धर्मगुरु आसाराम बापू का विवादों से जन्म-जन्म का नाता है। जैसे ही
बापू टीवी चैनलों और अखबारों की सुर्खियों से खुद को गायब पाते है वौसे ही
किसी ना किसी नए विवाद को जन्म दे देते है। इसबार मामला महाराष्ट का है।
महाराष्ट्र जहां सूखे की मार झेल रहा है, लोग बूंद बूंद पानी को मोहताज है
वहीं संत आसाराम बापू ने होली के नाम पर हजारों लीटर पानी लोगों के आंखों
ने सामने बहा दी। नागपुर के कस्तूरचंद पार्क में आसाराम बापू ने अपने
हजारों भक्तों के साथ होली खेली ।
सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र संवेदनहीनता का इससे बड़ा उदाहरण क्या हो
सकता है? सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र में होली के नाम पर लाखों लीटर
पानी की बर्बादी संवेदनहीनता ही है। होली आने में अभी 10 दिन बाकी हैं
लेकिन आसाराम बापू ने होली के नाम पर अपने भक्तों पर रंगीन पानी की बौछार
की। एक तरफ महाराष्ट्र में जहां सूखा है, लोग बूंद बूंद पानी को तरस रहे
हैं ऐसे में हजारों लीटर पानी होली के नाम पर बहाया गया। ये सिर्फ
संवेदनहीनता का ही परिचायक है।
भक्त भले ही संत द्वारा बैछार किए गए इस पानी को आर्शीवाद मान रहे हो लेकिन
नागपुर की अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने इसका विरोझ किया है। एक ओर लोग
पानी को तरसे और दूसरी ओर सिर्फ दिखावे के लिए हजारों लीटर पानी बहा दिया
जाए ये कहां तक उचित है। समिति के कार्यकर्ताओं ने काले झंडे हाथ में लेकर
आसाराम बापू के द्वारा होली के नाम पर इस तरह बहाय जा रहे पानी का विरोध
किया।
कहने का तात्पर्य यह है कि संत आसाराम बापू खुद को संत कहते हैं, लेकिन
उनमें इतनी समझ नहीं है कि जब लाखों लोग पानी के लिए तरस रहे हैं तो कैसे
कोई व्यक्ति इतनी पानी की बर्बादी कर सकता है। संत का तो विवादों से पुराना
नाता रहा है
लेकिन सबसे बड़ी ताज्जुब की बात तो ये है कि आसाराम बापू के लिए समारोह में
भक्तों के साथ होली खेलने के लिए पानी के टैंकरों का इंतजाम नागपुर
म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन ने किया था। ऐसे में नगर निगम की नीयत पर भी सवाल
उठने लाजमी है।
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