इलाहाबाद में जारी महाकुंभ में कुछ संत
परिवार नियोजन का विरोध कर रहे हैं। वो कुंभ में हिंदू धर्म खतरे में है का
नारा लगा रहे हैं। संतों की राय है कि परिवार नियोजन हिंदुओं के लिए घातक
है, लेकिन ऐसे संतों के खिलाफ अब महिला संगठनों ने ही मोर्चा खोल दिया है।
इन संगठनों ने स्वामी के नाम खुलापत्र जारी किया है और परिवार नियोजन के
विरोध को स्त्री की आजादी के खिलाफ षडयंत्र बताया है।
महाराष्ट्र
के स्वामी नरेंद्राचार्य की ओर से लगवाई गईं होर्डिंगों में दावा किया गया
है कि देश में हिंदुओं की आबादी तेजी से घट रही है। स्वामी जी इसके लिए
परिवार नियोजन को जिम्मेदार मानते हैं, जो उनके मुताबिक सिर्फ हिंदुओं पर
थोपा जा रहा है। स्वामी नरेंद्राचार्य फिलहाल कुंभ क्षेत्र में नहीं हैं,
लेकिन इस प्रचार अभियान को रामानंदी संप्रदाय के उनके गुरुभाई स्वामी
हंसदेवाचार्य संभाले हुए हैं। उनका भी यही दावा है कि परिवार नियोजन
हिंदुओं के लिए घातक है।
स्वामी
हंसदेवाचार्य के मुताबिक एक देश के अंदर एक संविधान, किसी के लिए पांच
शादी की छूट, कहीं एक भी नहीं। परिवार नियोजन सब पर लागू करो, किसी एक कौम
पर नहीं। लेकिन इलाहाबाद के तमाम महिला संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता इस
प्रचार को झूठ का पुलिंदा बता रहे हैं। स्त्री मु्क्ति संगठन की ओर से
स्वामी नरेंद्राचार्य के नाम एक खुला पत्र जारी किया गया है। इसमें जनगणना
के आंकड़ों के आधार पर दावा किया गया है कि हिंदुओं की आबादी घट नहीं रही
है। मुक्ति संगठन की संयोजक डॉ. निधि मिश्र का साफ कहना है कि परिवार
नियोजन से स्त्रियों की शारीरिक और सामाजिक हालत बेहतर हुई है।
महिला
संगठनों का ये भी आरोप है कि ऐसे प्रचार से उनका जीवन और मुश्किल हो
जाएगा। समाजिक कार्यकर्ता पद्मा सिंह के मुताबिक क्या बच्चा पैदा करने की
मशीन है। औरत कब और किसका बच्चा पैदा करेगी, हिंदू, मुसलमान या इंसान पैदा
करेगी, ये औरत का हक है। धर्म कोई भी हो, जब नवयुग की राह रोकता है तो
अधर्म कहलाता है। आप ही तय करें कि स्त्री को खुला आकाश देने वाले परिवार
नियोजन का विरोध करना धर्म है या अधर्म।
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