जरा सोचिए, आप ट्रेन में बैठे हैं और गाड़ी
वक्त से 3 घंटे पहले ही स्टेशन छोड़कर चल पड़े। आपको पता चले कि गाड़ी बगैर
इंजन के दौड़ रही है और उस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। सोचने भर से
रौंगटे खड़े हो जाएंगे। मगर बीती रात राजस्थान के बाड़मेर में गुवाहटी
एक्सप्रेस के यात्रियों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। एक बड़ा हादसा टल गया।
मौत
के साए में 20 किलोमीटर लंबे इस सफर का खौफ लोगों के चेहरे से साफ झलक रहा
था। ये लोग अपने परिवार के साथ गुवाहटी के लिए निकले थे। बाड़मेर स्टेशन
से ट्रेन के निकलने का वक्त 11 बजे था मगर ट्रेन 8 बजे ही निकल पड़ी। तमाम
शंकाओं के बीच जब उन्हें पता चला कि ट्रेन बगैर इंजन के चल रही है तो उनके
रौंगटे खड़े हो गए। मानो इतना ही काफी नहीं था कि सामने से कालका एक्सप्रेस
के आने की खबर ने तो जैसे सबकी जान ही निकाल ली।
ट्रेन की रवानगी से पहले कर्मचारी अपने
रुटीन के काम कर रहा थे कि तभी ट्रेन जोर से हिलना शुरू हुई। किसी ने आवाज
दी कि ट्रेन चल पड़ी और वो भी बगैर इंजन के। फिर तो रुकवाने की तमाम
कोशिशें शुरू हुई मगर सब बेकार। गुवाहाटी एक्सप्रेस के 14 डिब्बे सरपट दौड़
रहे थे।
खबर
लगते ही बाड़मेर से जोधपुर तक रेलवे विभाग में हड़कंप मच गया। सैकड़ों
लोगों की जान आफत में थी। रास्ते के सारे क्रॉसिंग बंद कर दिए गए। बगैर
इंजन के दौड़ती गाड़ी की रफ्तार पत्थर लगाकर कम करने की कोशिश की गई। ट्रेन
रूकने से पहले 20 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी थी। आनन फानन में सामने से
आने वाली कालका एक्सप्रेस को पहले ही रुकवा लिया गया।
अधिकारियों
का कहना है कि गुटके ठीक से नहीं लगे होंगे। यानि साफतौर पर रेलवे की
लापरवाही नजर आती है। जरा कल्पना कीजिए कि अगर ये ट्रेन हादसे का शिकार हो
जाती तो कौन जिम्मेदार होता।
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