राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है
जहां सुनवाई का अधिकार कानून लागू हो गया है। इसके तहत आम आदमी की शिकायत
को सुनना और उस पर कार्रवाई करना अफसरों की मजबूरी है। लेकिन क्या इस कानून
से वाकई आम आदमी को राहत मिली है।
दरअसल
सुनवाई का अधिकार कानून राजस्थान में 1 अगस्त 2012 से लागू हो चुका है।
राजस्थान सरकार के इस दावे की जमीनी हकीकत जानने आईबीएन7 की टीम पहुंची
राजसमंद जिले के धोरेला गांव। इस गांव में झमकू का घर है। झमकू बीपीएल धारक
है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक इनके घर 31 मार्च 2008 को बिजली का कनेक्शन
लग चुका है। लेकिन जब झमकू के घर के अंदर गए तो इस सरकारी सच्चाई का काला
चिट्ठा सामने आ गया। झमकू ने अपनी झोपड़ी में रखे बक्से से बिजली का बोर्ड
और फिर बिजली का मीटर निकालकर दिखाया। झमकू के मुताबिक चार साल पहले बिजली
विभाग के कर्मचारी आए थे और बिजली का मीटर उन्हें थमा गए। कुछ वक्त बाद
बिजली का बिल भी आ गया। लेकिन आजतक बिजली नहीं आई, अभी भी ये ढिबरी की
रोशनी में ही जीने को मजबूर हैं।
इसी गांव के तोल सिंह का परिवार तो सरकारी धोखे को जगजाहिर करने के लिए
अपने ऊंट की गर्दन से बिजली का मीटर लटकाए घूम रहा है। इस परिवार का भी यही
आरोप है कि चार साल पहले उन्हें बस मीटर थमा दिया गया। लेकिन घर तक बिजली
आज भी नहीं पहुंची। इस गांव के 35 बीपीएल परिवार बिजली विभाग के इस धोखे की
शिकायत पिछले चार साल से कर रहे हैं। सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं
पर कुछ नहीं हुआ।
ब सुनवाई का अधिकार कानून लागू हुआ तो
इन्हें उम्मीद की किरण नजर आई। इन्होंने 27 दिसंबर 2012 को शिकायत दर्ज
कराई। तब जाकर सरकारी अधिकारी जागे। हालांकि 21 दिन का समय खत्म हो चुका
है। लेकिन अब प्रशासन ये मान रहा है कि गांव के लोगों के साथ धोखा हुआ और
इस मामले में घोटाला हुआ है। लेकिन इस घोटाले की जांच का ऐलान अबतक नहीं
हुआ है। अब प्रशासन इस बात का रोना रो रहा है कि चूंकि बिजली के पोल ही
नहीं लगाए गए लिहाजा गांव वालों को बिजली मिलने में जरा वक्त लगेगा। लेकिन
राजसमंद जिले के ही राजवां गांव के लोग इतने मायूस नहीं। इनकी शिकायत के
हफ्ते भर बाद ही घरों में बिजली वाकई आ गई।
ग्राम
पंचायत में सुनवाई के अधिकार के तहत हुई जनसुनवाई में शिकायत के बाद बिजली
महकमे ने कार्रवाई के डर से आनन-फानन में बिजली के कनेक्शन तो दे दिए।
बिजली के मीटर घरों में लगते हैं। लेकिन कहीं घर से 300 फीट दूर मीटर लगा
दिया, तो कहीं बिजली के पोल पर ही मीटर टांग दिया।
सुनवाई
का अधिकार कानून राजस्थान में एक अगस्त 2012 को लागू हुआ है। इस कानून में
साफ शर्त है कि पंचायत स्तर पर पीड़ित की शिकायत दर्ज कर एक रसीद देनी
होगी। और अगले सात दिन में निश्चित तारीख पर सुनवाई होगी। 21 दिन में
शिकायतकर्ता को जबाब देने की भी इसमें शर्त है। अगर 21 दिन में काम न हुआ
तो जिम्मेदार अधिकार पर जुर्माना होगा। लेकिन अगर इस कानून का वाकई असर
देखना है तो सरकार को इसे सख्ती से लागू करना होगा।
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