हिन्दुस्तान में कोबरा और करैत की
सबसे जहरीली प्रजाति यदि कहीं पाई जाती है तो वह है छत्तीसगढ़। चौंकिए मत,
यह बिलकुल सत्य है। छत्तीसगढ़ में एक इलाका ऐसा भी है जिसे 'नागलोक' के नाम
से जाना जाता है।
सांपों
की बेहद जहरीली प्रजातियों में से एक कोबरा के लिए कुख्यात इस इलाके की
चर्चा दूर-दूर तक होती है। इस इलाके में जाने से पहले ही लोग हिदायत देते
हैं कि पूरी सावधानी रखो, नहीं तो कुछ भी हो सकता है। गर्मी और बारिश के
दिनों में यहां सर्पदंश के मामले और भी बढ़ जाते हैं, क्योंकि जमीन तपती है
और नाग बिलों से बाहर निकल आते हैं।
यह
इलाका बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व पर्यावरण मंत्री दिलीप सिंह जूदेव
का है। जशपुर की आबोहवा खासकर कोबरा जैसी जहरीली प्रजाति के सांप को बेहद
रास आती है। यह सांप खतरे की आशंका मात्र पर हमला कर देता है। इलाज न मिलने
पर व्यक्ति की मौत होना तय है। यहां प्रतिवर्ष कई मौतें सिर्फ सर्पदंश से
ही होती हैं, और ज्यादातर मामलों के पीछे कोबरा या करैत ही होते हैं।
छत्तीसगढ़
और झारखंड की सीमा पर स्थित जशपुर जिले के आदिवासी बहुल इलाके में आठ
विकासखंड हैं और बरसात होते ही सांपों के जोड़े यहां उन्मुक्त विचरण करने
लगते हैं। बिलों में पानी भर जाने से सांप बाहर निकल आते हैं। यह इलाका ऐसा
है जिसकी जलवायु और मिट्टी सांपों के लिए सर्वाधिक अनुकूल है।
इस
इलाके में भुरभुरी मिट्टी होने के कारण दीमक यहां अपनी बांबियां (मिट्टी
के टीले) बना लेते हैं जिनमें घुस कर सांपों के जोड़े जनन करते हैं और
दीमकों को चट कर जाते हैं। सांप इस इलाके में तभी से रह रहे हैं जब से
आदिवासी रहते आए हैं। नागलोक और उससे लगे इलाके में सांपों की 70 से ज्यादा
प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें कोबरा की चार और करैत की तीन अत्यंत
विषैली प्रजातियां भी शामिल हैं।
बहरहाल
यहां देश-विदेश के पर्यावरण प्रेमी पहुचते हैं और अब सरकारी स्तर पर यहां
स्नेक पार्क भी बनाने की तैयारी चल रही है। सर्पदंश के बावजूद यहां के
रहवासी सांपों से बैर नहीं रखते। शायद यही वजह है की यहां इनकी प्रजातियों
को पनपने का पूरा अवसर मिलता है।
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