Monday, March 25, 2013

मुलायम के दांव से पस्त सरकार ने अब नीतीश पर फेंका पांसा!

यूपीए सरकार की मुश्किलें दिन ब दिन बढ़ती जा रही हैं। डीएमके के समर्थन वापसी और समाजवादी पार्टी की ओर से लगातार आक्रामक रुख दिखाए जाने से सरकार पशोपेश में है। इसी के मद्देनजर अब सरकार ने विकल्पों की ओर देखना शुरू कर दिया है।
इसी रणनीति के तहत नए सहयोगियों की तलाश तेज हो गई है। सरकार दूसरे दलों की तरफ से समर्थन की संभावना ढूंढ़ रही है। उसकी नजर खास तौर पर जेडीयू तृणमूल कांग्रेस पर है। एक के बाद एक सहयोगियों के यूपीए से बाहर जाने से घबराई कांग्रेस ने नीतीश कुमार पर पासा फेंका है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार इसके लिए शर्तों में जल्द बदलाव कर सकती है। 
यूपीए की नजर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर है जो बिहार के लिए पिछड़े राज्य का दर्जा मांग रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार बिहार को पिछड़े राज्य का दर्जा देने को तैयार हो सकती है।
इसके अलावा सरकार दोबारा ममता बैनर्जी का साथ हासिल करने के लिए पश्चिम बंगाल को विशेष पैकेज की मंजूरी दे सकती है। सरकारी सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि पिछड़े राज्य का दर्जा देने के पैमानों को बदला जा सकता है। इससे बिहार के अलावा राजस्थान, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्यों के कुछ हिस्से पिछड़े इलाकों में शामिल हो जाएंगे।
वहीं ममता बैनर्जी को खुश करने के लिए फाइनेंस कमीशन कर्ज में डूबे राज्यों को राहत दे सकता है।
सरकार के इस फैसले को डीएमके के यूपीए से निकलने से जोड़कर देखा जा रहा है। डीएमके के अलगाव के बाद कांग्रेस को एक ऐसे सहयोगी की तलाश है जिसके पास 20 से ज्यादा सांसद हों और जिस पर भरोसा किया जा सके। नीतीश कुमार दोनों ही मानकों पर खरे उतरते हैं। नीतीश कुमार लंबे अरसे से बिहार को पिछड़ा राज्य घोषित करने की मांग कर रहे हैं।
दिल्ली में हुई रैली में उन्होंने कहा था कि 2014 में उसी पार्टी को समर्थन देंगे जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाएगी। विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद बिहार को 6 से 7 हजार करोड़ रुपये का सालाना आर्थिक फायदा होगा। फिलहाल बिहार को ये रकम केंद्र सरकार की योजनाओं और केंद्र से लिए कर्जे के मद में खर्च करनी पड़ती है।

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