महाराष्ट्र में भयंकर सूखे से
त्रस्त किसानों का सब्र भी जवाब देने लगा है। सरकार से नाराज ये किसान
दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर
केंद्र से उन्हें जल्द कोई राहत न मिली, तो एक लाख किसान दिल्ली पहुंचकर
सरकार की नींद हराम कर देंगे। सूखे की वजह से खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद
हो गई हैं या बर्बादी की कगार पर खड़ी हैं। फलों के बाग भी बदहाल हैं। सूखा
अब किसानों की जान भी लेने लगा है। किसानों का आरोप है कि बावजूद इसके
राज्य और केंद्र की सरकारें संवेदनशील नहीं। इसलिए कृषि मंत्री शरद पवार के
माढ़ा चुनाव क्षेत्र के मोडनिब में अकाल पीड़ितों के लिए सहवेदना परिषद का
आयोजन किया गया। इस मौके पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया
गया।
किसान
संगठन नेता रघुनाथ पाटिल के मुताबिक देश और महाराष्ट्र के सभी किसानों को
साथ में लेकर हम दिल्ली की तरफ रुख करने वाले हैं। हम सरकार को सबक सिखाने
वाले हैं। हमने देश के सभी किसान संगठनों से बात की है। मई के पहले 15
दिनों में हम दिल्ली जाएंगे। महाराष्ट्र से एक लाख किसान दिल्ली ले जाएंगे।
वहां पर हम धरना देंगे।
किसानों का आरोप है कि सूखा और अकाल यकायक नहीं चले आए। इनकी पृष्ठभूमि बन
रही थी। वैज्ञानिकों ने चेतावनी भी दी थी लेकिन सरकार सोती रही।
दलित
नेता डॉ. प्रकाश आम्बेडकर के मुताबिक यह जो सूखा है वह सरकार द्वारा किया
गया सूखा है। बारिश नहीं हुई है ये तो सच है, लेकिन बारिश के लिए सही
प्लानिंग सरकार को करनी चाहिए थी तो पानी की किल्लत नहीं होती। महाराष्ट्र
के 34 जिले सूखे की चपेट में हैं। जिनमें सबसे बुरा हाल शोलापुर, अहमदनगर,
सांगली, पुणे, सतारा, बीड और नासिक का है। बुलढाना, लातूर, उस्मानाबाद,
नांदेड़, औरंगाबाद, जालना, जलगांव और धुले में भी स्थिति गंभीर है।
महाराष्ट्र
के करीब 12 हजार गांवों के लाखों लोग इन दिनों अकाल प्रभावित हैं। सात
हजार गांव पीने के पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं। 123 तालुकाओं में
अकाल की गंभीर स्थिति है। लेकिन सरकार के लिए ये सिर्फ आंकड़े भर हैं। इसी
महीने केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र को सूखे से राहत दिलाने के लिए 1207
करोड़ के पैकेज का एलान किया, लेकिन किसान इससे खुश नहीं है।
No comments:
Post a Comment