Thursday, March 7, 2013

केंद्रीय कैबिनेट ने दी सिटीजन चार्टर बिल को मंजूरी

पासपोर्ट, जाति प्रमाणपत्र, राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने जैसे कामों में देरी अब पुरानी बात हो सकती है। केंद्रीय कैबिनेट ने सिटीजन चार्टर बिल को मंजूरी दे दी है। बिल में आम लोगों को एक तय समयसीमा के भीतर सरकारी सेवा पाने का अधिकार दिए जाने का प्रावधान किया गया है। ऐसा नहीं करने वाले अधिकारियों पर जुर्माना लगाया जाएगा जो उनकी तनख्वाह से काटा जाएगा। बिल को अगले हफ्ते संसद में पेश किए जाने की संभावना है।
गुरूवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में सिटीजन चार्टर बिल को मंजूरी दे दी गई। बिल को संसद की मंजूरी के लिए अगले हफ्ते पेश किए जाने की संभावना है। बिल के मुताबिक सभी सरकारी विभागों को एक सिटीजन चार्टर तैयार कर प्रकाशित करना होगा। चार्टर में संबंधित विभाग की तरफ से दी जाने वाली सभी सेवाओं की जिक्र होगा। इन सेवाओं के लिए एक तय समयसीमा का भी जिक्र होगा। चार्टर में हर काम के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी का नाम और पद भी प्रकाशित किया जाएगा। संसद की मंजूरी के 6 महीनों के भीतर चार्टर प्रकाशित करना होगा।
सिटीजन चार्टर बिल में नागरिक शिकायत निवारण की भी व्यवस्था की गई है। इसके तहत केंद्र और राज्यों में शिकायत निवारण आयोग बनाए जाने का प्रावधान है। आयोग का मुख्य काम समयसीमा में काम नहीं होने की हालत में लोगों की शिकायतें सुनने का होगा। बिल में तय समयसीमा के भीतर काम नहीं करने वाले सरकारी बाबुओं पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। हालांकि जुर्माने का स्वरूप कैसा हो और उसकी रकम कितनी हो, इसके लिए केंद्रीय गृह, कार्मिक और कानून मंत्रालय को कैबिनेट ने अंतिम रूप देने को कहा है।
सूत्रों के मुताबिक फिलहाल ऐसा नहीं करने वाले सरकारी अधिकारी पर प्रतिदिन के हिसाब से 250 रुपए जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। जुर्माने की अधिकतम राशि 50,000 रूपये से ज्यादा नहीं हो सकती। वैसे मध्य प्रदेश, बिहार और दिल्ली समेत देश के 10 राज्यों में ये कानून पहले से ही लागू है। ऐसे में विपक्षी दलों का सवाल है कि केंद्र की तरफ से एक और कानून बनाए जाने की स्थिति में राज्यों में लागू कानूनों का क्या होगा?
गौरतलब है कि सामजसेवी अन्ना हजारे ने अपने आंदोलन के दौरान इस बात पर खासा जोर दिया था कि लोकपाल बिल के तहत सिटीजन चार्टर को शामिल किया जाए ताकि आम जनता परेशान होने के बजाय तय समयसीमा के भीतर अपना काम करवा सके। हालांकि अन्ना के साथ-साथ राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सदस्य अरुणा रॉय ने नागरिक शिकायत निवारण विधेयक एक स्वतंत्र विधेयक बनाने की वकालत की है। सिटीजन चार्टर बिल को 2011 में संसद में पेश किया गया था जिसे बाद में संसदीय स्थायी समिति के पास भेजा गया था।

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