी के अलॉटमेंट रेट में 12-30 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है। इसके बाद नोएडा में फ्लैट्स 11000 रुपए वर्ग मीटर यानी करीब 1250 रुपए स्क्वैयर फीट तक महंगे हो सकते हैं।
पहले से ही मंदी से गुजर रहे रियल एस्टेट सेक्टर के लिए ये एक बुरी खबर है। प्रशासन का तर्क है कि जमीन विवाद के चलते ग्रेटर नोएडा जैसी अथॉरिटी पैसे की कमी से जूझ रही हैं और उनके कई प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। ऐसे में अलॉटमेंट रेट बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है, ताकि रुके हुए प्रोजेक्ट वापस पटरी पर लाएं जा सकें।

अखिलेश सरकार के गले की फांस बना खालिद की मौत का केस

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित वाराणसी और फैजाबाद के अदालत परिसरों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के आरोपी खालिद मुजाहिद की मौत के बाद प्रदेश सरकार द्वारा दी गई मुआवजे की राशि को परिवार द्वारा लौटाने के बाद खालिद अब अखिलेश सरकार के गले की फांस बनता नजर आ रहा है।
प्रदेश सरकार को लोकसभा चुनाव में जहां एक खास वर्ग के मुस्लिमों की नाराजगी का भय सता रहा है तो वहीं विपक्षी दलों ने सरकार के इस निर्णय को मुस्लिम तुष्टीकरण की संज्ञा देकर सीधा कटघरे में खड़ा कर दिया है।
अखिलेश सरकार के गले की फांस बना खालिद की मौत का केस
लखनऊ वाराणसी और फैजाबाद अदालत परिसरों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के आरोपी खालिद मुजाहिद की 18 मई को फैजाबाद की अदालत में पेशी से लौटते वक्त रास्ते में तबीयत खराब हो गई। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना से नाराज मुस्लिम संगठन प्रदेश सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए और मुखर होकर प्रदेश सरकार का विरोध करने लगे।
प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) को मुस्लिमों वोटों के छिटकने और मिशन 2014 का डर सताने लगा और प्रदेश सरकार ने आनन-फानन में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव को खलिद मुजाहिद के मड़ियाहूं स्थित घर पहुंच कर परिजनों को 6 लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया।
प्रदेश सरकार को तब एक और धक्का लगा जब खालिद मुजाहिद के चाचा जहीर आलम फलाही ने यह कहते हुए चेक लेने से इनकार कर दिया कि वह इस राशि को मंजूर करके मुजाहिद की रूह को तकलीफ नहीं पहुंचाना चाहते हैं। इससे सात गुना पैसा तो कोर्ट कचहरी में खर्च हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मुजाहिद और हकीम तारिक कासमी की गिरफ्तारी की जांच के लिए गठित निमेष आयोग की रिपोर्ट छिपाकर मुजाहिद के कत्ल का रास्ता साफ किया था।
खालिद के चाचा ने कहा कि हमे न्याय मिले इसके लिए हमने मुआवजे की रकम ठुकराई है। खालिद मुजाहिद की मौत के मामले में दोषी पुलिसकर्मियों को सजा दिलाने साहित अन्य मांगों को लेकर विधान भवन के सामने चल रहे धरने में खालिद के चाचा के तेवर कुछ इसी तरह दिखे। असल में यह तेवर खालिद के चाचा के ही नहीं कुछ खास मुस्लिम वर्ग के थे जो प्रदेश सरकार के खिलाफ आक्रोशित नजर आ रहे हैं।
अगले साल होने जा रहे आम चुनाव को देखते हुए प्रदेश सरकार किसी भी कीमत पर मुस्लिम वोटों को अपने से जुदा होने नहीं देना चाहती है।
वहीं प्रदेश सरकार के फैसले का भारतीय जनता पार्टी ने मुखर होकर विरोध किया है। बीजेपी ने 2007 श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट के आरोपी की पुलिस हिरासत में हुई मौत पर उसके परिवार को मुआवजा देने की सरकारी नीति के प्रयोग पर कड़ा ऐतराज जताया है।
भाजपा ने अखिलेश सरकार पर अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण करने का आरोप लगाया है। प्रदेश भाजपा ने इस मामले में राज्यपाल बीएल जोशी को ज्ञापन भी सौंपा है और राज्यपाल से अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए सरकार के इस निर्णय पर रोक लगाने की मांग की है।

ऐन वक्त पर बदल दिया गया था कांग्रेस काफिले का रूट!

सुकमा हत्याकांड की जांच से जुड़ी एजेंसियों को शक है कि परिवर्तन रैली के लिए निकले नेताओं के काफिले के रूट में आखिरी वक्त में फेरबदल किया गया था। सीआरपीएफ के सूत्रों के मुताबिक के हवाले से एक अखबार ने इसका खुलासा किया है। सूत्रों के मुताबिक नक्सली हमले के बाद सीआरपीएफ की टीम ने मौके का मुआयना किया था।
इस टीम ने शुरुआती जांच में पाया है कि नेताओं के काफिले के रूट को आखिरी समय में बदल दिया गया। CRPF की जांच टीम को लगता है कि किसी ने अंतिम समय में नेताओं के रूट में बदलाव करवाया। हालांकि अभी तक ये नहीं साफ हो पाया है कि किसने और कब और किस तरह रूट में बदलाव करवाया। सीआरपीएफ ने जांच में ये भी पाया कि नेताओं की सुरक्षा को लेकर भी कई तरह की कमियां थीं।
ऐन वक्त पर बदल दिया गया था कांग्रेस काफिले का रूट!
सीआरपीएफ के सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ पुलिस को जो रूट प्लान दिया गया था उसमें खास रूट की पसंद को लेकर कोई जिक्र नहीं था। सूत्रों के मुताबिक शुरुआती योजना दंतेवाड़ा के गदीरास की तरफ से जगदलपुर जाने की थी। लेकिन इसे अमल में नहीं लाया गया। IBN7 ने पहले भी बताया था कि नेताओं के काफिले के रूट में आखिरी वक्त में बदलाव किया गया था।

अब मिली गृहमंत्री शिंदे को फुर्सत, आज जाएंगे छत्तीसगढ़

सुकमा में हुए नक्सली हमले के 6 दिन आज केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को आज फुर्सत मिल गई है। आज सुशील कुमार शिंदे पहली बार छत्तीसगढ़ जाएंगे। हमले के वक्त अमेरिका की यात्रा पर थे। अपनी यात्रा के दौरान शिंदे छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था और माओवादियों के खिलाफ अभियान की समीक्षा भी करेंगे।
देश के गृह मंत्री शुक्रवार यानी आज छत्तीसगढ़ जाएंगे। नक्सली हमले के वक्त वह अमेरिका में थे। देश के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे आंखों के डॉक्टर से मिलने के लिए अमेरिका में गए हुए थे। बहरहाल अमेरिका से अपने वतन लौटने के बाद शिंदे मीडिया के सामने आए और नक्सली हमले के पांच दिन बाद ही सही इस हमले को जी भर के कोसा।
अब मिली गृहमंत्री शिंदे को फुर्सत, आज जाएंगे छत्तीसगढ़
शिंदे ने देश को भरोसा दिया कि हमले के कसूरवारों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान शिंदे राज्य की कानून व्यवस्था की समीक्षा करेंगे। गृह मंत्री माओवादियों के खिलाफ अभियान की भी समीक्षा करेंगे। इस दौरान वो खास तौर पर माओवाद प्रभावित जिलों में विकास कार्यों के बारे में राज्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ बातचीत करेंगे। देश के गृह मंत्री के मुताबिक नक्सल प्रभावित राज्यों में काम करने वाले नेताओं को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
नेताओं को नक्सलियों से जिस तरह का खतरा है, उसके मद्देनजर ये जरूरी भी है। लेकिन सरकार को नक्सल प्रभावित इलाके में आम लोगों की भी सुध लेनी होगी। सूत्रों का दावा है कि नक्सलियों को काबू में करने के लिए नई रणनीति बनाई गई है। रणनीति को पूरी अंजाम तक पहुंचाने के लिए 5 साल का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए अगले तीन साल में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में 27 नई बटालियन तैयार की जाएगी। इस समय 86 बटालियन नक्सल विरोध अभियान में लगी हैं। बड़े नक्सली नेताओं के बारे में खुफिया जानकारी जुटाने को प्राथमिकता दी जाएगी। मानव रहित विमान के संचालन का एक केंद्र भिलाई में खोला जाएगा। ये केंद्र दिसंबर 2013 तक शुरू हो जाएगा।

'ऑनर' की खातिर पिता ने किया गर्भवती बेटी का किडनैप!

मुंबई के बांद्रा इलाके में ऑनर किडनैपिंग का मामला सामने आया है। जहां एक बाप पर ही अपनी गर्भवती बेटी को जबरन अगवा करने का आरोप है। अगवा की गई महिला के पति की शिकायत के बाद बांद्रा पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस महिला और उसके पिता की तलाश में जुट गई है।
मोबाइल से लिए गए वीडियो में एक 7 महीने की गर्भवती महिला को किडनैप करते हुए दिखाया गया है। महिला को किडनैप करनेवाला सफेद शर्ट और पैंट पहना ये शख्स कोई और नहीं खुद महिला का पिता है। मिली जानकारी के मुताबिक लड़की जिसे किडनैप किया गया है उसका नाम सलमा खान है। लड़की के पिता का नाम सदरुद्दीन खान है। दरअसल सलमा जिसकी उसके पिता ने जबरन कहीं और शादी करवाई थी। उसने अपने पति को छोड़कर अपने प्रेमी सैफ के साथ शादी कर ली थी और उसके साथ ही रह रही थी।
'ऑनर' की खातिर पिता ने किया गर्भवती बेटी का किडनैप!
शिकायतकर्ता सैफ बाटलीवाला ने बताया कि मेरी बीवी सात महीने से प्रेग्नेंट है। मुझे उसकी चिंता है। मैं घर पर नहीं था तभी मेरे ससुर उसे जबरन ले गए। महिला के पति सैफ की शिकायत पर बांद्रा पुलिस ने आरोपी अपहरणकर्ता पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और उसकी जोर शोर से तलाश कर रही है। लेकिन लड़की का पिता फरार है।
पुलिस के मुताबिक आरोपी पिता सदरुद्दीन एक ऑयल माफिया है और उसके पहले भी उसका क्राइम रिकॉर्ड है। लेकिन अपहरण के इस केस में नया एंगल उस वक्त आया जब पुलिस को तफ्दीश में ये पता चला कि सलमा के अपहरण में सिर्फ उसका पिता शामिल नहीं बल्कि सलमा के पति सैफ की पहली पत्नी का भी हाथ है।
मुंबई के बांद्रा डिविजन के एसीपी सुरेश मराठे ने बताया कि सैफ की पहली पत्नी शाजिया को गिरफ्तार किया है। जबकि उसके पिता सदरुद्दीन फरार हैं। दरअसल इस फैमिली ड्रामे की शुरुआत 2007 में तब हुई जब सलमा ने अपने पिता की मर्जी के खिलाफ सैफ बाटलीवाला से शादी की। सलमा का पिता तब डरा धमका कर उसे जबरन अपने साथ ले गया और उसकी शादी दूसरे लड़के से करके सलमा और लड़के को विदेश भेज दिया। वहीं सैफ ने भी सलमा का लंबे समय तक इंतजार करने के बाद शाजिया नाम की लड़की से दूसरी शादी कर ली। लेकिन पिछले साल जब सलमा अपने नए पति के साथ गोवा घूमने गई थी तब वहां उसकी मुलाक़ात सैफ से हुई जिसके बाद वो सैफ के साथ भागकर वापस मुंबई आ गई।
अब सैफ और उसकी दूसरी पत्नी शाजिया में अनबन शुरू हो गई, बात तलाक तक पहुंची। शाजिया ने सैफ का घर छोड़ दिया और सलमा के पिता सदरुद्दीन को उसकी बेटी के सैफ के साथ होने की जानकारी दे दी।

