Thursday, February 28, 2013

क्या 'मोदी राग' के चलते नीतीश के बदल गए सुर?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय बजट की तारीफ करके नए राजनीतिक समीकरणों के संकेत दिए हैं। नीतीश का ये रुख बीजेपी से बिलकुल उलट है जो बजट को जनविरोधी बताते हुए ताल ठोंक रही है। माना जा रहा है कि आम चुनाव की तैयारी मे जुटी बीजेपी जिस तरह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को कमान सौंपने का ताना-बाना बुन रही है, उससे नीतीश काफी नाराज हैं।
वित्तमंत्री पी.चिदंबरम ने रिकॉर्ड आठवीं बार केंद्रीय बजट पेश किया तो न जनता में उत्साह जगा और न शेयर बाजार में। विपक्ष ने भी इसे पूरी तरह खारिज कर दिया। मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने तो विकास दर गिरने और बाकी आर्थिक संकट के लिए सीधे यूपीए के लगभग दशक भर से जारी शासन को जिम्मेदार ठहराते हुए हमला बोल दिया, लेकिन इस हमले के दौरान एनडीए के कुछ खास सिपहसालार मुंह मोड़ कर खड़े हो गए। 
बिहार के मुख्यमंत्री और एनडीए के विश्वस्त सहयोगी जेडीयू के कद्दावर नेता नीतीश कुमार ने तुरंत ही बजट की तारीफ कर दी। उन्होंने विकास के पैमानों में बदलाव के एलान को अपनी जीत बताया। उन्होंने दावा किया कि बिहार को विशेष राज्य दिलाने की उनकी मांग सैद्धांतिक रूप से मजबूत हुई है। 
नीतीश कुमार का ये रुख चौंकाने वाला है। सवाल उठे कि ये सुर किसी नए राजनीतिक समीकरण के संकेत तो नहीं। आखिर बीजेपी की राय से एकदम उलट राय रखने से एनडीए की एकता का क्या होगा जो अगले आम चुनाव में यूपीए को सत्ता से बाहर करने का ख्वाब देख रहा है। आईबीएन7 के मैनेजिंग एडिटर आशुतोष ने अपने कार्यक्रम एजेंडा में जेडीयू सांसद और पूर्व केंद्रीय राजस्व सचिव एन.के.सिंह से इस सिलसिले में सीधा सवाल पूछा, तो जवाब मिला कि नहीं ऐसा नहीं है। अगर पहले अच्छा काम नहीं हुआ तो क्या अब भी न हो?
एन.के.सिंह के इस इंकार में भी इकरार की गूंज है। बीजेपी जिस बजट को बुरा बताते नहीं थक रही, उसे वे अच्छी शुरुआत करार दे रहे हैं। बीजेपी के लिए भी नीतीश और जेडीयू का ये रुख हैरान करने वाला है। उसे खतरे की आहट सुनाई दे रही है, लेकिन हमारे राजनीतिक संपादक सुकेश रंजन से बातचीत में बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने नीतीश के कांग्रेस विरोधी इतिहास पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि नीतीश कांग्रेस के साथ कभी नहीं जाएंगे।
आखिर यशवंत सिन्हा को ये क्यों कहना पड़ रहा है कि नीतीश कांग्रेस के साथ नहीं जाएंगे। इसकी आशंका पैदा ही क्यों हुई। दरअसल, बीजेपी इन दिनों मोदी के नाम का जाप करने में जुटी है। शुक्रवार से दिल्ली में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और परिषद की बैठक शुरू हो रही है। कहा जा रहा है कि इसमें आम चुनाव की कमान मोदी को सौंप दी जाएगी। हालांकि सहयोगियों के एतराज को देखते हुए मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार नहीं घोषित किया जाएगा।
जाहिर है, बीजेपी के इस मोदी राग ने नीतीश का सुर बिगाड़ दिया है। वे पहले भी एलान कर चुके हैं कि अगर मोदी एनडीए की अगुवाई करते दिखेंगे तो उन्हें अलग रास्ता चुनना पड़ेगा। उन्होंने बजट की तारीफ करके एक तरह से बीजेपी को चेताया है। संकेत साफ है कि मोदी आगे आए तो उन्हें कांग्रेस खेमे में जाने से परहेज नहीं होगा। यूं भी, समाजवादी पृष्ठभुमि से आए नीतीश कुमार का मनमोहन सिंह के अर्थशास्त्र की तारीफ करना सामान्य बात नहीं है।


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