Wednesday, February 20, 2013

हड़ताल: नोएडा में कड़ी सुरक्षा, हिंसा में अब तक 80 गिरफ्तार

केंद्र सरकार की कथित जनविरोध और श्रमिक विरोधी नीतियों के विरोध में बुलाया गया श्रम संगठनों का दो दिवसीय भारत बंद आज का आज दूसरा और आखिरी दिन है। बंद के दौरान हिंसा के केंद्र में रहे दिल्ली से सटे नोएडा में भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी है। फेज 2 इलाके में 25 गाड़ियों और एक दमकल विभाग के वाहन में आग लगाने और फैक्टिरियों में तोड़फोड़ के मामले में करीब 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। फेज 3 से भी हिंसा की खबरें मिली थीं।
बंद के दौरान नोएडा में सबसे अधिक हंगामा और संपत्ति का नुकसान देखने को मिला है। नोएडा के फेज टू में आगजनी से दर्जनों वाहनों को नुकसान पहुंचा। हिंसा के चलते नोएडा में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं और दूसरे दिन के बंद के मद्देनजर पीएसी तैनात कर दी गई। एसोचैम ने पहले दिन की हड़ताल में 26 हजार करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया है। आज मारुति, हीरो और सुजुकी कंपनियों के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो रहे हैं।
आज मारुति, हीरो जैसी ऑटो कंपनियों के मजदूर भी हड़ताल में शामिल हैं। चंद महीने पहले ही दिल्ली के पास गुड़गांव में मारुति की फैक्ट्री में जो कुछ हुआ वो दिल दहलाने वाला था। मजदूर इस कदर हिंसक हो गए थे कि एक अफसर को जान तक गंवानी पड़ी थी। बुधवार को नोएडा के फेज टू इलाके में सीटू कार्यकर्ता तकरीबन 11 बजे प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए। सुबह करीब साढ़े 11 बजे ये प्रदर्शन गुंडागर्दी में तब्दील हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पहला हमला एक प्राइवेट बस पर बोला। इसके बाद तो जो भी गाड़ी नजर आई उसे आग के हवाले कर दिया।
करीब दर्जन भर गाड़ियां जला डालीं। फायरब्रिगेड की गाड़ी को भी नहीं छोड़ा। दर्जनों गाड़ियों में तोड़फोड़ की, शीशे तोड़ दिए और कई को उलट दिया। 100 से ज्यादा दफ्तरों में तोड़फोड़ की गई। राहगीरों से मारपीट भी हुई।
ट्रेडर्स एसोसिएशन का आरोप है कि उन्होंने थाने जाकर पुलिस को हिंसा की जानकारी दी लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया। बंद की ऐसी तस्वीरें सिर्फ नोएडा की ही नहीं थीं। नोएडा के अलावा कई और जगहों पर भी हड़ताल के नाम पर जमकर अराजकता फैलाई गई।
बंद के नाम पर मुंबई, दिल्ली, अंबाला, पटना, बैंगलोर हर जगह यही हाल था। लेकिन इस अराजकता ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। क्या सरकार को बंद के दौरान इस हिंसा और अराजकता का अंदाजा नहीं था। क्या सरकारी खुफिया एजेंसियां लोगों के गुस्से को भांप नहीं पाईं। आखिर बंद के पहले दिन इतना बड़ा बवाल कैसे खड़ा हो गया। आज बंद के दौरान अराजकता से निपटने के क्या इंतजाम हैं।
जाहिर है मजदूर संगठनों की मांग को गलत नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन बंद के नाम पर अराजकता इन मुद्दों पर पानी फेरने का काम कर रही है। कहीं इस तोड़फोड़ और आगजनी से आम जनता की सहानुभूति न खाक हो जाए।

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