बंद और हड़ताल को लेकर सुप्रीम कोर्ट हमेशा
से सख्त रहा है। 30 सितंबर 2007 को एक फैसले में कोर्ट ने बंद करने वालों
पर कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने पूछा था कि बंद आयोजित करने का मकसद अपनी
ताकत दिखाना है न कि किसी मकसद को पूरा करना। आपका विरोध किसके खिलाफ है?
प्रोजेक्ट के खिलाफ, केंद्र के खिलाफ या फिर इस अदालत के खिलाफ?
बता
दें कि सुप्रीम कोर्ट की ये टिपण्णी सेतुसमुद्रम को लेकर था। कोर्ट ने
तमिलनाडु में सत्ताधारी डीएमके को करारा झटका दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने
सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट के समर्थन में 1 अक्टूबर 2007 के बंद पर रोक लगा दी
थी। इसके बाद 17 दिसंबर 2003 को भी सुप्रीम कोर्ट ने एक और टिप्पणी की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बंद और हड़ताल के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को
नुकसान पहुंचाने पर गंभीर आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि सरकार हड़ताल
के दौरान इस तरह की गुंडागर्दी रोकने के लिए कड़े कदम उठाए। दरअसल 15
मार्च 1998 को भारत बंद के दौरान कोच्चि में एक फैक्ट्री को बंद न करने पर
हड़तालियों ने उन पर हमला कर दिया। आत्मरक्षा में उन्हें हड़तालियों पर
गोली चलानी पड़ी। इसी को लेकर कोर्ट ने ये टिप्पणी दी थी।
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