हेलीकॉप्टर सौदे में खाई गई करीब 370 करोड़
की दलाली पर भूचाल मचा हुआ है। आखिर करोड़ों की दलाली की कहानी का सच क्या
है। ये सच जेम्स बॉन्ड की फिल्म की तरह रोमांचक है, जिसमें जासूस हैं, फोन
हैं और महंगी कार भी हैं। आखिर इटली की जांच एजेंसियां कैसे पहुंची घूस की
रकम पर। आखिर दलाल इस कहानी में आए कैसे। आखिर क्यों पहली बार देश के
वायुसेनाध्यक्ष का नाम इस सौदे में आया। जवाब मिलेंगे, राजनीति से औऱ इन
सबकी कलई खोलती इटली की जांच एजेंसियों की जांच रिपोर्ट से।
ऑडी
ए 6, नंबर प्लेट- T 1304420, तारीख 3 मार्च 2012, इस नंबर की ऑडी कार में
दो शख्स बैठे थे। लेकिन इनकी बातचीत कोई और सुन रहा था। इस कार में बग लगा
था। गुइडो हाश्क और उसका बिजनेस पार्टनर कार्लो गेरोसा बेफिक्र बातचीत किए
जा रहे थे। ये दोनों वही बिजनेस पार्टनर हैं जिन पर ऑगस्टा वेस्टलैंड
हेलीकॉप्टर डील में दलाली करने का आरोप है। 8 मिनट 39 सेकेंड की इस बातचीत
में दोनों ऑगस्टा से जुड़े कागजात छिपाने की बात कर रहे हैं।
हाश्क- वैसे भी, महीनों पहले मैंने ऑगस्टा वेस्टलैंड नाम की सभी फाइलें ऑफिस से हटा दी हैं।
गेरोसा- लेकिन कांन्ट्रेक्ट की फाइल सेफ में दोबारा देखनी पड़ेगी।
हाश्क- ज्यादा से ज्यादा तुम उसे भी फाड़ दो।
गेरोसा- बेहतर होगा कि उसे हम घर में रख लें, सेफ से हटा कर, किसी अलमारी में।
हाश्क- हां मैंने तो सारी चीजें अपनी मां के घर रख दी हैं।
बातचीत
सुनकर यूजिनियो फस्को की टीम के कान खड़े हो गए। यूजिनियो फस्को इटली के
शहर बस्टो अरिजियो के जांचकर्ता हैं और उन्ही टीम ने ही हाश्क की ऑडी ए 6
को बग किया था। ये बातचीत शाम चाढ़े चार बजे की थी। फस्को की टीम ने पौने
पांच बजे दोबारा कुछ खास रिकॉर्ड किया।
गेरोसा- उन्हे सिर्फ ये कहना है कि मैं भारत में किसी से आदेश लेता हूं। लेकिन ये हम खुल कर गौतम को नहीं बता सकते।
हाश्क- उसे सब पता है।
गेरोसा-
वो हमारे लिए बॉर्डरलाइन है। मनी लॉन्डरिंग के आदेश हम देते हैं। लेकिन
असली काम तो वही करता है। हम लोग सही में आपराधिक सांठगांठ में हैं।
इटली
की जांच एजेंसी शक पुख्ता हो गया कि ऑगस्टा वेस्टलैंड ने भारत में जो 12
हेलीकॉप्टर का सौदा किया है उसमें दलाली खिलाई गई है। हाश्क और गेरोसा का
नाम उन्हे ऑगस्टा के मुख्य कंपनी फिनमेकैनिका के एक बड़े अधकारी से कंफर्म
हुआ था। अधिकारी का नाम था बोरगोनी लॉरेन्ज़ो जो उस वक्त फिनमेकैनिका के
अंतर्राष्ट्रीय बिजनेस का हेड था। जांचकर्ताओं ने लॉरेन्ज़ो से 15 नवंबर
2011 में पूछताछ की।
जांचकर्ता- सिर्फ ओरसी के नाम को लेकर माहौल खराब था
लॉरेन्ज़ो-
सिर्फ ओरसी को लेकर एक चीज़ जो मुझे पता चली कि वो कंपनी को बड़े नुकसान
के बारे में बात कर रहे थे। 2010 में भारत में हेलीकॉप्टर खरीद से जुड़े
कान्ट्रेक्ट के बारे में, इसमें दो दलाल थे। जबकि ऑगस्टा ने शपथ पत्र पर
साइन किया था कि कोई दलाल नहीं हो सकता।
जांचकर्ता- दो दलाल थे।