थानेदार ने महिला को मारा थप्पड़ और मचा बवाल

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के एक थाने में थानेदार ने कुछ बेकसूर महिलाओं को जमकर थप्पड़ जड़े, उन्हें भद्दी भद्दी गालियां दी गईं और यह सबकुछ हुआ थाना परिसर में। वीडियो देखें
देखें: थानेदार ने महिला को मारा थप्पड़ और मचा बवाल

रितुपर्णो घोष की कुछ यादगार फिल्में

बंगाली फिल्मों के मशहूर डायरेक्टर रितुपर्णो घोष 49 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। लेकिन इस दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक फिल्में दीं। उन्हें मिले 12 नेशनल अवॉर्ड इसका सबूत हैं कि उन्होंने बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री में कितनी गहरी छाप छोड़ी। तस्वीरों के जरिए नजर डालते हैं उनकी कुछ बेहतरीन फिल्मों पर।
<a href='http://khabar.ibnlive.in.com/photogallery/4863/'><font size=4><font color=red> देखें: रितुपर्णो घोष की कुछ यादगार फिल्में </font></font size></a>

अलग-थलग पड़ने लगे हैं श्रीनिवासन, वोटिंग हुई तो खेल खत्म

स्पॉट फिक्सिंग विवाद में दामाद पर आरोप लगने के बाद से श्रीनिवासन से इस्तीफे की मांग की जा रही थी। लेकिन अब तक इस्तीफे की मांग की अनदेखी करने वाले श्रीनिवासन की असल मुश्किलें अब शुरू हुई हैं। एक अखबार ने दावा किया है कि श्रीनिवासन बोर्ड में अलग-थलग पड़ने लगे हैं और अब बोर्ड के ज्यादातर सदस्य उनके इस्तीफे के हक में हैं। ऐसे में नौबत वोटिंग की आ सकती है। अखबार के मुताबिक ऐसा हुआ तो श्रीनिवासन की विदाई तय है। बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष ने तो श्रीनिवासन का इस्तीफा नहीं मिलने की सूरत में खुद पद छोड़ने तक की धमकी दे दी है।
कहते हैं वक्त कभी एक सा नहीं रहता और जब वक्त बदलता है तो बड़े-बड़ों के दिन फिरते देर नहीं लगते कुछ ऐसी ही हो रहा है अब बीसीसीआई प्रमुख एन श्रीनिवासन के साथ। राजनीति में अगर एक हफ्ता लंबा वक्त है तो क्रिकेट पॉलिटिक्स के लिए 5 दिन भी जीवन के बराबर है। आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के मामले के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन पर इस्तीफे का दबाव बढ़ गया है। बीते रविवार को बोर्ड का सर्वसम्मत समर्थन होने का दावा करने वाले श्रीनिवासन शायद अब अपनी बात को नहीं दोहरा सकते।
अलग-थलग पड़ने लगे हैं श्रीनिवासन, वोटिंग हुई तो खेल खत्म
एक अंग्रेजी अखबार की माने तो अब बोर्ड के कोषाध्यक्ष अजय शिर्के ने ही अपने अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अखबार के मुताबिक शिर्के ने कहा है कि मैं कुछ दिन और इंतजार कर रहा हूं। अगर श्रीनिवासन ने अपना पद नहीं छोड़ा तो मैं इस्तीफे पर विचार नहीं करूंगा, बल्कि अपना पद छोड़ दूंगा।
साफ है, महज पांच दिन में ही गणित श्रीनिवासन के खिलाफ हो चुका है। एक अंग्रेजी अखबार की माने तो बोर्ड में बहुमत अब श्रीनिवासन के साथ नहीं रहा। शिर्के का बयान श्रीनिवासन विरोधी गुट के मजबूत होने की बानगी है। शायद यही वजह है कि श्रीनिवासन के शुरुआती बयान के बाद चुप रहने वाले बीसीसीआई के अधिकारी एक-एक कर उनके खिलाफ बयान देने लगे हैं।
शिर्के ने अखबार से कहा कि बारीकी से गौर करें तो श्रीनिवासन को बोर्ड को इमरजेंसी मीटिंग बुलाना चाहिए। लेकिन वह ऐसा तब भी नहीं कर रहे जब भारतीय क्रिकेट बुरे दौर से गुजर रहा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने तो श्रीनिवासन के पद नहीं छोड़ने की हालत में सरकार से बीसीसीआई को ही भंग करने की सलाह दी है। सिन्हा के मुताबिक सरकार को बीसीसीआई को भंग कर प्रशासक नियुक्त करना चाहिए।
आईपीएल के एक सीजन की गड़बड़ियों की जांच यशवंत सिन्हा की कमेटी ने की थी। सिन्हा का दावा है कि उन्हें जो रिपोर्ट दी गई थी उस समय श्रीनिवासन खुद बीसीसीआई के सचिव थे। सिन्हा के मुताबिक तब श्रीनिवासन ने माना था कि आईपीएल में भारी गड़बड़ियां हुईं, लेकिन इसके बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।
कुछ दिन पहले तक श्रीनिवासन के बयानों पर किसी तरह का प्रतिक्रिया देने से बचने वाले बोर्ड के अधिकारी भी अब बोलने लगे हैं। बोर्ड के अधिकारियों का बदला रवैया बहुत कुछ कहता है। अखबार के मुताबिक श्रीनिवासन ने बोर्ड में बहुमत खो दिया है। वोट की हालत में कम से कम 18 वोट उनके खिलाफ जा सकते हैं, जबकि उनके पक्ष में महज 6 वोट जा सकता है
इन 6 वोट में दो वोट खुद उनका होगा। एक तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष होने की वजह से मिलने वाला वोट
और दूसरा बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष।
ऐसा होने पर 7 वोट ऐसे भी होंगे जो इस पूरी प्रक्रिया से ही बचना चाहेंगे। लेकिन वो हालात देखकर अपना रास्ता बदल भी सकते हैं और बहुमत की ओर जा सकते हैं। अगर इसमें से 6 वोट भी श्रीनिवासन के खिलाफ जाने का मन बना लेते हैं तो अध्यक्ष के खिलाफ वोटों का पूरा आंकड़ा बढ़कर 24 हो जाएगा। ऐसे में तीन-चौथाई का बहुमत श्रीनिवासन के खिलाफ हो जाएगा और वो हार जाएंगे। ये 7 वोट ही ऐसे में अहम किरदार निभाएंगे। अगर ये आंकड़े सही हैं तो बीसीसीआई में श्रीनिवासन के दिन अब घंटों में ही बचे हैं।

GDP ग्रोथ रेट में भारी गिरावट, 10 साल में पहली बार 5%

देश की आर्थिक तरक्की की रफ्तार बताने वाले जीडीपी के आंकड़े आ गए हैं। वित्त वर्ष 2013 की चौथी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 4.8 फीसदी रही है। जबकि जबकि 2013 में ग्रोथ 5 फीसदी है जो पिछले दस सालों में सबसे कम है। आपको बता दें कि ये आंकड़े रेटिंग एजेंसियों के अनुमान के मुताबिक ही आए हैं।
जीडीपी आंकड़े का असर शेयर बाजार पर भी पड़ा है। आंकड़ों के सामने आते ही शेयर बाजार में भी गिरावट दर्ज की गई। आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2013 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ 5.5 फीसदी, दूसरी तिमाही में 5.3 फीसदी और तीसरी तिमाही में 4.5 फीसदी रही थी।
GDP ग्रोथ रेट में भारी गिरावट, 10 साल में पहली बार 5%
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उम्मीद जताई थी कि वैश्विक और घरेलू वजह से ग्रोथ 5 फीसदी पर पहुंची है। लेकिन ग्रोथ बढ़ाने के लिए सरकार ने कई फैसले किए हैं और सरकार को 8 फीसदी ग्रोथ हासिल करने का पूरा भरोसा है। जबकि आरबीआई के गर्वनर डी सुब्बाराव ने कहा था कि इस साल 5 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ की उम्मीद नहीं है। उन्होंने भी माना था कि ये 10 सालों में सबसे कम होगी।

Wednesday, May 29, 2013

इंटरनेट से निकल कर बड़े पर्दे पर आ रही है 'सविता भाभी'

इंटरनेट पर देसी आंटी सविता भाभी को रचने वाले ब्रिटिश बिजनेसमैन देशमुख अब इंटरनेट सेंसरशिप को लेकर फिल्म बना रहे हैं। देशमुख का कहना है कि इस फिल्म के जरिए वो दिखाना चाहते हैं कि सविता एक कामुक गृहिणी के अलावा भी बहुत कुछ है।
देशमुख कहते हैं कि उनकी ये फिल्म इंटरनेट सेंसरशिप और फ्रीडम ऑफ स्पीच का मुद्दा उठाएगी। हाल ही में दो लड़कियों को फेसबुक पर कमेंट करने पर गिरफ्तार कर लिया गया था। ये फिल्म इसी तरह के मुद्दे को उठाएगी। इस फिल्म में रोजलीन खान मुख्य किरदार निभा रही हैं। इसमें वो खुद को संभालती तो नजर आएंगी ही इसके अलावा दो युवाओं के द्वंद में भी फंसी नजर आएंगी। कैसे वो मुश्किल से निकलती है यही फिल्म की खासियत है।
देशमुख कहते हैं कि सविता भाभी डॉट कॉम बनाते वक्त उनके दिमाग में इसे खास रंग देने का मकसद नहीं था। लेकिन धीरे-धीरे ये अपने आप ही इस रूप में ढल गई। लोगों के रिस्पॉन्स को देखकर हमें लगा कि इसके जरिए भारतीय पुरुषों को सिखाया जा सकता है कि महिलाओं को भी सेक्स की जरूरत होती है।
इंटरनेट से निकल कर बड़े पर्दे पर आ रही है 'सविता भाभी'

माधुरी को रणबीर नहीं ऋषि कपूर लगते हैं ज्यादा चार्मिंग

रणबीर कपूर ने ये जवानी है दीवानी के प्रमोशन में हर जगह ये जता दिया कि वो माधुरी दीक्षित को कितना पसंद करते हैं। लेकिन माधुरी ने तो रणबीर का दिल ही तोड़ दिया और वो भी रणबीर के पिता ऋषि कपूर के लिए।
हाल ही में बॉलीवुड की मोहिनी माधुरी दीक्षित ने ऐलान कर दिया कि रणबीर नहीं बल्कि उनके पिता ऋषि कपूर ज्यादा चार्मिंग हैं। गौरतलब है कि माधुरी और ऋषि ने एक साथ दो फिल्मों साहिबा और याराना में काम किया है। ये पहली बार है कि माधुरी ने अपने को-स्टार के बेटे के साथ ताल से ताल मिलाई है।
माधुरी को रणबीर नहीं ऋषि कपूर लगते हैं ज्यादा चार्मिंग
माधुरी के लिए बाप और बेटे में चुनना आसान हो गया था कि कौन ज्यादा लड़कियों को मोहित करता है। इसलिए इस मिलियन डॉलर स्माइल वाली दीवा ने ऋषि कपूर को चुना। हांलाकि उन्हें रणबीर की एनर्जी और उसके डांसिग स्किल्स को लेकर कोई शक नहीं है। लेकिन जब बात लड़कियों के मन को लुभाने की आई तो आज भी माधुरी की नजर में ऋषि ज्यादा मशहूर हैं।

नक्सली हमले से सलवा जुडूम समर्थकों में फैली दहशत!

