Thursday, February 14, 2013

महाकुंभ में वसंत पंचमी पर आखिरी शाही स्नान जारी

इलाहाबाद कुंभ में वसंत पंचमी पर संगम स्नान के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। पंचमी का योग कल सुबह 10 बजकर नौ मिनट से शुरू हो गया था, लेकिन पुण्यकाल आज सुबह 4 बजे से शुरू हो गया है। वहीं वसंत पंचमी पर अखाड़ों का तीसरा और अंतिम शाही स्नान भी जारी है।
आज इलाहाबाद के कुंभ क्षेत्र में एक बार फिर भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। सबकी मंजिल गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम है। जहां एक डुबकी लगाने के लिए वे न जाने कहां-कहां से खिंचे चले आ रहे हैं। विश्वास है कि कुंभ के दौरान जो मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी यानी तीनों पर संगम स्नान करता है, उसे जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। वसंत पंचमी का सीधा संबंध ज्ञान की देवी सरस्वती से है। जिनके नदीस्वरूप से ही त्रिवेणी संगम बनता है। 
ज्योतिषाचार्य पं.रामनरेश त्रिपाठी के मुताबिक बसंत पंचमी का स्नान सरस्वती को समर्पित है। सरस्वती का जन्म हुआ था। वो अदृश्य सलिला के रूप में संगम में छिपी है। माघ महीने की पंचमी तिथि ही दरअसल वसंत पंचमी है। भारत में ऋतुराज वसंत के स्वागत और आनंदोत्सव मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है। पवित्र नदियों में स्नान भी उसी की कड़ी है। कुंभ के दौरान वसंत पंचमी को और भी पुण्यदायी माना जाता है। इस बार वसंत पंचमी का योग गुरुवार सुबह 10 बजकर नौ मिनट से शुरू हुआ है। लेकिन सुर्योदय के बाद तिथि शुरू होने की वजह से स्नान का पुण्यकाल 15 फरवरी यानी शुक्रवार सुबह 4 बजे से तिथि के समापन यानी 10 बजकर 47 मिनट तक है।
वैसे संगम में चाहे सरस्वती लुप्त हो, लेकिन पूरा इलाहाबाद ही सरस्वती पुत्रों के लिए प्रसिद्ध है। हिंदी साहित्य के सूर्य कहे जाने वाले महाकवि निराला यहीं गंगा तट पर बसे दारागंज मुहल्ले में रहते थे। वे अपना जन्मदिन वसंत पंचमी पर ही मनाते थे। कुंभक्षेत्र में इलाहाबाद का ये रंग भी नजर आता है।
वसंत प्रकृति ही नहीं, मनुष्य के जीवन में भी राग भरता है। ये राष्ट्रों के इतिहास की सबसे बड़ी प्रतीक्षा भी है। इसीलिए ज्ञान की देवी सरस्वती को समर्पित इस पंचमी स्नान में एक ही सुर हर तरफ गूंज रहा है स्वागत वसंत, तुम आओ, बार-बार आओ और एक बार ऐसे भी आओ कि कभी वापस न जाओ।


No comments:

Post a Comment