दिल्ली हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों में नर्सरी
की मौजूदा प्रक्रिया जारी रखने का फैसला किया है। कोर्ट ने कहा है कि
मौजूदा प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। अदालत ने कहा है कि
शिक्षा के अधिकार का कानून नर्सरी में दाखिले के मामले में लागू नहीं होता
है।
हाईकोर्ट
के इस फैसले के बाद याचिकाकर्ता अशोक अग्रवाल ने कहा कि हाई कोर्ट ने अपनी
ऑब्जरवेशन में साफ कहा है कि आरटीई को नर्सरी एडमिशन में भी लागू करना
चाहिए। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे कि आरटीई को नर्सरी में भी एप्लाई करें।
हाई कोर्ट ने कहा है कि सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार है।
मालूम हो कि दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की
गई जनहित याचिका में ये दलील दी गई थी कि सरकार की ओर से जारी किया गया
नोटिफिकेशन शिक्षा के अधिकार के उस कानून की अनदेखी कर रहा है, जिसमें हर
छात्र को शिक्षा देने का प्रावधान है। याचिका में कहा गया था कि स्कूलों की
ओर से तय किया गया प्वाइंट सिस्टम जिसमें सिबलिंग और पूर्व छात्र की
कैटेगरी है वो शिक्षा के अधिकार के कानून का पालन नहीं करता।
गौरतलब
है कि हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि शिक्षा के अधिकार का कानून
किसके लिए मान्य है। जवाब में केंद्र सरकार ने अदालत को बताया था कि शिक्षा
के अधिकार कानून महज 6 साल से लेकर 14 साल तक के बच्चों के ऊपर लागू है और
राज्य सरकार उससे कम उम्र के बच्चों के लिए नियम बनाने के लिए स्वतंत्र
है। अदालत में सरकार के अलावा स्कूल,याचिकाकर्ता और अभिभावकों की तरफ से
दलील रखी गई थी। अदालत का ये फैसला 2013-14 सत्र के लिए लागू होगा।
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