मुलायम सिंह को खुले मंच पर कमीशन खोर कहने वाले बेनी प्रसाद वर्मा
के चक्कर में यूपीए सरकार मुलायम के सामने झुकती नजर आ रही है। लेकिन इस
कमीशन के चक्कर में नया मिशन शुरू हो गया है। वो मिशन भाजपा का है, जो
मुलायम के गुणगान कर रही है। डीएमके ने सरकार से अपना समर्थन क्या वापस
लिया यूपीए की सरकार सपा और बसपा की बैसाखियों पर आ गई। सपा और बसपा के
समर्थन के सहारे चल रही सरकार को अब अपनी साख बचाने और कार्यकाल पूरा नहीं
कर पाने का खतरा मंडरा रहा है।
यूपीए सरकार को जहां अपनी सरकार बचाने के लिए मुलायम के साथ की जरुरत है तो
वहीं मुलायम और यूपीए सरकार के बीच बेनी प्रसाद वर्मा गले में हड़ी की तरह
फंस गए है। जो मुलायम बेनी प्रसाद वर्मा द्वारा अपने ऊपर किए गए बयान कल
तक नरम दिखाई दे रहे थे वही आज डीएमके मंत्रियों के इस्तीफे के बाद चौड़े
हो गए है।
मुलायम ने बेनी पर अपना तेवर तल्ख कर दिया है। एक सुर में वो बेनी
प्रसाद वर्मा को अपने पद से हटाने की मांग कर रहे है। सपा के हंगामे के बीच
बीजेपी नेता भी सुर में सुर मिलाते नजर आए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और
बीजेपी लीडर सुषमा स्वराज के बोल में मुलायम-बेनी मुद्दे पर बदले-बदले नजर
आए। अब तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधकर बैठी बीजेपी ने भी अपने बोल बोलने
शुरु कर लिए है।
सदन में भारी हंगामें के बीच सुषमा स्वराज मुलायम के गुणगान करती नजर आईं।
बेनी और मुलायम के बीच छिड़ी इस जंग में बीजेपी ने मुयालम का साथ देते हुए
कहा कि मुलायम सिंह एक सम्मानित नेता है। बेनी प्रसाद वर्मा द्वारा सपा
सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव पर कमीशन खाने को लेकर दिया गया बयान बेहद
निंदनीय है। सुषमा ने कहा कि भले ही हमारी विचारधारा मेल नहीं खाती हो
लेकिन मुलायम एक सम्मानित नेता है। उनके उपर इस तरह की टिप्पणी करना गलत
है। कमीशन खाने वाली बात सदन के सम्मानित नेता के विषेशाधिकार हनन की बात
है। मुलायम के साथ बीजेपी ने भी बेनी प्रसाद वर्मा को पद से हटाने की मांग
की है और इस मसलें को संसद के विशेषाधिकार हनन समिति को सौंपने की मांग की
है।
डीएमके के समर्थन वापसी के बाद खतरे में आई यूपीए सरकार के लिए मुलायम
संकचमोचन है। गठबंधन की सरकार अपना बचा कार्यकाल पूरा करने के लिए मुयालम
का सहारा बनाए रखना चाहती है तो वहीं बीजेपी भी इस मौके का फायदा उठाते हुए
सपा को अपने पाले में करने की जुगत में लगी हुई है। सदन में सुषमा के
मुलायम पर बदले बोल इसी बात की ओर इशारा कर रहे है। दरअसल इन दिनों एनडीए
से उनके सहयोगी नाराज चल रहे है। जेडीयू नेता नीतीश कुमार इन दिनों बीजेपी
से ज्यादा कांग्रेस नेताओं से मुलाकात करते नजर आ रहे है। मोदी मुद्दे पर
जेडीयू और बीजेपी के बीच मतभेद जगजाहिर है।
जेडीयू नेता शरद यादव ने भी सोनिया के सचिव अहमद हसन से मुलाकात कर बीजेपी
को गठबंधन में आई दरार की ओर इशारा करना शुरु कर दिया। ऐसे में अगर जेडीयू
बीजेपी का साथ छोड़ती है बीजेपी को एनडीए गठबंधन को बचाने के लिए किसी
सहारे की जरुरत होगी। ऐसे में मुलायम इस वक्त सबसे सही विकल्प के तौर पर
उभर कर सामने आए हैं। अगर बीजेपी उन्हें अपने पाले में करने में कामयाब हो
जाती है तो उन्हें नीतीश का विकल्प मिल सकता है।
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