लॉरेन्ज़ो- दो, मिशेल और हाश्के।
हाश्के
के अलावा लॉरेन्ज़ो ने दो नाम लिए थे। गियूसेप्पे ओरसी और क्रिस्चियन
मिशेल। इसके तीन महीने बाद ही हाश्के और गिरोसा की बातचीत रिकॉर्ड की गई।
इसके बाद भी ओरसी को दिसंबर 2011 में फिनमेकैनिका का अध्यक्ष बनाया गया।
इस
बीच अपनी जांच आगे बढ़ा रहे इटली के जांचकर्ताओं ने हाश्क पर नजर बनाए रखा
और उसकी बातचीत रिकॉर्ड करते रहे। अपने एक और साथी के साथ बातचीत में
हाश्क ने माना कि भारत में उसने एक कंपनी खोली है जिसके तीन पार्टनर हैं।
वो खुद, उसका साथी गेरोसा और गौतम खेतान जिसे वो अपना भारतीय वकील बता रहा
है। जांचकर्ताओं का मानना है कि ये आईडीएस इंडिया और एयरोमैट्रीक्स के बारे
में बातचीत है। बातचीत में एक और नाम आय़ा मेसीना कॉरमेलो का। रोम का रहने
वाला मेसीना पहले भी हाश्क के साथ बिजनेस कर चुका था। जांचकर्ताओं ने
मेसीना का स्टेटमेंट रिकॉर्ड किया। अपने स्टेटमेंट में मेसीना ने कहा कि
हाश्क फिनमेकैनिका के किसी बड़े अधिकारी से मिलना चाहता था जिसके लिए उसमें
मेरी मदद की। ये 2005-06 की बात है। मैं उस वक्त फिनमेकैनिका के जनरल
डॉयरेक्टर ज़ापा को जानता था।
आईबीएन7
के पास मौजूद इटालियन जांचकर्ताओं की रिपोर्ट में ये पूरी कहानी दर्ज है।
मेसीना ने ही हाश्क को ज़ापा से मिलवाया। ज़ापा ने कंपनी के सीईओ ओरसी को
इस बारे में बात की। लेकिन ओरसी ने कहा कि भारतीय सौदे की शर्तों पर उनका
हेलीकॉप्टर नहीं उतरता। ज़ापा ने ये बात मेसीना को बताई। इसके बाद हाश्क ने
अपने भारतीय कनेक्शन के राज़ ज़ापा के सामने खोले। जांचकर्ताओं की रिपोर्ट
के मुताबिक हाश्क ने अपने साथी गेरोसा के भारतीय पार्टनर यानी त्यागी
बंधुओं से जापा की मुलाकात करवाई। त्यागी परिवार में तीन भाई हैं- संजीव
उर्फ जूली त्यागी, डॉक्सा त्यागी और संदीप त्यागी। संजीव भारतीय वायुसेना
में हेलीकॉप्टर पायलट रह चुका है। हाश्क ने ज़ापा को बताया कि जूली के
रिश्तेदार यानी एस पी त्यागी भारतीय वायुसेना के प्रमुख बन चुके हैं।
हाश्क
का कबूलनामा ‘मैंने इंजीनीयिर ओरसी से कहा कि त्यागी परिवार से मेरे
ताल्लुकात बहुत अच्छे हैं और उनकी ही वजह से एयर चीफ मार्शल की मुलाकात
ज़ापा से हो पाई। उस वक्त सिर्फ कुछ जानकारी मांगी गई थी। मैंने अगली
मीटिंग्स में कहा कि इसमें पक्का टेंडर निकलेगा और मैं अपने अहम सूत्रों के
ज़रिए ऑगस्टा को ठेका दिलवाने की कोशिश कर सकता हूं। इससे पहले एस पी
त्यागी के साथ मीटिंग में जो चर्चा हुई थी उसमें 18000 फीट उंचाई के बारे
में बात हुई थी जिसमें यूरोकॉप्टर को छोड़ कर कोई मुकाबले में नहीं था।
लेकिन यूरोकॉप्टर वीआईपी हेलिकॉप्टार नहीं बनाता’।
यानी
रिपोर्ट के मुताबिक हाश्क ने एस पी त्यागी से न सिर्फ ज़ापा की मुलाकात
करवाई बल्कि शर्तें बदलने के बारे में भी बात की। इसके बाद ही ओरसी ने
हाश्क को भारतीय सौदे के समझौते के लिए फिनमेकैनिका का कंसल्टेंट नियुक्त
