अमेरिका के सामने अपने दबदबे को कायम रखने के लिए चीन हमेशा से कोशिश
करते रहा है। चीन ने एक बार फिर से अमेरिका समेत कई पश्चिमी मुल्कों को
जोर का झटका दिया है। हथियार निर्यात के मामले में चीन दुनिया का पांचवा
सबसे बड़ा देश बना गया है। चीन के हथियारों पर मजबूत पकड़ के साथ-साथ एक और
बात जो सबके सामने आई है वो ये कि चीन से हथियार खरीदने में पाकिस्तान
सबसे आगे है। कोल्ड वार के बाद ऐसा पहली बार हुआ है।
चीन से हथियार खरीदने के मामले में सबसे आगे रहने वाले पाकिस्तान के इस कदम
ने यह भारत जैसे मुल्कों के लिए चिंता बढ़ा दी है। स्वीडन के
स्टॉकहोल्म इंटरनेशनल पीस रिसर्च संस्थान की ओर से जारी रिपोर्ट में इस
बात का खुलासा हुआ है। ये रिपोर्ट ना केवल भारत की परेशानी बढ़ा सकता है
बल्कि अमेरिका जैसे शक्तिशाली मुल्क को भी परेशान कर सकता हैं। रिपोर्ट के
मुताबिक पाकिस्तान द्वारा बड़ी तादाद में हथियार खरीदने के चलते ही चीन
दुनिया के सबसे बड़े हथियार निर्यातक देशों में शुमार होने में कामयाब रहा।
कुछ सौदों को देखकर लग रहा है कि चीन दुनिया में अपना अहम स्थान बनाने के
लिए बेताब है।
भले ही यह पहली बार हुआ है कि चीन टॉप फाइव हथियार निर्यातक देशों में आया
है, लेकिन इस रिपोर्ट से विश्व शांति भंग होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2012 में चीन के हथियार निर्यात में 162 फीसदी का
इजाफा हुआ है। जबकि, वैश्विक स्तर पर इन चार सालों में हथियारों का
कारोबार दो फीसदी से बढ़कर मात्र पांच फीसदी का आंकड़ा ही छू पाया है।
चीन के 55 फीसदी हथियार अकेले पाकिस्तान खरीदता है। जिसके कारण पाकिस्तान
अक्सर उसका चहेता बना रहता है। अगले कुछेक बरसों तक उम्मीद जताई जा रही
है कि चीनी हथियारों का सबसे बड़ा कस्टमर पाकिस्तान ही रहने वाला है।
पूरी दुनिया में यूएस 30 प्रतिशत और रूस 26 फीसदी हथियार बेचता है। दुनिया
की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका चीन अपनी सेना और लड़ाई के
साजो-सामान जुटाने पर भी लगातार खर्च बढ़ा रहा है। हथियार के दुनिया में
चीन और पाकिस्तान की ये दोस्ती ना केलव भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए
परेशानी का सबब बनती जा रही है।
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