नक्सलियों ने हमला कर खास तौर से सलवा जुडूम से दुश्मनी निकाली है। कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा ने नक्सलियों के खिलाफ सलवा जुडूम मुहिम चलाई थी जिसे छत्तीसगढ़ सरकार ने भी समर्थन दिया। मगर सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुडूम पर पाबंदी लगा दी। 25 मई के हमले में महेंद्र कर्मा की नक्सलियों के हाथों हुई बर्बर हत्या के बाद सलवा जुडूम कैंप में दहशत का आलम है। हैरानी की बात ये है कि ऐसे संवेदनशील मौके पर भी रमन सिंह सरकार सलवा जुडूम कैंप में जरूरत के मुताबिक पुलिस फोर्स नहीं लगा रही है।
बस्तर के कासुली गांव में लगे सलवा जुडूम के कैंप में दहशत है। छत्तीसगढ़ सरकार ने सलवा जुडूम यानि नक्सलियों के खात्मे के लिए बनाए गए स्थानीय आदिवासियों के हथियारबंद दस्ते से जुड़े लोगों को इस कैंप में बसाया है। सुकमा हमले के बाद यहां रह रहे लोगों की नींद उड़ गई है। ये वो लोग हैं जो राज्य सरकार और महेंद्र जैसे नेताओं के कहने पर नक्सलियों के खिलाफ मुहिम का हिस्सा तो बन गए लेकिन सलवा जुडुम के खत्म होने के बाद न इधर के रहे न उधर के।
नक्सली हमले से सलवा जुडूम समर्थकों में फैली दहशत!
सलवा जुडुम कैंप आज खुद दहशत के घेरे में है लेकिन सच ये भी है कि कभी यही सलवा जुडुम खुद दहशत का नाम था। मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि नक्सलियों के सफाए के नाम पर बनाए गए सलवा जुडुम ने स्थानीय आदिवासियों पर कहर बरपाया। गांव के गांव जला डाले, नक्सली बताकर तमाम लोग मार डाले गए। इसीलिए 2005 में बनी इस मिलिशिया की तुलना बिहार में जातीय सेनाओं से की जाने लगीं और आखिर सुप्रीम कोर्ट ने उसपर पाबंदी लगा दी।
नक्सली हमले के बाद एक बार फिर सवाल पैदा हो गया है कि नक्सलियों से लड़ने के नाम पर खर्च हो रहे करोड़ों के फंड सही तरीके से इस्तेमाल हो रहे हैं। क्या अब वक्त नहीं आ गया है कि इस राशि का लेखा जोखा किया जाए। क्या तरक्की के फायदे गरीब आदिवासियों तक पहुँच रहे हैं। कागजी शेर बनकर उभरी केन्द्र की मनरेगा योजना का फायदा आदिवासियों तक कितना पहुँचा है।
आखिर क्यों इस प्रदेश की बेहद उपजाऊ लाल मिट्टी नक्सलियों के लिए भी खासी उपजाऊ साबित हो रही है। आखिर क्यों इस मिट्टी पर उनके विचार, काडर और आतंक का राज कायम होता जा रहा है। दावा है कि मुख्यमंत्री रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ की जनता को चावल से लेकर चप्पल की सौगात दी। लेकिन क्या ये चप्पल और चावल जमीन पर मौजूद इंसान को नसीब हुए।
अगर प्रदेश में चौतरफा विकास होता तो नक्सल समस्या विकराल रूप क्यों धारण करती। क्या खुद मुख्यमंत्री को विकास यात्रा के लिए सड़क के बजाय हेलीकॉप्टर से उड़ कर जाना पड़ता। विपक्ष की नजर में ये विकास जनविरोधी है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी कहते हैं कि मनरेगा में करोड़ों की कीटनाशक दवाएं खरीद लीं। मनरेगा रोजगार देने के लिए होता है या फिर खरीदी के लिए। अगर सही क्रियान्वयन होता तो गरीब आदिवासियों को काम तो मिला होता।
वाय फेक्टर भी नक्सली समस्या की एक जड़ है। छत्तीगढ़, आंध्रप्रदेश और ओड़िसा की सीमा पर वाय की आकृति बनती है। ये वाय इलाका खनिज संपदा से भरपूर है। लड़ाई इस बात की है कि इस खनिज संपदा का मालिक कौन है। सुकमा नक्सली हमले ने एक बार फिर राज्य में आदिवासी विकास के मुद्दे को गर्मा दिया है। कम से कम विकास के हकीकत जांचने की बातें की जा रही हैं। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश कहते हैं कि अब समय आ गया है कि हम सोचें कि तरक्की क्या है और कैसे हो रही है। इसकी प्रक्रिया क्या है।
कुदरत ने बस्तर के छत्तीसगढ़ इलाके को सब कुछ दिया है। लेकिन फिर भी इलाका अमीर है और लोग गरीब। खनिज की खदाने हैं। और हरा भरा जंगल। सौ रूपये कमाने के लिए लोग दिन भर मेहनत मजदूरी करते हैं। इसके बाद भी दो वक्त की रोटी मिल जाए तो किस्मत की बात है। एक बार इस बात की तलाश करनी है कि अगर कुदरत ने संपदा दी है तो उसका इस्तेमाल कौन करेगा।

जेल में जन्मे बेटे ने दिलाई 19 साल बाद मां को रिहाई

हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी महिला की दास्तां जो सिर्फ पांच हजार रुपये न होने की वजह से 19 साल जेल में सड़ती रही। जेल में ही उसने अपने बेटे को जन्म दिया, उसी बेटे ने 19 साल बाद पैसे जुटाकर मां की जमानत कराई। आज वो मां जेल की काल कोठरी से बाहर है, लेकिन इस कहानी ने हमारे समाज और सिस्टम को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
इस अभागन का नाम है विजय कुमारी। इसने 19 साल सलाखों के पीछे काटे हैं, जबकि सच तो ये है कि जेल जाने के ही महज एक साल बाद इसकी जमानत हो गई थी, लेकिन जिस पति को जमानत के पांच हजार रुपये बतौर मुचलका अदा करनी थी वो लौट कर आया ही नहीं, ससुराल वालों ने भी कोई सुध नहीं ली, ये किस्सा है 1993 का जब अलीगढ़ में अपने ससुराल रह रही विजय कुमारी पर एक बच्चे की हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ, ससुराल वालों की रंजिश पड़ोसियों से थी और इसी रंजिश के दौरान ही तालाब में एक बच्चे की लाश मिलने पर हत्या का आरोप विजय कुमारी पर आ गया, लोअर कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई, साल भर बाद 1994 में उसे जमानत मिल गई, लेकिन जमानत के पांच हजार का इंतजाम होता तब तक जेल में गुजर गए 19 साल।
जेल में जन्मे बेटे ने दिलाई 19 साल बाद मां को रिहाई
कहानी यहीं खत्म नहीं हुई, विजय कुमारी जब लखनऊ के नारी बंदी गृह भेजी गई उस वक्त गर्भवती थी। धीरे-धीरे पति ने भी जेल आना बंद कर दिया, न ससुराल से न मायके से सब रिश्तेदार साथ छोड़ गए, शायद सब उससे नाता तोड़ चुके थे। जेल में कैद इस महिला ने एक बेटे को जन्म दिया, क्योंकि बेटा जेल में पैदा हुआ लिहाजा साथी महिला कैदियों ने उसका नाम कन्हैया रखा, कन्हैया आठ साल का हुआ तो उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया, 18 साल का होने पर कन्हैया वकीलों के पास दौड़ लगाने लगा, कन्हैया ही शायद इस अभागन का सहारा था, जो पहले मां के साथ आठ साल जेल में रहा और करीब 10 साल बाल सुधार गृह में। लेकिन कन्हैया ने अपनी मां का आंचल नहीं छोड़ा, जब वकीलों के जरिए वो जज के सामने पहुंचा तो जज के हर सवाल के जवाब में उसके पास थे सिर्फ आंसू।
इलाहाबद हाईकोर्ट ने बच्चे के आंसू देखकर न सिर्फ पांच हजार रुपये की माफी दी बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार से एक महीने के भीतर ऐसे कैदियों का ब्यौरा मांगा है, जो जमानत के बावजूद जेल में बंद हैं सिर्फ इसलिये क्योंकि उसके पास या तो पैसे नहीं हैं या उनके अपनों ने उन्हें जेल में सड़ने के लिए छोड़ दिया है। विजय कुमारी की जिंदगी में दो लक्ष्य हैं, एक खुद पर बच्चे की हत्या का मुकदमा लड़ना और बेटे को अपने बाप का हक दिलाना।

दिल्ली HC ने जारी की सेना प्रमुख को अवमानना नोटिस

दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह की याचिका पर सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह को नोटिस जारी करके पूछा है कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह और चार अन्य के खिलाफ कार्रवाई करने के अदालत के फैसले का पालन न करने के लिए क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।
जनरल सिंह ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उनकी मानहानि करने के लिए जनरल सिंह और चार अन्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। न्यायमूर्ति जी एस सिस्तानी ने जनरल सिंह और चार अन्य के खिलाफ कार्रवाई करने के अदालत के आदेश का पालन न करने के लिए सेना प्रमुख और पूर्व रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा को अवमानना नोटिस जारी किया।
दिल्ली HC ने जारी की सेना प्रमुख को अवमानना नोटिस
अदालत ने नोटिस जारी करके जवाब मांगा है कि अदालत की अवमानना करने के लिए क्यों न प्रतिवादियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। नोटिस का जवाब नौ सितंबर तक देना है। याचिकाकर्ता ने कहा कि हाई कोर्ट ने 24 मई को कहा था कि पूर्व सेना प्रमुख और चार अन्य के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