किया। लेकिन ओरसी ने साथ में अपने पुराने विश्वासपात्र और लंदन स्थित
बिजनेसमैन क्रिस्चियन मिशेल को भी डील का हिस्सा बनाया। मिशेल पहले भी
अंतर्राष्ट्रीय सौदों में फिनमेकैनिका के लिए दलाली कर चुका था और माना
जाता है कि भारत की राजनीतिक बिरादरी में उसकी अच्छी पहुंच है।
जांच
रिपोर्ट के मुताबिक टेंडर की शर्त बदलने और ऑगस्टा वेस्टलैंड के टेंडर में
हिस्सा लेने का रास्ता साफ होने के तुरंत बाद दलाली की पहली किश्त दी गई।
ये साल 2005-06 की बात है जब भारत में कई बैठकों के बाद टेंडर की शर्त
बदलने का आखिरी फैसला हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक 2 लाख यूरो की पहली किश्त
मिशेल ने हाश्क और गेरोसा के खाते में डाली। ये पैसे इटली के शहर लुगानो और
कैसिना कोस्टा में दिए गए। रिपोर्ट के मुताबिक हाश्क ने पहली किश्त का आधा
या यानी 1 लाख यूरो अपने कई भारतीय दौरों के दौरान कैश में जूली त्यागी को
दिए। इसके बाद मिले दो लाख यूरो में से भी आधे जूली त्यागी को दिए गए।
इटालियन
जांचकर्ताओं के मुताबिक पैसे एयर चीफ मार्शल एस पी त्यागी के पास भी
पहुंचे लेकिन त्यागी बंधुओं ने कितने पैसे एस पी त्यागी को दिए इसका आकलन
फिलहाल नहीं है। लेकिन जांचकर्ताओं ने ये खुलासा किया है कि भारत और
ट्यूनिशिया में फर्जी कंपनी बना कर बाकी के पैसे रुट किए गए। इसका पूरा
ब्यौरा आईबीएन7 के पास मौजूद जांच रिपोर्ट में है। 2007 से 2011 के बीच
भुगतान की गई रकम की ये लिस्ट दो कंपनियों से जुड़ी है। आईडीएस इंडिया और
आईडीएस ट्यूनिशिया। गौतम खेतान और प्रवीण बख्शी का नाम आईडीएस इंडिया से
जुड़े होने की वजह से ही आ रहा है। जांच एजेंसी का दावा है कि इन कंपनियों
को इंजीनियरिंग कंसल्टेंट बनाया गया। लेकिन बिना किसी बिजनेस के इनके खाते
में ये रकम आती रही। भारत में 2007 में 6 लाख 40 हजार यूरो, 2008 में 9 लाख
77 हजार यूरो, 2009 में 5 लाख 08 हजार यूरो, 2010 में 22 हजार 764 यूरो
भेजे गए। यानी बहुत छोटी छोटी रकम के जरिए फिनमेक्कानिका ने अपनी बैलेंस
शीट दुरुस्त करने की कोशिश की।
जांच
एजेंसी की मानें तो पैसे भेजने का ये सिलसिला जांच शुरू होने तक जारी रहा।
ठीक इसी तरह ट्यूनिशिया में बनाई गई कंपनी आईडीएस में भी पैसे भेजे गए।
वैसे जानकारी के मुताबिक प्रवीण बख्शी 2010 कर आईडीएस इंडिया में वाइस
प्रेसिडेन्ट था। 2010 में हाश्क और गेरोसा ने एक और कंपनी एयरोमैट्रिक्स
लांच की जिसका सीईओ भी बख्शी को बनाया गया। ये जांच अभी चल रही है कि क्या
आईडीएस को बंद करने के बाद ही एयरोमैट्रिक्स कंपनी खोली गई। वैसे, अभी कई
सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं। आरोप है कि 362 करोड़ रुपए घूस में खिलाए
गए। इसमें से कितना पैसा त्यागी बंधुओं और भारत में दूसरे ताकतवर लोगों को
मिला। इसमें से 217 करोड़ रुपए क्रिश्चियम मिशेल को दिए गए। इस रकम में से
कितना पैसा भारत आय़ा।
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