आज से संसद का बजट सत्र शुरु हो रहा है।
सत्र की शुरूआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी। इस सत्र में 11 ऐसे बिल हैं
जिन्हें सरकार पास करना चाहती, लेकिन हेलीकॉप्टर घूसकांड को लेकर विपक्ष
के कड़े तेवर हैं। इसलिए सरकार के लिए ये आसान नहीं होगा। जबकि बुधवार को
सरकार को एक मोर्चे पर बड़ी राहत मिली। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने
लिखित बयान जारी कर भगवा आतंकवाद से जुड़े अपने विवादास्पद बयान पर खेद
जाहिर किये।
संसद के बजट सत्र की शुरूआत
अब किसी हंगामे से नहीं होगी। गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे के बयान को लेकर
मचे बवाल पर आखिरकार बुधवार देर शाम रास्ता निकल आया। यूपीए अध्यक्ष
सोनिया गांधी के निवास पर अहम बैठक हुई जिसमें शिंदे के अलावा रक्षामंत्री
ए.के.एंटनी और संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ के अलावा कई अहम कांग्रेस नेता
मौजूद थे। बैठक के बाद शिंदे ने अपने उस बयान पर सफाई जारी की जिसमें
उन्होंने बीजेपी औऱ आरएसएस कैंपों में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप
लगाया था।
शिंदे ने कहा कि पिछले महीने जयपुर में दिए गए मेरे बयान से भ्रम पैदा हुआ।
ये समझा गया कि मैं आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ रहा हूं और किसी सियासी
पार्टी पर आतंकी शिविरों से जुड़े होने का आरोप लगा रहा हूं। इस बात का
सवाल ही नहीं उठता कि जयपुर में मेरे भाषण में जिस पार्टी का ज़िक्र हुआ था
उससे आतंकवाद को जोड़ा जा सकता है, लेकिन चूंकि मेरे बयान पर एक विवाद
खड़ा हो गया था, इसलिए जिन्हें मेरे बयान से ठेस पहुंची, उनके लिए मैं ये
खेदपूर्ण सफाई जारी कर रहा हूं। मैं भारत के सामाजिक ढांचे में सौहार्द
बनाए रखने के लिए अपना कर्तव्य निभाता रहूंगा।
शिंदे के बयान को हिंदुओं को आतंकवादी बताने की कोशिश बतौर प्रचारित करने
में जुटी बीजेपी ने भी इस सफाई के बाद तेवर ढीले कर दिए। पार्टी ने शिंदे
के बयान को स्वीकार करते हुए कहा कि ये उन लोगों के लिए एक सबक है जो
आरएसएस और बीजेपी पर बेजा आरोप लगाते रहते हैं।
वैसे,
बुधवार को शिंदे के बयान को लेकर दिन भर सरगर्मी रही। बीजेपी के राष्ट्रीय
अध्यक्ष राजनाथ सिंह के नेतृत्व में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने
शिंदे का घर घेरने की तैयारी की थी लेकिन उन्हें संसद मार्ग पर रोक लिया
गया। उधर, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में
भी बीजेपी का रुख कड़ा रहा।
लोकसभा
में नेता विपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि मैने लोकसभा अध्यक्ष से पहले ये
साफ करने को कहा कि अगर हम आतंकवादी हैं तो हमें सदन में बैठने का हक़ है
या नहीं और इस सवाल का जवाब कार्यवाही चलने की मूल शर्त है। दूसरी ओर, बजट
सत्र के लिए रणनीति बनाने के लिए हुई एनडीए की बैठक में भी ये मुद्दा छाया
रहा। रास्ता निकालने के लिए दिनभर सियासी सरगर्मियां जारी रहीं। संसद भवन
में संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और लोकसभा
में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज की एक बैठक हुई। कांग्रेस कोर ग्रुप की एक
बैठक हुई जिसमें प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी की मौजूदगी में इस मुद्दे
पर चर्चा की गई।
उधर,
प्रधानमंत्री ने भी विरोधी दलों से सदन की कार्यवाही चलाने में सहयोग
मांगा। जाहिर है, सरकार को समझ आ गया कि बजट सत्र की शांतिपूर्ण शुरुआत के
लिए बीजेपी को मनाना होगा। लेकिन वो पूरी तरह झुकना भी नहीं चाहती थी।
इसलिए बीच का रास्ता निकाला गया। शिंदे ने माफी नहीं मांगी लेकिन खेद जता
दिया। उनके बयान का मतलब ये था कि बीजेपी किसी भ्रम में पड़कर हंगामा कर
रही है जबकि उन्होंने तो कुछ और ही कहा था।
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