सर्वोच्च न्यायालय चंदन तस्कर वीरप्पन के
चार सहयोगियों की फांसी की सजा पर आज फैसला सुना सकता है। राष्ट्रपति ने
वीरप्पन के चार सहयोगियों- ज्ञानप्रकाशम, सिमोन एंटोनियप्पा, मीसेकर मदैया
और बिलावेंद्रन की दया याचिका 12 फरवरी को खारिज कर दी थी।
मालूम
हो कि वीरप्पन के चार साथियों को सुप्रीम कोर्ट ने साल 2004 में फांसी की
सजा सुनाई थी। वीरप्पन के साथी ज्ञानप्रकाश, सिमोन, मीसेकर मदैया और
बिलावेंद्रन बेलगाम के हिंडाल्गा जेल में 20 सालों से बंद हैं। वीरप्पन के
ये चारों साथी 21 पुलिसकर्मियों की हत्या के दोषी हैं। 9 अप्रैल 1993 में
कर्नाटक के पलार में इन्होंने एक बारूदी सुरंग में विस्फोट कराया था। इस
विस्फोट से 21 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी।
2001
में मैसूर की टाडा कोर्ट ने इन चारों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन
सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गई। 29 जनवरी 2004 को सुप्रीम
कोर्ट ने चारों की सजा उम्रकैद से बढ़ाकर फांसी कर दी। 12 फरवरी 2004 को इन
चारों ने राष्ट्रपति से माफी की गुहार लगाई थी। 9 साल बाद 12 फरवरी 2013
को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इनकी दया याचिका खारिज कर दी थी।
गिरोह के सरगना और कुख्यात चंदन चस्कर वीरप्पन को अक्टूबर 2004 में तमिलनाडु पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था।
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