भारत के युवाओं में भी घर बैठे कमाई करने का प्रचलन जोरों पर है. नौकरीपेशा
युवा ऑफिस के बजाय घर बैठे अपनी कंपनी के लिए इंटरनेट के जरिए काम करने को
तरजीह देने लगे हैं.
एक आईटी कंपनी में काम करने वाले मोनदीप दत्ता भी घर बैठे काम करने को अच्छा मानते हैं. दत्ता के अनुसार अब वह दिन लद गए जब चिकित्सकीय रूप से अक्षम या किसी आपात स्थिति में, या गर्भावस्था के दौरान महिलाओं द्वारा ही घर बैठे काम करने का प्रचलन था.
आज इस तरह की मान्यता बदल चुकी है तथा अनेक कंपनियों, विशेषकर आईटी के क्षेत्र, का विचार है कि इससे न सिर्फ कर्मचारी के जीवन में काम का संतुलन बना रहता है बल्कि कंपनी की उत्पादकता भी बढ़ती है.
दत्ता ने कहा, 'घर बैठे काम करने का तरीका तभी कामयाब है जब काम के लिए भौतिक रूप से उपस्थित रहने की जरूरत न हो. आज काम करते वक्त जब मुझे कार्यस्थल पर उपस्थित रहने की जरूरत पड़ती है तो मेरे पास इसके लिए कुछ बेहद आधुनिक समाधान है. इसके लिए मुझे सिर्फ अपने लैपटॉप में कुछ एप्लिकेशन संचालित करने पड़ते हैं. इस तरह में घर पर रहकर भी ऐसा कर सकता हूं'.
अधिकतर कंपनियों में काम करने वाले अधिकांश कर्मचारियों की शिकायत रहती है कि उनके पास अपने परिवार के साथ बिताने के लिए वक्त ही नहीं बचता. घर बैठे काम करने की इस सुविधा से लोगों को अपने जीवन में काम को संतुलित बनाए रखने का अवसर मिलता है और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदान करने के लिए भी प्रेरित करता है.
घर बैठे काम करने की सुविधा प्रदान करने वाली विश्व की शीर्ष सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की भारतीय शाखा के एक अधिकारी के अनुसार घर बैठे काम करने की सहूलियत प्रदान करने से न सिर्फ क्षमतावान कर्मचारी इसकी तरफ आकर्षित होते हैं बल्कि कंपनी के लिए लंबे समय तक काम करना भी पसंद करते हैं.
इसके अलावा आईटी क्षेत्र की दूसरी महारथी कंपनियां जैसे आईबीएम, डेल आदि भी अपने कर्मचारियों को घर बैठे काम करने की सुविधा प्रदान करती हैं.
घर बैठे काम करने की यह संस्कृति भारत में पिछले पांच-छह वर्षों से प्रचलन में है. हालांकि इस समय भारत में कितनी संख्या में लोग घर बैठे काम कर रहे हैं, इसका पता लगाना मुश्किल है.
वैसे, हाल ही में याहू ने घर बैठे काम करने की सुविधा समाप्त कर दी है. याहू का तर्क है कि आमने-सामने भौतिक रूप से उपस्थित होकर काम करने से कर्मचारियों में मिल-जुल कर सहयोगपूर्वक काम करने की संस्कृति का विकास होता है
एक आईटी कंपनी में काम करने वाले मोनदीप दत्ता भी घर बैठे काम करने को अच्छा मानते हैं. दत्ता के अनुसार अब वह दिन लद गए जब चिकित्सकीय रूप से अक्षम या किसी आपात स्थिति में, या गर्भावस्था के दौरान महिलाओं द्वारा ही घर बैठे काम करने का प्रचलन था.
आज इस तरह की मान्यता बदल चुकी है तथा अनेक कंपनियों, विशेषकर आईटी के क्षेत्र, का विचार है कि इससे न सिर्फ कर्मचारी के जीवन में काम का संतुलन बना रहता है बल्कि कंपनी की उत्पादकता भी बढ़ती है.
दत्ता ने कहा, 'घर बैठे काम करने का तरीका तभी कामयाब है जब काम के लिए भौतिक रूप से उपस्थित रहने की जरूरत न हो. आज काम करते वक्त जब मुझे कार्यस्थल पर उपस्थित रहने की जरूरत पड़ती है तो मेरे पास इसके लिए कुछ बेहद आधुनिक समाधान है. इसके लिए मुझे सिर्फ अपने लैपटॉप में कुछ एप्लिकेशन संचालित करने पड़ते हैं. इस तरह में घर पर रहकर भी ऐसा कर सकता हूं'.
अधिकतर कंपनियों में काम करने वाले अधिकांश कर्मचारियों की शिकायत रहती है कि उनके पास अपने परिवार के साथ बिताने के लिए वक्त ही नहीं बचता. घर बैठे काम करने की इस सुविधा से लोगों को अपने जीवन में काम को संतुलित बनाए रखने का अवसर मिलता है और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदान करने के लिए भी प्रेरित करता है.
घर बैठे काम करने की सुविधा प्रदान करने वाली विश्व की शीर्ष सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की भारतीय शाखा के एक अधिकारी के अनुसार घर बैठे काम करने की सहूलियत प्रदान करने से न सिर्फ क्षमतावान कर्मचारी इसकी तरफ आकर्षित होते हैं बल्कि कंपनी के लिए लंबे समय तक काम करना भी पसंद करते हैं.
इसके अलावा आईटी क्षेत्र की दूसरी महारथी कंपनियां जैसे आईबीएम, डेल आदि भी अपने कर्मचारियों को घर बैठे काम करने की सुविधा प्रदान करती हैं.
घर बैठे काम करने की यह संस्कृति भारत में पिछले पांच-छह वर्षों से प्रचलन में है. हालांकि इस समय भारत में कितनी संख्या में लोग घर बैठे काम कर रहे हैं, इसका पता लगाना मुश्किल है.
वैसे, हाल ही में याहू ने घर बैठे काम करने की सुविधा समाप्त कर दी है. याहू का तर्क है कि आमने-सामने भौतिक रूप से उपस्थित होकर काम करने से कर्मचारियों में मिल-जुल कर सहयोगपूर्वक काम करने की संस्कृति का विकास होता है
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