ओलंपिक में कुश्ती को लाइफलाइन, सितंबर में आखिरी फैसला

अन्तर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने ओलंपिक आंदोलन के सबसे पुराने खेल कुश्ती को 2020 ओलंपिक के लिए लाइफलाइन दे दी। हालांकि इस पर अंतिम फैसला सितंबर में ब्यूनस आयर्स में होगा। आईओसी की समिति ने आठ खेलों में से कुश्ती, स्कवैश और बेसबॉल या साफ्टबॉल को 2020 ओलंपिक में शमिल करने के लिए शॉर्टलिस्ट किया है। इनमें से एक खेल को 2020 ओलंपिक में जगह मिलेगी।
इन तीन खेलों को सितंबर में ब्यूनस आयर्स में आईओसी सत्र में वोटिंग के लिए रखा जाएगा जिसके बाद एक खेल 2020 ओलंपिक कार्यक्रम में जगह बना पाएगा। फिलहाल इतना तय है कि कुश्ती को एक लाइफलाइन मिल गई है।
ओलंपिक में कुश्ती को लाइफलाइन, सितंबर में आखिरी फैसला
आईओसी के कार्यकारी बोर्ड ने कुश्ती को 2016 रियो ओलंपिक के बाद कोर 25 खेलों की सूची से हटाने की सिफारिश की थी।
सेंट पीटर्सबर्ग में आईओसी बैठक में आठ खेलों कुश्ती, स्क्वेश बेसबॉल और साफ्टबॉल, रोलर स्पोर्ट्स, स्पोर्ट्स क्लाइंबिंग, वेकबोर्डिंग और वुशू में से तीन खेलों को अगली वोटिंग के लिए चुना जाना था। कार्यकारी बोर्ड के फैसले के बाद भारत, अमेरिका और रूस सहित दुनिया के तमाम देशों में कुश्ती को बचाने की मुहिम चली थी।
अन्तर्राष्ट्रीय कुश्ती महासंघ ने आईओसी की मांग के अनुरूप कुश्ती को आकर्षक बनाने के लिए 18 मई को अपनी आम सभा बैठक में अपने नियमों में परिवर्तन किए थे और फ्रीस्टाइल ग्रीको रोमन और महिलाओं तीनों वर्गों में छह-छह वर्ग कर दिए थे। कुश्ती को बचाने की मुहिम आखिर रंग लाई और इसे एक लाइफलाइन मिल गई। हालांकि इन तीन खेलों में से एक पर आखिरी मुहर सितंबर में आईओसी बैठक में लगेगी।
आईओसी के उपाध्यक्ष थामस बाक ने बैठक के बाद कहा कि यह टीम खेलों और व्यक्तिगत खेलों का अच्छा मिश्रण है। फीफा ने अपने परिवर्तनों को लेकर बेहतरीन पेशकश किया। फीफा ने खेल और सांगठनिक दोनों स्तर पर प्रशंसनीय परिवर्तन किए हैं।
आईओसी के इस फैसले से भारत में खुशी की लहर दौड़ गई है। भारतीय कुश्ती महासंघ के महासचिव राजसिंह और द्रोणाचार्य अवार्डी महाबली सतपाल ने इस फैसले की सराहना करते हुए भरोसा जताया कि कुश्ती सितंबर में आखिरी बाधा को भी चित्त कर देगी।
राजसिंह ने दिल्ली में कहा कि मैं पहले से कह रहा था कि कुश्ती तीन खेलों में शार्टलिस्ट हो जाएगी। मेरी तीन चार दिन पहले फीफा के अधिकारियो से बात हुई थी और उन्होंने विश्वास जताया था कि इस खेल में परिवर्तन लाने के बाद इसका शार्टलिस्ट होना तय है।

पुलिस का दावा, नौकर के फोन से सट्टेबाजी करता था मयप्पन

बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को 31 मई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस का कहना है कि गुरुनाथ के पास से उसे तीन मोबाइल फोन और पांच सिम कार्ड मिले हैं। इनमें से एक मोबाइल कमलनाथ के नाम से दर्ज है।
कमलनाथ मयप्पन का नौकर है। पुलिस का दावा है कि मयप्पन नौकर के फोन से ही बुकियों से बात किया करता था। मुंबई पुलिस के मुताबिक विंदू और मयप्पन कोडवर्ड में सट्टेबाजी की डीलिंग किया करते थे।
पुलिस का दावा, नौकर के फोन से सट्टेबाजी करता था मयप्पन
पुलिस इस कोडवर्ड को डीकोड करने में जुटी है।

वरुण के खिलाफ अखिलेश सरकार ने की कोर्ट में अपील

भड़काऊ भाषण मामले में वरुण गांधी फिर मुश्किल में पड़ सकते हैं। वरुण गांधी के भड़काऊ भाषण मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने पीलीभीत जिला कोर्ट में अपील दायर की है। सरकार ने इस मामले में वरुण को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ अपील की है। मामले पर सुनवाई 10 जून को होगी। वरुण को इसी महीने के 3 मई को भड़काऊ भाषण से जुड़े आखिरी मामले से बरी किया गया था।
मायावती सरकार में वरुण गांधी को भड़काऊ भाषण मामले में गिरफ्तार भी किया गया था और वह करीब एक महीने तक एटा जेल में रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें रिहा किया गया था। इससे पहले पिछले सितंबर में वरुण गांधी ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर मुकदमे को खत्म करने का आग्रह किया था। वरुण ने पत्र में लिखा था कि राजनीतिक कारणों से उनपर मुकदमे लादे गए। उनके पत्र के बाद राज्य सरकार ने पीलीभीत के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर सहमति या असहमति देने को कहा था।
वरुण के खिलाफ अखिलेश सरकार ने की कोर्ट में अपील
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की एक अदालत ने 5 मार्च 2013 को बीजेपी के सांसद वरुण गांधी को लोकसभा चुनाव के दौरान दिए भड़काऊ भाषण के दूसरे आरोप से बरी कर दिया था। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अब्दुल कयूम ने इससे पहले पिछले 27 फरवरी को देहात कोतवाली में दर्ज मामले में वरुण को बरी किया था। उसके बाद सीजेएम ने बरखेड़ा थाने में दर्ज मामले में भी वरुण गांधी को राहत दे दी। वरुण गांधी के खिलाफ दोनों मुकदमे में 24 गवाह थे और सभी मुकर गए थे। चार साल बाद 3 मई 2013 को वरुण तीसरे मामले से भी बरी हो गए। उन्हें पुलिस पर फायरिंग और उपद्रव फैलाने के आरोप से मुक्त कर दिया गया।

श्रीनिवासन और शुक्ला में भी चल रही है ‘स्पॉट फिक्सिंग’!

बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के इस्तीफे की बढ़ती मांग के बीच आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला आज दो बार मीडिया के सामने आए। शुक्ला ने ऐसा दर्शाया कि जैसे वे भी श्रीनिवासन से इस्तीफा चाहते हैं लेकिन श्रीनिवासन को ‘आउट’ करने के लिए उन्होंने जानबूझकर ऐसी ‘लूज बॉल’ फेंकी जिसपर बीसीसीआई चीफ ने तुरंत ‘फ्रंट फुट’ पर खेल दिया। कुल मिलाकर मामला श्रीनिवासन और शुक्ला के बीच ‘स्पॉट फिक्सिंग’ जैसा है।
गौरतलब है कि अपने दामाद और आईपीएल टीम चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक गुरुनाथ मयप्पन की सट्टेबाजी में गिरफ्तारी के बाद एन श्रीनिवासन पर इस्तीफे का दबाव है। बोर्ड के सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कल खुलेआम उनके इस्तीफे की जरूरत बताई थी। एक-दो सदस्यों ने आज यही मांग दोहराई। इसके बाद सुबह राजीव शुक्ला ने उपाध्यक्ष अरुण जेटली के घर जाकर उनसे मुलाकात की।
श्रीनिवासन और शुक्ला में भी चल रही है ‘स्पॉट फिक्सिंग’!
मुलाकात के बाद राजीव शुक्ला ने मीडिया से कहा कि क्रिकेट का हित सबसे ऊपर है। जांच आयोग सारे मामले की जांच कर रहा है। जहां तक एन श्रीनिवासन का मामला है तो बोर्ड अध्यक्ष को जांच पूरी होने तक खुद को ‘असंबद्ध’ कर लेना चाहिए। बाद में यही बात शुक्ला ने अपने घर में मीडिया के सामने दोहराई। लेकिन शुक्ला सीधे-सीधे श्रीनिवासन से इस्तीफा देने की मांग करने से बचते रहे। पत्रकारों के जोर देने पर वे बिना जवाब दिए चले गए। कुल मिलाकर उनकी डिमांड श्रीनिवासन के खुद को असंबद्ध कर लेने तक ही सीमित रही।
शुक्ला के बयान के बाद खुद श्रीनिवासन मीडिया के सामने आए। उन्होंने कहा कि शुक्ला का बयान मैंने टीवी पर देखा है। शुक्ला ने जांच आयोग की जो बात कही है, वो सही है। उन्होंने मेरे इस्तीफे की मांग नहीं की है। उन्होंने मुझसे ‘असंबद्ध’ रहने को कहा है। मैं कोलकाता में ही ये बात कह चुका हूं कि मैं इस मामले की जांच से पूरी तरह ‘असंबद्ध’ रहूंगा। श्रीनिवासन ने कहा कि चूंकि मुझसे किसी ने इस्तीफा नहीं मांगा इसलिए मेरे इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता।
साफ है कि बढ़ते दबाव और चुप्पी साधने के आरोपों से खुद को बचाने के लिए शुक्ला ने मीडिया के सामने चुप्पी तो तोड़ दी। उन्होंने अरुण जेटली की तरफ से भी श्रीनिवासन से ‘असंबद्ध’ होने की मांग कर डाली। लेकिन ये मांग श्रीनिवासन को हटाने के लिए नहीं बल्कि खुद को पाक-साफ दिखाने और कुछ करते दिखते की कोशिश ज्यादा नजर आ रही है, जिसमें मांगने वाला मांगता भी दिखे और देने वाले को देना भी न पड़े।
उधर, पूर्व क्रिकेटर और बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद ने राजीव शुक्ला और श्रीनिवासन के बीच चल रहे इस पूरे मामले को बिग बॉस का नाटक करार दिया है। उन्होंने कहा कि हाथी का दांत खाने के और, दिखाने के और हैं।

रुंधे गले कह रहे हैं-ये नक्सली नहीं, आतंकी हैं!

