आज महाकुंभ में विश्व हिंदू परिषद
की धर्म संसद का दूसरा दिन है। बुधवार के दिन जहां बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ
सिंह ने हिंदुत्व के एजेंडे पर लौटने का साफ साफ संकेत दिया, तो आज बारी
संघ प्रमुख मोहन भागवत की है। खबर है कि आज का एजेंडा केंद्र सरकार पर
हमलावर रुख अख्तियार करने का है। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को उनके संघ
के आतंकी कैंप वाले बयान पर घेरा जा सकता है। इसके अलावा यहां नरेंद्र मोदी
पर भी मंथन की संभावना है। आज सुबह संघ प्रमुख मोहन भागवत महाकुंभ में
पहुंच गए हैं।
इलाहाबाद
में बुधवार के दिन बीजेपी ने राम मंदिर के नाम पर संतों का आशीर्वाद
मांगने में बिताया, लंबी चर्चा हुई। लब्बोलुआब ये कि अब बीजेपी का एजेंडा
साफ है। आज विश्व हिंदू परिषद की धर्मसंसद की कमान संघ प्रमुख मोहन भागवत
के हाथ में होगी यानि आज धर्मसंसद में सरकार पर सीधे-सीधे वार किया जाएगा।
राजनाथ सिंह और मोहन भागवत के धर्मसंसद में पहुंचने का एजेंडा अब आइने की
तरह साफ है। पहले दिन आशीर्वाद मांगा और आज एजेंडा है हमलावर होने का।
कांग्रेस को घेरने के लिए शिंदे के बयान का इस्तेमाल करने का मकसद यही है
की कांग्रेस को पूरी तरह से संत-महात्मा विरोधी घोषित किया जा सके।
महाकुंभ में इसके अलावा आज राम मंदिर पर पारित प्रस्ताव धर्मसंसद में रखा
जाएगा। वीएचपी का दावा है कि आज खुले सत्र में तकरीबन 10 हजार साधु-संत
अपनी राय रखेंगे। गौ हत्या के खिलाफ और गंगा की शुद्धि के लिए प्रस्ताव भी
रखा जाएगा। इसके अलावा जो प्रस्ताव बुधवार को पास किए गए उसे भी संत समाज
के सामने रखा जाएगा। बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया
कि 2014 के लिए राम मंदिर अर्से बाद फिर से उनके अहम एजेंडे में है।
राजनाथ जानते हैं कि बीजेपी अपने तीन कोर
मुद्दों राममंदिर का निर्माण, समान नागरिक संहिता और अनुच्छेद 370 से भटक
चुकी थी। सूत्रों का कहना है कि हाल ही में बीजेपी और आरएसएस की बैठक में
भी अपनी जड़ों की ओर लौटने पर चर्चा हुई थी। संघ ने साफ कर दिया कि 2004 और
2009 के चुनाव में बीजेपी की न सीटें बढ़ीं न सहयोगी बढ़े। लिहाजा अब
पार्टी के लिए दोबारा अपनी मूल विचारधारा को गले लगाने का वक्त आ गया है।
विश्व
हिंदू परिषद के मार्गदर्शक मंडल की बैठक में राजनाथ का शामिल होना
इत्तेफाक नहीं था। ये बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब बीजेपी में राजनीतिक
सरगर्मियां उफान पर थीं। वैसे भी वीएचपी ने राम मंदिर के ठंडे पड़े मुद्दे
को गर्माना शुरू कर दिया है। संकेत साफ हैं, चुनाव सिर पर हैं। संघ से पहले
ही राजनाथ मिल चुके हैं और अब वीएचपी के झंडे तले कुंभ में संतों का
आर्शीवाद लेना बीजेपी के राम मार्ग पर आने के पुख्ता संकेत हैं।
इसी
बीच वीएचपी संसद के मॉनसून सत्र तक सभी पार्टियों को राम मंदिर के हक में
कानून बनाने का अल्टीमेटम दे रही है और ऐसा न होने पर 6 लाख गांवों में
रामनाम के जाप का कार्यक्रम बना रही है। भले ही वीएचपी का ये कदम हवाई लग
रहा हो, भले ही ये भी लग रहा हो कि राम मंदिर पर वीएचपी फिलहाल कोई नया
आंदोलन छेड़ने का मन नहीं बना रही है लेकिन बीजेपी में तेज बदलाव जरूर नजर आ
रहा है। आज आवाज इलाहाबाद की धर्मसंसद से निकलेगी, लेकिन गूंजेगी दिल्ली
के सियासी गलियारे में।
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