पाकिस्तानी उलेमाओं ने अफगानिस्तान और
पाकिस्तान के उलेमाओं का काबुल में मार्च में होने वाले सम्मेलन का
बहिष्कार करने का फैसला लिया है। उनके फैसले से यह आयोजन खटाई में पड़ गया
है।
समाचार
एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, पाकिस्तानी उलेमाओं के प्रमुख मुफ्ती अबू
हुरैरा ने पिछले सप्ताह अपने बहिष्कार की सूचना अफगान उलेमा काउंसिल को दी।
उनका कहना है कि यह सम्मेलन तालिबान को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा
था।
पाकिस्तान
के एक अन्य धार्मिक नेता ताहिर अशरफी ने भी सम्मेलन में शिरकत नहीं करने
का ऐलान किया। बकौल अशरफी, तालिबान के खिलाफ फतवा जारी करने के लिए इस मौके
का इस्तेमाल किया जा सकता है।
गौरतलब
है कि अफगनिस्तान सरकार ने दोनों इस्लामी मुल्कों के प्रमुख धार्मिक
विद्वानों को एक साथ लाने के लिए काबुल में सम्मेलन करने का प्रयास किया
था।
सम्मेलन का मकसद अफगानिस्तानी और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) सैनिकों के खिलाफ फिदायीन हमलों की निंदा करना था।
अफगनिस्तान
के पर्यवेक्षकों का कहना है कि पाकिस्तानी उलेमा तालिबान पर सीधे हमला
इसलिए नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि वे कभी तालिबानी आतंकवादियों के शिक्षक
रह चुके हैं। वे उनके खिलाफ कभी भी फतवा नहीं जारी करेंगे।
उल्लेखनीय है कि तालिबान पहले ही पाकिस्तान उलेमाओं से काबुल सम्मेलन में शिरकरत नहीं करने की अपील कर चुका है।
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