छत्तीसगढ़ के सुकमा में 25 मई को कांग्रेस नेताओं के काफिले पर नक्सलियों ने जानलेवा हमला किया। पूरे देश को हिला देने वाली इस घटना में कई बड़े नेताओं समेत कई आम इंसान भी मारे गए। आम इंसानों की यूं बेरहमी से हत्या कई सवाल खड़े करती है कि क्या नक्सली आतंकियों की राह पर चल पड़े हैं? क्या उनका मकसद सिर्फ हिंसा ही रह गया है?
क्योंकि इस हमले में नक्सलियों ने कई ऐसे लोगों को मारा जो ना तो किसी राजनीतिक पार्टी के थे और ना ही नक्सलियों के खिलाफ थे। ऐसी हर वारदात के बाद नक्सली स्थानीय लोगों से अपने किए की माफी मांग लेते हैं लेकिन क्या महज माफी मांगने भर से उनका गुनाह कम हो जाएगा?
रुंधे गले कह रहे हैं-ये नक्सली नहीं, आतंकी हैं!
मनोज बस्तर में रहने वाला आम आदमी था। ना बीजेपी कार्यकर्ता और न ही कांग्रेस समर्थक। न नक्सली विरोधी और न उनका समर्थक। 25 मई को हुए हमले में मनोज की भी जान गई। पांच महीने पहले ही उसकी शादी हुई थी। पत्नी रजनी इस मातम को बर्दाश्त करने की हालत में नहीं है। वो बार-बार बेहोश हो रही है। मनोज को बस अपने एक दोस्त के साथ घंटे भर के लिए अपनी बोलेरो गाड़ी लेकर परिवर्तन यात्रा में जाना महंगा पड़ गया।
मनोज की मां रंभा देवी कहती हैं कि मेरे बेटे ने उन लोगों का क्या बिगाड़ा था। बस यही चाहती हूं कि नक्सली खत्म हो जाएं। मुझे इंसाफ मिलना चाहिए। मैं गरीब हूं और मेरा कोई सहारा नहीं है। मेरा बेटा कमाकर खिलाता था। छोटी सी दुकान चलाता था। अपने शौक के लिए गाड़ी खरीदी थी।
इस लाल आतंक के आगे सिर्फ रंभा देवी की ही दुनिया नहीं उजड़ी है। दरभा में रहने वाली आरावती ने भी अपने राजकुमार को खो दिया। उनके पति का निधन पहले ही हो चुका था। आरावती सपना देख रही थीं। उनका इकलौता बेटा राजकुमार 5 जुलाई को 18 साल का होने वाला था। वो बड़ा हो गया था लेकिन वो सपना उनकी आंखों में ही मर गया।
सिर्फ आम आदमी ही नहीं लाल आतंक के साए के सताए सरकारी तंत्र के लोगों की कहानियां भी दर्दनाक हैं। पुलिस के एक जवान की ड्यूटी कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा की सुरक्षा में लगी थी। दरभा की वारदात के चार दिन बाद बुधवार को उसका शव मिला। लेकिन ये चार दिन पवन कोंद्रा के परिवार के लिए दुख और दहशत की चार सदियों में बदल गए।
पवन कोंद्रा की पत्नी तीन दिन तक इस दुनिया से कटी रही। उसे तीन दिन तक ना टेलीविजन देखने दिया गया और न तो अखबार पढ़ने दिया गया। क्योंकि घरवाले एक डर से जूझ रहे थे कि घर के चिराग पुलिस कांस्टेबल पवन के साथ अनहोनी ना हो गई हो। नक्सली हमले के बाद से ही कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा की सुरक्षा में तैनात पवन लापता था। उसके पीछे घर पर थी उसकी पांच महीने की गर्भवती पत्नी। घरवाले नहीं चाहते थे कि ऐसे नाजुक वक्त में पत्नी को कोई सदमा लगे।
पवन का भाई राजकुमार कहता है कि हालत बहुत खराब है। क्योंकि उनकी भाभी पांच महीने की प्रेगनेंट है। कोई उसको सच्चाई नहीं बता पा रहे हैं। पवन जब से नौकरी में लगा था वो घर में नहीं रहता था। क्योंकि हमारा क्षेत्र बहुत संवेदनशील है।
चार दिन तक उम्मीद की ये पतली डोर बंधी रही कि शायद पवन नक्सलियों की अंधाधुंध फायरिंग में बच गया हो। जख्मी हो और जंगल में कहां छुपा हुआ हो। लेकिन चार दिन बाद तलाशी में जंगल से उसका शव मिला। उसे गोली लगी थी लेकिन उसका हथियार उसके पास ही था। शायद वो हमले के बाद गोलियां चलाता हुआ जंगल में जा छिपा लेकिन जख्मी हालत में ज्यादा वक्त तक जिंदा न रह सका। हमले के तुरंत बाद अगर सुरक्षाबल जंगल में घुसने का साहस दिखाते तो शायद जख्मी पवन को बचाया जा सकता था।
कोंद्रा परिवार के लिए ये दोहरा झटका था। पवन के पिता सत्यनारायण बीजापुर के मड्डेड गांव के सरपंच थे। 2001 में नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी थी। उसके बाद से ही ये परिवार नक्सलियों की छाया से भी दूर रहने की कोशिश करता रहा। आखिर इस परिवार की खुशियों और एक अजन्मे बच्चे से पिता के प्यार को ये छाया ही निगल गई। क्या नक्सली कोंद्रा परिवार और उस अजन्मे बच्चे के गुनहगार नहीं हैं।

फिक्सिंग पर ‘क्रिकेट के भगवान’ ने भी साधी चुप्पी

आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के सनसनीखेज़ मामले ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। आम आदमी से लेकर अभिनेता और राजनेता सभी अपनी प्रतिक्रिया सामने रख रहे है, लेकिन खुद आईपीएल खेलने वाले खिलाड़ियों ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। पहले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और अब मास्टर ब्लास्टर कहलाने वाले सचिन तेंदुलकर ने भी इस विवाद पर उठे सवालों को टाल दिया।
बोर्ड में बैठे ज्योतिरादित्य सिंधिया इकलौते ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने बीसीसीआई के प्रमुख एन श्रीनिवासन से इस्तीफा मांगने की हिम्मत दिखाई है। उम्मीद की जा रही थी कि क्रिकेट की शान बढ़ाने वाले और आज के दिन इसकी पहचान बन चुके खिलाड़ी ही शायद खेल को बचाने के लिए अब आगे आएं। लेकिन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के मौनी बनने के बाद ऐसी उम्मीद भी खत्म होती दिखने लगी। जिन लोगों को क्रिकेट के भगवान से थोड़ी बहुत उम्मीद थी, उन उम्मीदों को भी झटका लग चुका है।
फिक्सिंग पर ‘क्रिकेट के भगवान’ ने भी साधी चुप्पी
बुधवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए सचिन तेंदुलकर को मीडिया ने घेर लिया। हर कोई जेंटिलमैन गेम पर लग रही कालिख के बारे में उनकी राय जानना चाहता था। लेकिन सचिन के सामने जब पत्रकारों के सवाल और न्यूज चैनलों के माइक उछले तो सभी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
सचिन विवादों से दूर रहने वाले खिलाड़ी रहे हैं। उनका हर कदम क्रिकेट को बचाने और खेल की बेहतरी की दिशा में उठाया जाने वाला कदम माना जाता है। लेकिन आज जब चंद क्रिकेटरों, अधिकारियों, सियासतदां और तानाशाहों की वजह से क्रिकेट चक्रव्यूह में फंसा नजर आ रहा है तो सचिन से क्रिकेट के हक में आवाज उठाने की उम्मीद थी। सचिन से ऐसी उम्मीद थी, तो इसकी वजह भी थी।
मुंबई की टीम जब आईपीएल सीजन 6 की विजेता बनी तो सचिन का एक और सपना पूरा हुआ। सचिन खुद इसे मान चुके हैं और ये भी कह चुके हैं कि वो लम्हा उनके लिए जश्न और जीवन भर के लिए एक अच्छी याद देने वाला लम्हा था। लेकिन जब इस लम्हे को जीने का वक्त आया और ट्रॉफी उठाने की बारी आई तो वो तब तक इसमें शामिल नहीं हुए। जब तक कि श्रीनिवासन खिलाड़ियों के बीच मौजूद थे। इसकी वजह चाहे जो भी रही हो लेकिन उस वक्त की तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं। इन्हीं तस्वीरों से लोगों का भरोसा जगा और लगा कि जब श्रीनिवासन की तानाशाही की चुनौती देने और उसकी गद्दी को हिलाने की जुर्रत कोई नहीं कर रहा हो तो सचिन ही कुछ करेंगे। लेकिन सचिन ने क्रिकेट के प्रशंसकों को इस मामले में अब तक निराश किया है।
ये सच है कि सचिन न तो बीसीसीआई में अधिकारी हैं और न ही क्रिकेट की राजनीति करने वाले। लेकिन उन्हें ये भी याद रखना चाहिए कि जिस देश में लोग क्रिकेट को धर्म मानते हैं, उस देश के लोगों की नजर में वो इस क्रिकेट के भगवान हैं। यही नहीं, सचिन जनता के प्रतिनिधि, राज्यसभा के सदस्य और क्रिकेट के वर्ल्ड एम्बेस्डर भी हैं। उनकी टूटी एक चुप्पी से भारतीय क्रिकेट या आईपीएल से टूटा लोगों का भरोसा फिर से लौट आएगा।

सरेंडर कर चुके नक्सलियों को नहीं मिला पॉलिसी का लाभ

नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने की झारखण्ड सरकार की योजना की पोल खुलनी शुरू हो गई है। इस योजना के तहत सरेंडर करने वाले नक्सलियों को शानदार पैकेज और उनके परिजनों को नौकरी देने की बात कही गई थी, लेकिन इस कागजी योजना का हश्र भी दूसरी अन्य सरकारी योजनाओं की ही तरह ही दिख रही है। आंकड़ों की माने तो इस योजना के तहत अब तक तकरीबन तीन दर्जन से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। लेकिन ज्यादातर को इसका लाभ नहीं मिल पाया है। रांची में एक पूर्व महिला नक्सली ने इस बाबत प्रशासन से गुहार लगाई है।
रश्मि नाम की ये पूर्व महिला नक्सली कभी कुख्यात कुंदन पाहन की गैंग की खास शूटर हुआ करती थी। इस पूर्व महिला नक्सली का आतंक रांची समेत खूंटी और जमशेदपुर जिले में था। लेकिन 2011 में राज्य सरकार की नई सरेंडर नीति से प्रभावित होकर इसने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करना ही उचित समझा। आत्मसमर्पण के बाद सरकार ने रश्मि को ढाई लाख रुपए नकद, घर बनाने के लिए जमीन और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का वादा किया। लेकिन रश्मि का दावा है कि उसे महज डेढ़ लाख रुपये दिए गए।
सरेंडर कर चुके नक्सलियों को नहीं मिला पॉलिसी का लाभ
शायद यही वजह है कि उसे पुनर्वास योजना का पूरा लाभ नहीं मिला। तभी तो रश्मि आज मजदूरी करने को मजबूर है। लिहाजा अपना और अपने तीन साल के बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित रश्मि ने अब रांची पुलिस से मदद की गुहार लगाईं है। पूर्व महिला नक्सली रश्मि देवी का कहना है कि मैं मजदूरी करूंगी। ये अच्छा नहीं है। बच्चे का भविष्य को लेकर चिंतित हैं। देखते हैं कब तक होगा।
रश्मि ने आत्मसमर्पण के बाद कई अहम खुलासे किए थे। जिससे झारखंड पुलिस को कई बड़ी सफलता हाथ लगी थी। अब रश्मि पूछती हैं कि जो सब्जबाग दिखाकर उन्हें सरेंडर कराया गया था, उससे सरकार पीछे क्यों हट रही है। उधर रांची पुलिस की माने तो इसमें सरकार या प्रशासन की तरफ से कोई अनदेखी नहीं की जा रही है। सरेंडर करने वाले नक्सलियों को आजिविका की समस्या न हो, इसके लिए उनकी कोशिशें जारी हैं।
रांची के एसएसपी साकेत सिंह का कहना है कि जो नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं, हमारी कोशिश होती है कि ऐसे लोगों को रहने और जीविका की कोई प्रॉब्लम न हो।
बहरहाल गुमराह नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा में लाने की सरकार की पहल तो सराहनीय है, लेकिन इसके लिए सिर्फ योजना बना कर ही सब कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। जरूरत है इस योजना को सही रूप से जमीनी स्तर पर लागू करने की। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसका फायदा मिल सके।

भारती एयरटेल पर लग सकता है 650 करोड़ का जुर्माना!

