बीजेपी नेता अरुण जेटली की जासूसी की
कोशिशों की तहकीकात के दौरान दिल्ली पुलिस ने अहम खुलासा किया है। सिर्फ
जेटली ही नहीं बल्कि कई और नेताओं की कॉल डिटेल निकलवाने की कोशिश हुई है।
पुलिस को शक है कि इसके पीछे एक गहरी साजिश है, लेकिन इस साजिश के पीछे कौन
है, ये साफ नहीं हो पाया है। दिल्ली पुलिस को उम्मीद है कि अरुण जेटली के
मोबाइल फोन के कॉल डीटेल्स निकलवाने का आरोपी पुलिस कांस्टेबल अरविंद डबास
अहम राज उगल सकता है।
दिल्ली पुलिस का
कांस्टेबल अरविंद डबास पर आरोप है कि पिछले कई दिनों से वो बीजेपी के
वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के मोबाइल नंबर की कॉल डीटेल निकालने की कोशिश में
था। पुलिस के मुताबिक अरविंद की इस कारगुजारी में नीरज नाम का जासूस भी
शामिल था। इसी निजी जासूस के कहने पर जेटली के कॉल डीटेल्स निकाले गए थे।
लेकिन दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को इस केस की पड़ताल में कुछ चौंकाने
वाले तथ्य पता चले हैं। मसलन साजिश के निशाने पर अकेले अरुण जेटली नहीं थे।
12-13 और बड़े नेताओं के फोन हैक किए गए या कॉल डिटेल हासिल करने की कोशिश
हुई। ये एक बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकता है। ऐसी साजिश जो राष्ट्रीय
सुरक्षा के लिए खतरा हो ।
स्पेशल सेल ने इस बात से साफ इनकार किया है कि अरविंद डबास ने व्यक्तिगत
कारणों से कॉल डिटेल हासिल करने की कोशिश की। अगर पुलिस के सूत्रों की
मानें तो जल्द ही कुछ और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। इसी लिहाज से अरविंद
डबास की 5 दिन की रिमांड की मांग की गई। अदालत ने उसे 2 दिन की पुलिस
रिमांड में भेज दिया। जबकि निजी जासूस नीरज पहले से ही पुलिस हिरासत में
है। दिल्ली पुलिस ने इस बेहद संवेदनशील केस में अपनी स्टेटस रिपोर्ट गृह
मंत्रालय को सौंप दी है।
दिल्ली पुलिस जासूसों और पुलिस महकमे के लोगों के बीच के गठजोड़ के भी बारे
में तफ्तीश कर रही है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को होगी। उधर
जेटली इस खबर पर, इस गिरफ्तारी पर मौन धारण किेए हुए हैं। हालांकि उनकी
पार्टी ने जरूर इस मसले पर सरकार से सफाई मांगी है। लेकिन अब केस जिस तरफ
जाता दिख रहा है उससे साफ है कि मामला राजनीतिक साजिश से आगे का भी हो सकता
है।
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