यमुना को बचाने के लिए पदयात्रा कर
रहे हजारों आंदोलनकारी आज दिल्ली में दाखिल हो रहे हैं। 11 दिन पहले ये
पदयात्रा वृंदावन से शुरू हुई थी। आंदोलनकारियों का कहना है कि यमुना को
बचाने के लिए जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती वो रोजाना जंतर मंतर पर
धरना प्रदर्शन करेंगे, हालांकि पुलिस ने उन्हें दिल्ली-फरीदाबाद सीमा पर
अलीपुर गांव में रुकने को कहा है। सिर्फ 1500 आंदोलनकारियों को जंतर-मंतर
तक जाने की इजाजत दी गई है। हजारों की तादाद में आंदोलनकारियों के दिल्ली
में घुसने से ट्रैफिक पर असर पड़ना तय है। इसलिए अगर दफ्तर या काम के
सिलसिले में कहीं निकल रहे हों तो रास्ते की जानकारी जरूर कर लें।
यमुना
रक्षा दल की अगुवाई में चल रही इस पदयात्रा में शामिल हर आंदोलकारी का साफ
कहना है कि वो तब तक जंतर मंतर पर रोजाना धरना प्रदर्शन करेंगे जब तक
यमुना उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती। यमुना रक्षा दल संयोजनक सुशील
गोस्वामी के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने कहा है कि 100 से अधिक लोग दिल्ली में
नहीं जा सकते हैं। ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर नहीं जा सकते। जंतर मंतर में नहीं
जा सकते क्योंकि परमिशन नहीं है। वो सरकार पर आरोप लगा रहे हैं आंदोलन को
कुचलने की कोशिश की जा रही है। लेकिन हर हाल में दिल्ली जाएंगे। हमे जेल भी
जाना पड़े तो हम तैयार हैं। हम अहिंसा से आंदोलन कर रहे हैं। अगर हिंसा
करेगी तो पुलिस करेगी। वो चाहे लाठियां बरसाए या जेल में डाल दे हम दिल्ली
जा कर रहेंगे।
इससे पहले 2011 में भी
यमुना बचाओ आन्दोलन चला था, तब यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और केंद्रीय
मंत्रियों ने उन्हें यमुना की सफाई का भरोसा दिया था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
इस बार आंदोलनकारी रामलीला मैदान में धरना देंगे, धरने के बाद गिरफ्तारी
देंगे। और जरूरत पड़ने पर संसद का घेराव करने के अलावा दिल्ली में जाम भी
लगा सकते हैं।
यमुना यात्रा बृजभूमि से शुरु हुई और कोसी, कोटवन, पलवल, बल्लभगढ़ और
फरीदाबाद होते हुए अब दिल्ली पहुंच गई है। इस आंदोलन में शामिल
कार्यकर्ताओं की मांग है कि वजीराबाद और ओखला बैराज के बीच यमुना में आने
वाले जहरीले पानी को फौरन रोका जाए। हर साल करीब 35 करोड़ लीटर जहरीला पानी
यमुना में गिराया जाता है।हथिनीकुंड बराज से इतना पानी छोड़ा जाए जिससे
यमुना का प्रवाह इलाहाबद तक बना रहे। यमुना की सफाई के नाम पर होने वाले
भ्रष्टाचार पर फौरन रोक लगाई जाए।
आंदोलनकारियों
का मानना है कि हरियाणा सरकार हथिनीकुंड से इतना कम पानी छोडती है कि
दिल्ली आते-आते इसकी रफ्तार खत्म होती जाती है। ऊपर से हर रोज दिल्ली से
निकलने वाला सैकड़ों टन कचरा यमुना को गंदे नाले में तब्दील करता जाता है।
इस जन कारवां को हर तबके और तमाम सियासी दलों का समर्थन भी मिल रहा है।
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