दूससंचार मामले में देश की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी भारती एयरटेल पर टेलिकॉम विभाग 650 करोड़ रुपये का भारी जुर्माना लगा सकता है। टेलिकॉम विभाग भारती एयरटेल पर ये जुर्माना 2003 से 2005 बीच सब्सक्राइबर लोकल डायलिंग (एसएलडी) सेवाओं देने के लिए लगा सकता है।
भारती एयरटेल पर आरोप है कि उसने एसएलडी लाइसेंस नियमों का उल्लघंन किया है। दरअसल सब्सक्राइबर लोकल डायलिंग के जरिए रोमिंग पर भी ग्राहक को लोकल नेटवर्क की सेवा मिलती है। इससे ग्राहक रोमिंग और एसटीडी चार्ज देने से बच जाता था।
भारती एयरटेल पर लग सकता है 650 करोड़ का जुर्माना!
सरकार ने 2003 में हच, जो अब वोडाफोन के नाम से काम करती है और एयरटेल को नोटिस भेजकर सेवा को तुरंत बंद करने को कहा था लेकिन एयरटेल अगले 2 साल तक ये सेवा देती रही। माना जा रहा है कि टेलिकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने भी इस जुर्माने को मंजूरी दे दी है। भारती एयरटेल पर इस समय 9,000 करोड़ रुपये के जुर्माने और लेवी वाले मामले चल रहे हैं।

18 जिलों में 1 जून से सीधे बैंक खाते में जाएगी LPG सब्सिडी

सरकार द्वारा दी जा रही रसोई गैस सब्सिडी की शुरूआत 1 जून से हो रही है। 1 जून से देश के 18 जिलों में एलपीजी सब्सिडी सीधे खाते में ट्रांसफर की जाएगी। यानी गैस बुक करने पर खाते में करीब 435 रुपये जाएंगे। जबकि गैस सिलिंडर के लिए ग्राहकों को करीब 900 रुपये देने होंगे।
इन 18 जिलों में ज्यादातर लोगों ने आधार कार्ड बनवा लिया है। जिनके पास अभी आधार नंबर नहीं उन्हें सरकार 3 महीने का ग्रेस पीरियड दे रही है। 1 सितंबर के बाद इन जिलों में रसोई गैस बाजार भाव पर ही मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक योजना 20 जिलों में शुरू की जानी थी लेकिन दो जिलों कर्नाटक के मैसूर और हिमाचल प्रदेश के मंडी में विधानसभा और संसदीय उपचुनावों के कारण वहां इसे एक महीने के लिए टाल दिया गया है।
18 जिलों में 1 जून से सीधे बैंक खाते में जाएगी LPG सब्सिडी
पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली 1 जून को अपने गृह राज्य कर्नाटक के तुमुकर में जबकि पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री पानाबाका लक्ष्मी अपने गृह राज्य आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में इसकी शुरुआत करेंगी।

दागदार हुई दोस्ती, कैंची से की दोनों दोस्तों की हत्या!

मुंबई के वडाला इलाके में डबल मर्डर से सनसनी फैल गई। एक दोस्त ने अपने दोनों दोस्तों पर कैंची से हमला कर मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने आरोपी शख्स को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ कर रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वारदात मुंबई के वडाला इलाके में रात करीब 11 बजे की है। जहां शाहबाज और माज नाम के दो 23 वर्षीय युवकों को कैंची से हमला कर मौत के घाट उतार दिया। दोनों की हत्याओं का आरोप ज्ञानसिंह ठाकुर नाम के एक शख्स पर लगा है। बताया जाता है कि हत्या करने वाला और दोनों मृतक युवक दोस्त थे और तीनों ही यूपी के फतेहपुर के रहनेवाले थे। ये तीनों काम के सिलसिले में मुंबई आ थे। जहां किसी वजह से तीनों की दोस्ती में दरार आ गई।
दागदार हुई दोस्ती, कैंची से की दोनों दोस्तों की हत्या!
बीती रात तीनों के बीच कुछ कहा सुनी हुई जो बाद में मारपीट में बदल गई। बात इतनी बढ़ गई कि ज्ञानसिंह ने दोनों पर तेज कैंची से हमला कर दिया। जिसके बाद शाहबाज और माज की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी ज्ञानसिंह को गिरफ्तार कर लिया है।

Tuesday, May 28, 2013

ये बीसीसीआई है या नेतानगरी?

इस वक्त हर तरफ, हर जुबान पर IPL स्पॉट फिक्सिंग के चर्चे हैं। बड़े नामों की गिरफ्तारी से मामला और सनसनीखेज हो गया है। बीसीसीआई के अध्यक्ष श्रीनिवासन के दामाद गिरफ्तार हो चुके हैं। देखिए आखिर क्रिकेट में सियासत कितनी और कहां तक है। कौन-कौन से नेता हैं जिनका क्रिकेट से भी सीधा नाता है।
<a href='http://khabar.ibnlive.in.com/photogallery/4851/'><font size=4><font color=red> देखें: ये बीसीसीआई है या नेतानगरी? </font></font size></a>

अगली सरकार ही लागू करेगी जीएसटी : प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माना कि जीएसटी को लागू करने में और देरी होगी। उन्होंने कहा है कि अब इसे आम चुनाव के बाद अगली सरकार ही लागू करेगी। ऐसा पहली बार है जब प्रधानमंत्री ने इतने साफ-साफ जीएसटी पर कुछ कहा है। 2007-08 के बजट में पी चिदंबरम ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) का ऐलान किया था। जीएसटी को 1 अप्रैल 2010 से लागू करने की योजना थी। लेकिन, केंद्र और राज्यों के बीच सहमति न बनने की वजह से जीएसटी टलता जा रहा है।
जीएसटी के लिए राज्यों को मनाना केंद्र सरकार के लिए के लिए बड़ी चुनौती है। जीएसटी लागू करने के लिए संविधानिक संशोधन की भी जरूरत होगी। जीएसटी से देश की ग्रोथ स्टोरी को काफी मदद मिल सकती है। प्रधानमंत्री के इस बयान का जीएसटी पर बनी एंपावर्ड कमिटी के चेयरमैन सुशील मोदी ने भी स्वागत किया है। सुशील मोदी के मुताबिक जीएसटी पर अभी काफी काम बचा है और कोई भी सरकार जीएसटी जैसे बड़े टैक्स सुधार को चुनावी साल में लागू नहीं कर सकती।
अगली सरकार ही लागू करेगी जीएसटी : प्रधानमंत्री

भारतीय डॉक्टरों ने किया रैनबैक्सी से किनारा

अमेरिका में खराब क्वालिटी की दवाएं बेचने के आरोपों से घिरी रैनबैक्सी की दवाओं से भारतीय डॉक्टरों ने भी किनारा करना शुरू कर दिया है। मुंबई के नामी अस्पताल जसलोक ने नोटिस जारी कर अपने डॉक्टरों से कहा है कि वो रैनबैक्सी की दवा प्रस्क्राइब करने से बचें।
नोटिस में कहा गया है कि जसलोक हॉस्पिटल में रैनबैक्सी कंपनी की दवाएं नहीं मिलेगी और साथ ही जसलोक के दूसरे डॉक्टरों को भी इन दवाओं से बचने की सलाह दी जाती है। हालांकि हॉस्पिटल ने रैनबैक्सी की दवाओं पर बैन की वजह का जिक्र नहीं किया है।
मुंबई के दूसरे बड़े हॉस्पिटल भी जसलोक की देखा देखी ऐसा कदम उठा सकते हैं। दरअसल हाल में ही रैनबैक्सी ने अमेरिका में खराब क्वालिटी की दवाएं बेचने के लिए माफी मांगी थी और करीब 2500 करोड़ रुपये का जुर्माना भी भरा था। इसके बाद से रैनबैक्सी की साख में बड़ा दाग लगा है।

घरेलू और मल्टीनेशनल फार्मा कंपनियों के बीच झगड़ा

घरेलू और मल्टीनेशनल फार्मा कंपनियों के बीच फिर से विवाद खड़ा होता दिख रहा है। ग्लोबल ड्रग कंपनी फाइजर और भारत में जेनरिक दवा बनाने वाली कंपनियों की लॉबी इंडियन फार्मास्यूटिकल्स एसोसिएशन (आईपीए) के बीच बहस शुरू हो गई है। फाइजर ने अमेरिकी हाउस कमिटी को बताया था कि भारत में पेटेंट को लेकर माहौल खराब हो रहा है। फाइजर ने 13 मार्च को अमेरिकी हाउस कमिटी के सामने ये बयान दिया था।
अमेरिका और भारत व्यापार संबंधों पर सुनवाई के दौरान फाइजर ने फाइजर ने कहा था है कि भारत में इनोवेटिव दवाओं के लिए बिजनेस माहौल बिगड़ा है। भारत में अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों का उल्लंघन हो रहा है। घरेलू कंपनियों के फायदे के लिए एमएनसी के साथ भेदभाव होता है। अनिवार्य लाइसेंस के प्रावधानों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। जेनरिक कंपनियां अनिवार्य लाइसेंस के जरिए फायदा उठाती हैं।
फाइजर ने अमेरिकी सरकार को ये चिंताएं भारत के सामने रखने को कहा है। फाइजर के इस बयान पर आईपीए ने आपत्ति जताई है। 13 मई को जवाब देते हुए आईपीए ने कहा है कि फाइजर के बयान में सही तथ्य नहीं हैं। फाइजर ने अमेरिकी हाउस कमिटी में हुई सुनवाई को गुमराह किया है। भारतीय पेटेंट कानून टीआरआईपीएस करार के मुताबिक हैं।

