[हास्य कवि पंकज प्रसून] होली का हुल्लड़ है और चारों तरफ महफिलें सज रही
हैं। होली पर गीत-संगीत, नाच गाना तो हमेशा से होता आया है, लेकिन उसके
साथ जब हास्य व्यंग्य से भरी एक शाम नहीं हो, तब होली अधूरी समझिये।
कहते हैं न रंगों का सुरूर चढ़ चुका है, बड़ों का आशीर्वाद मिल चुका है,
कोई गर्लफ्रेंड को तो कोई बीवी को रंग लगाने की फिराक में है, कोई दारू की
प्लानिंग कर रहा है, तो कोई रूठे दोस्त को मनाने की। कुछ भी कहिये हर तरफ
प्यार की बारिश हो रही है।
राहुल गांधी परेशान हैं क्योंकि हथेली पर पीला रंग नहीं चढ़ पा रहा है,
बात भी सही है, पहले करियर फिर शादी। दिग्विजय उस बच्चे के लिये हैरान
परेशान हैं, जिसने 10 साल पहले अपने घर पर एक-56 छिपाकर रख ली थी। नाम है
संजू, जिसके लिये दिग्गी राजा कहते हैं कि बच्चे को माफ कर देना चाहिये।
मुलायम सिंह यादव होली के हुल्लड़ में यूपीए के जिस नेता को चाहे पोत सकते
हैं, कोई बुरा नहीं मानने वाला, क्योंकि यूपीए की सत्ता की चावी इनके
हाथ में है। ऐसे ही कई और नेताओं की होली कैसी रहेगी।
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