Wednesday, March 27, 2013

मुलायम के तल्ख तेवर के आगे क्यों खामोश हैं दिग्विजय?

मुलायम सिंह के निशाने पर इन दिनों खास तौर पर कांग्रेस पार्टी है। सुबह-शाम, दिन-रात जब भी मौका मिलता है, कांग्रेस को कोसने का मौका वो नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं एक तरफ कांग्रेस पर मुलायम सिंह यादव के तेवर तल्ख हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस एक कदम आगे और दो कदम पीछे चलती दिख रही है। बेनी प्रसाद वर्मा के बयान के बाद समाजवादी पार्टी के रुख के बाद से कांग्रेस का जैसा हश्र हो चुका है, उसमें कांग्रेस के पास कोई चारा भी नहीं। दो दिन पहले तक मुलायम के बयान पर चुटकी लेने वाले दिग्विजय सिंह समाजवादी पार्टी प्रमुख के ताजा बयान पर जिस तरह नरम नजर आ रहे हैं। वो कांग्रेस की बेबसी को जाहिर करता है।
अपने गांव सैफई में जब मुलायम ने सीधे-सीधे कांग्रेस को कोसना शुरू किया तो उनके इरादे साफ नजर आने लगे। लोकसभा चुनाव में वो ज्यादा से ज्यादा सीट जीतना चाहते हैं। जीत गए तो बल्ले-बल्ले, नहीं जीते तो कांग्रेस के साथ हैं ही। यानी एक बार फिर वही दृश्य देखने को मिल सकता है। जो यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त था। तब राहुल गांधी से लेकर दिग्विजय सिंह तक मुलायम को कोस रहे थे, लेकिन चुनाव खत्म होते ही सब साथ हो गए। लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी फिलहाल मुलायम के बयान पर ज्यादा तल्खी नहीं दिखा पा रही। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के मुताबिक मुलायम सिंह एक राजनीतिक नेता हैं और उन्हें भी अपनी बात रखने का अधिकार है।
दिग्विजय सिंह की जुबान अपने विरोधियों के लिए ऐसी नहीं रही है, लेकिन मुलायम सिंह के मामले में वो कटुता बढ़ाने से क्यों चूक रहे हैं? आखिर इसकी क्या वजह हो सकती है?
असल में कांग्रेस और दिग्विजय सिंह दोनों को ही पता है कि यूपीए सरकार बेहद नाजुक दौर से गुजर रही है और ऐसे में मुलायम को सख्त करने का नतीजा सरकार से खेलने जैसा हो सकता है। यही नहीं, मौका मिलते ही बेनी प्रसाद वर्मा के बयान को लेकर मुलायम जिस तरह कांग्रेस पार्टी की धड़कन बढ़ा चुके हैं। उसे कांग्रेस पार्टी के नेता भी नहीं भूल सकते। यही वजह है कि इससे पहले मुलायम की राजनीति को सत्ता और अवसरवाद की राजनीति करार देने वाले दिग्विजय संयत हैं।
मालूम हो कि कुछ दिन पहले जब एसपी मुखिया मुलायम सिंह ने कुछ दिनों पहले ही बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ की थी तब दिग्विजय ने कहा था कि कुछ पार्टियों के लिए सत्ता ही उनके लिए राजनीति है। इसलिए परिस्थिति जब बदलती है तो परिस्थिति अनुकूल बाते करते हैं। कोई नई बात नहीं कही है।

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