बीजेपी के दागियों का जल्द करूंगा पर्दाफाश: जेठमलानी

मशहूर वकील और राज्यसभा सदस्य राम जेठमलानी को बीजेपी ने पार्टी से निकाल दिया है। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अनुशासनहीनता के आरोप में जेठमलानी को 6 साल के लिए निष्कासित करने का फैसला किया है। जेठमलानी अब से राज्यसभा में निर्दलीय सदस्य होंगे। निष्कासन के बाद जेठमलानी ने पार्टी अध्यक्ष को एक चिठ्ठी लिखी है और दावा किया है कि वो पार्टी के दागियों का पर्दाफाश कर देंगे।
पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह की अगुवाई में हुई बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में ये फैसला लिया गया। जेठमलानी इन दिनों अमेरिका में हैं लिहाज़ा पार्टी ने बाकायदा खत के जरिये उन्हें ये सूचना दी है। बीजेपी प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने बताया कि पार्टी ने शो कास नोटिस नवंबर में दिया था। इस नोटिस का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। पार्टी के खिलाफ कोई काम करेगा तो कार्रवाई होगी।
बीजेपी के दागियों का जल्द करूंगा पर्दाफाश: जेठमलानी
विवादों से रामजेठमलानी का पुराना नाता रहा है। उन्होंने पूर्ति विवाद के वक्त सार्वजनिक रूप से उस वक्त के बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी का इस्तीफा मांगकर पार्टी को मुश्किल में डाल दिया था। इसके बाद उन्होंने आरोप लगाया था कि बीजेपी का रवैया यूपीए को लेकर नरम है। इन बयानों के चलते पार्टी ने उन्हें पहले निलंबित कर दिया था। लेकिन निलंबन बावजूद वो लगातार बीजेपी हाईकमान को चुनौती दे रहे थे।

अब यूपिक कार्ड बताएगा कितनी है आपकी प्रॉपर्टी

जैसे आधार कार्ड आपकी पहचान है वैसे ही अब आपकी प्रॉपर्टी का भी पहचान कार्ड बनेगा और ये कार्ड है यूपिक कार्ड यानी यूनिक प्रॉपर्टी आइडेंटिफिकेशन कोड। इस यूपिक कार्ड के जरिए आपकी प्रॉपर्टी का पूरा ब्यौरा सामने आ जाएगा। यूपिक 12 डिजिट का कोड होगा जो आपकी प्रॉपर्टी की पहचान बनेगा। यूपिक सिस्टम में आपकी प्रापर्टी से जुड़ी हर जानकारी होगी, मसलन प्रॉपर्टी किसके नाम पर है, क्या मेजरमेंट है, कितना कवर एरिया है और एरिया के हिसाब से कितना प्रॉपर्टी टैक्स बनता है।
यूपिक के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत उत्तरी दिल्ली से की जा रही है। उत्तरी दिल्ली में करीब 12 लाख प्रॉपर्टी है और मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक सिर्फ 4 लाख प्रॉपर्टी से ही टैक्स मिलता है। यूपिक यानि की यूनिक प्रॉपर्टी आइडेंटिफिकेशन कोड के दायरे में कमर्शियल और रेजिडेंशियल दोनो तरह की प्रॉपर्टी आएंगी। इसके लागू होने के बाद सबसे बड़ा फायदा नगर निगम को प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने में होगा।
यूपिक कार्ड के बाद प्रॉपर्टी टैक्स की चोरी रुकेगी और इसकी वसूली का सिस्टम पारदर्शी हो जाएगा। यूपिक के जरिए म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के पास प्रॉपर्टी का पूरा ऑनलाइन ब्यौरा रहेगा और ऑनलाइन सिस्टम के जरिए आपको ये भी पता चल जाएगा कि आप पर कितना प्रापर्टी टैक्स बकाया है। कुल मिलाकर कहें तो नगर निगम की पैनी नजर रहेगी आपकी प्रॉपर्टी पर।
पिछले साल 2011-12 में उत्तरी नगर निगम ने 183 करोड़ रुपए प्रॉपर्टी टैक्स वसूला था लेकिन प्रशासन को उम्मीद है कि यूपिक आ जाने के बाद ये रकम दोगुनी हो जाएगी। फिलहाल यूपिक के पायलट प्रोजेक्ट पर 10 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा और इस साल के आखिर तक इसे पूरी उत्तरी दिल्ली में लागू कर दिया जाएगा।

एन श्रीनिवासन के विरोध में आए सिंधियां, मांगा इस्तीफा

फिक्सिंग और सट्टेबाजी के आरोप में दामाद मयप्पन की गिरफ्तारी के बावजूद बीसीसीआई चीफ की कुर्सी नहीं छोड़ रहे हैं। एन श्रीनिवासन के खिलाफ पहली बार किसी बड़े नेता ने आवाज उठाई है। मध्यप्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खुल कर उनके विरोध में आ गए हैं। बीसीसीआई की वित्तीय समिति के चेयरमैन सिंधिया ने साफ तौर पर श्रीनिवासन के इस्तीफे की मांग की है। लेकिन श्रीनिवासन ने इस मांग को खारिज कर दिया है।
बीसीसीआई के भीतर से श्रीनिवासन के इस्तीफे की पहली पुरजोर मांग उठी। बोर्ड की वित्तीय समिति के चेयरमैन और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने साफ कह दिया कि अगर परिवार में कोई गड़बड़ी होती है तो परिवार का मुखिया ही जवाबदेह और जिम्मेदार होता है। सिंधिया ने अपनी बातें इशारों में ही नहीं कहीं। उन्होंने सीधा कहा कि अब श्रीनिवासन को पद पर नहीं बने रहना चाहिए।
एन श्रीनिवासन के विरोध में आए सिंधियां, मांगा इस्तीफा
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि श्रीनिवासन को जांच पूरी होने तक पद छोड़ देना चाहिए। अगर वो बेदाग साबित हों तो पद पर लौट आएं। मैं उनकी जगह होता तो इस्तीफा दे देता। ये मुद्दा जवाबदेही का ज्यादा है और ये जवाबदेही मानते हुए ही श्रीनिवासन को इस्तीफा दे देना चाहिए।
सिंधिया का ये बयान बीसीसीआई से जुड़े बाकि राजनेताओं के लिए साफ संदेश है। वो राजनेता जो अलग अलग वजहों से श्रीनिवासन पर चुप्पी साधे बैठे हैं। लेकिन ये बात कैसे भूली जाए कि खामोश नेताओं में कांग्रेस नेता और आईपीएल के चेयरमैन राजीव शुक्ला भी हैं। इतना ही नहीं बीजेपी के अरुण जेटली भी खामोशी ओढ़े बैठे हैं।
श्रीनिवासन के इस्तीफे के मुद्दे पर खामोश जेटली जानते हैं कि चुप रहने में ही उनका फायदा है। इसी साल 2 सितंबर को श्रीनिवासन का कार्यकाल खत्म हो रहा है। विवादों को देखते हुए उन्हें एक साल का एक्सटेंशन मिलना मुश्किल है। ऐसे में जेटली को स्वाभाविक तौर पर बीसीसीआई की गद्दी मिलती दिख रही है। जानकारों का ये भी मानना है कि जेटली 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे चुनाव में हार का जोखिम नहीं उठाना चाहते, इसीलिए भले ही श्रीनिवासन को पर कितने भी आरोप लग रहे हो चुप रहने में ही उनका फायदा है।
बीजेपी नेता कीर्ति आजाद का कहना है कि श्रीनिवासन से कोई कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि इनमें से हर कोई अध्यक्ष बनना चाहता है उन्हें लगता है कि अगर श्रीनिवासन के खिलाफ कुछ बोले तो उनके साथ आठ समर्थकों के वोट कट जाएंगे। आईपीएल में डांस ड्रामा सब है, मैदान के पीछे भी ड्रामा चल रहा था।
सियासत के शातिर खिलाड़ी आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला शुरू से ही श्रीनिवासन के खिलाफ खुलकर बोलने से बचते रहे। शुक्ला की चुप्पी का राज है कि बीसीसीआई प्रमुख श्रीनिवासन के इस्तीफे के बाद शुक्ला पर दबाव बढ़ जाएगा। आईपीएल में फिक्सिंग पर जवाबदेही और जिम्मेदार आईपीएल चेयरमैन के तौर पर सीधे राजीव शुक्ला ही बनती है, नैतिक आधार पर उनसे भी इस्तीफा मांगा जा सकता है।
जेटली और शुक्ला ही नहीं बोर्ड से जुड़े नरेंद्र मोदी, सीपी जोशी और फारुख अब्दुल्ला सरीखे दूसरे राजनेता भी श्रीनिवासन के इस्तीफे पर या तो चुप हैं या इस्तीफे की मांग के खिलाफ खिलाफ हैं।
सूत्रों की मानें तो दामाद गुरुनाथ मयप्पन की गिरफ्तारी के बाद श्रीनिवासन कुर्सी छोड़ने का मन बना चुके थे और आईपीएल फाइनल के बाद इस्तीफे का ऐलान करने वाले थे। लेकिन फाइनल से पहले कोलकाता में बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष जगमोहन डालमिया की डिनर पार्टी के बाद उनका इरादा बदल गया। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के दौरान अरुण जेटली ने श्रीनिवासन के इस्तीफे का मुद्दा उठाया। लेकिन डालमिया ने श्रीनिवासन को इस्तीफा देने से रोक दिया।
सूत्रों के मुताबिक डालमिया ने कहा कि इस्तीफा मांगने वाले ज्यादातर लोग राजनेता हैं और बीसीसीआई के किसी भी पदाधिकारी ने उनके इस्तीफे की मांग नहीं की है। डालमिया ने श्रीनिवासन को ये भरोसा भी दिलाया कि घरेलू क्रिकेट संघों का बहुमत उनके साथ है।
मौजूद समय में अंकगणित के लिहाज से भी श्रीनिवासन मजबूत पिच पर खेल रहे हैं। 30 घरेलू क्रिकेट संघों में से ज्यादातर का समर्थन श्रीनिवासन के साथ है। बीसीसीआई की 28 कमेटियों में भी श्रीनिवासन गुट का ही दबदबा है।

ICC से मिली असद रऊफ को इजाजत, आज देगें अपनी सफाई!

आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग विवाद में नाम उछलने के बाद गुपचुप तरीके से भारत छोड़ने वाले पाकिस्तानी अंपायर असद रऊफ आज अपनी सफाई देंगे। आईपीएल के मैचों में स्पॉट फिक्सिंग की साजिश में असद रऊफ के भी शामिल होने का शक है। असद रऊफ की प्रेस कॉन्फ्रेंस आज लाहौर में होगी।
सूत्रों के मुताबिक आईसीसी से मीडिया से बात करने की इजाजत मिलने के बाद रऊफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का फैसला किया है। विवाद के तूल पकड़ने के बाद चैंपियंस ट्राफी में अंपायरों के पैनल से असद रऊफ का नाम हटा दिया गया था। अपने शहर लाहौर में मीडिया से बातचीत में असद रऊफ ने कहा है कि स्पॉट फिक्सिंग मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है और वे पूरी तरह बेकसूर हैं।
ICC से मिली असद रऊफ को इजाजत, आज देगें अपनी सफाई!
उन्होंने चुनौती के अंदाज में कहा कि अगर किसी के पास उनके खिलाफ कोई सबूत है तो वो मीडिया के सामने लाए। भारत से भागने के बाद असद रऊफ कहीं नजर नहीं आ रहे थे और मीडिया की नजरों से बचने की कोशिश कर रहे थे। इस बीच पूरे मामले की जांच कर रही मुंबई क्राइम ब्रांच के सूत्रों का दावा है कि विंदू ने गिरफ्तारी के बाद स्पॉट फिक्सिंग में रऊफ के शामिल होने की बात कबूली है। सूत्रों के मुताबिक विंदू ने तो ये भी माना कि उन्होंने ही रऊफ को भारत से भागने में मदद की और असद रऊफ को भारत का सिम कार्ड नष्ट करने की सलाह दी।

और गिरा रुपया, डॉलर के मुकाबले 56.17 पर पहुंचा रुपया

रुपये की शुरुआत भारी गिरावट के साथ हुई है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 21 पैसे की भारी गिरावट के साथ 56.17 पर खुला है, जो रुपये का 10 महीने का सबसे निचला स्तर है। वहीं मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 55.96 पर बंद हुआ था।
अल्पारी इंडिया के प्रमित ब्रह्मभट्ट का कहना है कि अमेरिका के अच्छे आर्थिक आंकड़ों के चलते डॉलर में मजबूती संभव है, और जिसका असर रुपये पर देखने को मिलेगा। लिहाजा रुपये के सीमित दायरे में ही रहने की उम्मीद है।
साथ ही महीने के आखिरी दिनों में तेल कंपनियों की तरफ से डॉलर की बढ़ती मांग से रुपये पर दबाव बढ़ेगा। इसके अलावा शुक्रवार को आने वाले चौथी तिमाही के जीडीपी के आंकड़ों के कमजोर रहने से भी रुपया पर दबाव दिखेगा। ऐसे में आज के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 55.72-56.28 के दायरे में रह सकता है।

CM शिव के 'राज' में बदहाल हो रहीं स्वास्थ्य सेवाएं!

मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में कुष्ठ, मलेरिया और टीबी के फ्री इलाज के लिए जोर-शोर से आस्था और ममता अभियान की शुरुआत की। जबकि केंद्र सरकार ऐसी योजनाएं पहले से चला रही है। दूसरी तरफ आईबीएन7 की टीम जब राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं का हालचाल जानने के लिए निकली तो हमें जगह-जगह बदहाल स्वास्थ्य सेवा दिखाई दी। इस बिगड़ती सेहत ने बड़ी-बड़ी घोषणाओं के तले कराह रही स्वास्थ्य सेवा पर सवालिया निशान लगा दिया है। आईबीएन 7 की इस खास मुहिम में मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवा की जमीनी हकीकत आपको भी सोचने के लिए मजबूर कर देगी।
हिंदुस्तान का दिल- मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। लेकिन इस दिल को तो रोगों ने घेर लिया है, सेहत बुरी है, नब्ज डूबती जा रही है, ये हम नहीं ये खुद सरकारी आंकड़े कह रहे हैं। पिछले साल मध्य प्रदेश में टीबी की वजह से एक हजार से ज्यादा मौत हुई। पिछले साल यहां सीधी जिले के चौपाई गांव में मलेरिया से 24 बच्चों की मौत हो गई। मलेरिया और टीबी से मध्यप्रदेश के सघन आदिवासी क्षेत्र में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं।
CM शिव के 'राज' में बदहाल हो रहीं स्वास्थ्य सेवाएं!
सूबे की गिरती सेहत को परखते हुए ही 11 अप्रैल को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मलेरिया, कुष्ठ और टीबी के मुफ्त इलाज समेत तमाम तरह की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आस्था और ममता योजना शुरू की।
ममता और आस्था अभियान की शुरुआत करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि एमपी में हमने हेल्थ और एजुकेशन को टारगेट किया है। खासकर एमएमआर, आईएमआर और कुपोषण। इसे बदलने के लिए विशेष अभियान चलाने की ज़रूरत थी इसलिए ममता और आस्था अभियान चालू किया है।
मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार दावा कर रही है कि ममता और आस्था अभियान में लोगों को मलेरिया, कुष्ठ और टीबी का मुफ्त इलाज मिलेगा। लेकिन राजधानी भोपाल से महज 70 किलोमीटर दूर होशांगाबाद, राज्य के बाकी जिलों की तरह मलेरिया, कुष्ठ और टीबी के मुफ्त इलाज की केंद्र की योजना यहां भी पहले से ही लागू है। फिर भी इन बीमारियां से अब कई लोगों की जान जा चुकी है।
होशंगाबाद के सीएचएमओ डॉ सुधीर जैसानी ने बताया कि हमारे यहां थोड़ा स्टॉफ की कमी है, जैसे हमारे यहां विशेषज्ञों के 58 पद खाली हैं। 24 पद रिक्त है, पचगनी में एक ही डॉक्टर है। जब वह डॉक्टर नहीं रहता तो दूसरा डॉक्टर भेजना पड़ता है।
सूबे में कुल 8000 अस्पताल हैं, लेकिन डॉक्टरों की तादाद सिर्फ 4040 है। हालांकि 4000 और डॉक्टरों की जरूरत बताई जाती है। लेकिन सरकार की नजर में सिर्फ 2500 डॉक्टरों ही और चाहिए। सच तो ये है कि प्रदेश में डॉक्टरों के 3000 पद खाली हैं। वहीं 2789 चिकित्सा अधिकारी हैं, जिनके 1951 पद खाली पड़े हैं। 1251 चिकित्सा विशेषज्ञ हैं, जबकि विशेषज्ञों के1806 पद खाली हैं। सूबे में 4300 नर्स स्टॉफ नर्स हैं, लेकिन नर्स के 3817 पद खाली भी हैं।
एमपी को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा योजना यानि एनआरएचएम के तहत इस बार 5000 करोड़ की मोटी रकम मिली है। पिछले साल इस फंड के इस्तेमाल की एक बानगी ये है कि होशंगाबाद के अस्पताल में एनआरएचएम फंड से 12 लाख रुपए का सफाई का सामान खरीद लिया गया। घोटाले के शक में अब इस केस की जांच की जा रही है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में धोनी ने नहीं दिया सवालों का जवाब!

आईपीएल में हुई फिक्सिंग का बबाल थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। बीसीसीआई चीफ एन श्रीनिवासन इस्तीफा न देने पर अड़े है। वहीं नेताओं से लेकर क्रिकेट खिलाड़ियों तक कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। क्रिकेट में फिक्सिंग कांड के बाद पहली बार भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कैमरों के सामने आए और उन्होंने फिक्सिंग के बारे में पूछे गए किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। चुप्पी साधे रहे, मुस्कुराते रहे। देखिए सवालों से घिरे धोनी की बेबसी, मजबूरी और चुप्पी पर हमारी विशेष रिपोर्ट।
चेन्नई सुपरकिंग्स के मालिक गुरुनाथ मयप्पन की गिरफ्तारी के बावजूद उसी टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी उस बारे में बात नहीं कर सकते, उस बारे में सवालों के जवाब नहीं दे सकते, भारतीय क्रिकेट अपने सबसे बड़े साख के संकट से दोचार है फिर भी उन्हें मुंह पर पट्टी बांध कर रखनी चाहिए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में धोनी ने नहीं दिया सवालों का जवाब!
पहला सवाल- आईपीएल के मैचों में फिक्सिंग के आरोपों पर था। लेकिन धोनी से सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। जब धोनी से भारतीय क्रिकेट टीम के बुरे दौर पर सवाल पूछा गया कि टीम के कप्तान के तौर पर धोनी क्या सोचते हैं। लेकिन धोनी ने इस सवाल का जवाब भी नहीं दिया। बस मुस्कराते रहे।
तीसरा सवाल- सट्टेबाजी के आरोप में गिरफ्तार विंदू दारा सिंह से धोनी के रिश्ते पर था। धोनी की पत्नी साक्षी विंदू के साथ मैच में मैदान पर देखी गईं थीं। धोनी से जब पूछा गया कि क्या धोनी विंदू दारा सिंह को जानते थे। जवाब में धोनी बरबस मुस्कुरा उठे।
चौथा सवाल- चैंपियंस ट्रॉफी के लिए धोनी जा रहे हैं। देश की जनता क्रिकेट प्रेमी है। ऐसे में क्या धोनी ये भरोसा दे सकेंगे कि अब क्रिकेट को ऐसी शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ेगी, इस सवाल के जवाब में भी धोनी की शांति था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में धोनी मौनी के अवतार में नजर आ रहे थे। आजतक भारत के इस बेहद तेजतर्रार कप्तान को ऐसी मुद्रा में कभी नहीं देखा गया है। किसी भी प्रेस कान्फ्रेंस में धोनी यूं लाजवाब नजर नहीं आए हैं। उनके पास सवालों के जवाब रहते हैं और वो क्रिकेट को नया विचार और नया रास्ता देने के लिए जाने जाते हैं। लेकिन यहां बात मैच फिक्सिंग जैसे संगीन आरोपों से घिरे खिलाड़ियों की थी, यहां बात सट्टेबाजी के इल्जामों में गिरफ्तार उनकी आईपीएल टीम के मालिक गुरुनाथ मयप्पन की थी, यहां बात अपने दामाद की हरकतों के चलते इस्तीफे की मांग से घिरे बीसीसीआई चीफ एन श्रीनिवासन की थी।
धोनी का बचाव करते हुए बीसीसीआई के मीडिया मैनेजर रेफरी की तरह मैदान में उतर कर ये तय करते नजर आए कि सिर्फ और सिर्फ चैंपियंस ट्रॉफी के बारे में ही सवाल पूछे जाएं। जाहिर है बीसीसीआई का अघोषित गैग ऑर्डर लागू था, आदेश शायद शीशे की तरह साफ था कि खबरदार फिक्सिंग, सट्टेबाजी, श्रीनिवासन, मयप्पन, पैसे, खरीद फरोख्त और ईमान के बिकने जैसे शब्दों को सुन कर भी अनसुना कर दिया जाए। और शायद इसीलिए 16 मई से आईपीएल में फिक्सिंग की खबर आने के बाद धोनी लगातार मीडिया से बचते नजर आ रहे थे। यहां तक की धोनी आईपीएल फाइनल के पहले के दो मैचों और फाइनल मैच की प्रेस कॉन्फेंस से भी नदारद रहे।
ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं- पिछले दो हफ्ते भारतीय क्रिकेट के लिए काले हफ्ते रहे हैं, भारतीय कप्तान को सामने आ कर भारतीय क्रिकेट के इस दौर से निकलने की कामना करनी चाहिए थी, भरोसा देना चाहिए था कि अब क्रिकेट में बेईमानी की कोई जगह नहीं होगी। क्या बीसीसीआई को नहीं लगा कि ऐसा बयान दिलवा कर गिरती साख को थामा जा सकता था? क्या बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन का डर धोनी ही नहीं टीम कोच के सिर पर चढ़ कर बोल रहा है? और इसीलिए धोनी ने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।