रिलायंस फाउंडेशन की पहल रंग लाने लगा है।
फाउंडेशन की चेयरपर्सन नीता अंबानी की पहल से किस तरह एक गांव के किसान
खुशहाल हो रहे हैं। इस गांव के दौरे पर गईं नीता अंबानी निराले अंदाज में
दिखीं।
देश
के सब से बड़े कोर्पोरेट हॉउस रिलायंस की बड़ी बहू नीता अंबानी गांवों के
खेत खलियानों में पसीना बहाती नजर आईं। दरअसल रिलायंस फाउंडेशन की और से
नीता अंबानी ने भारत जोड़ो के नाम से छोटे किसानों के उत्थान के लिए एक
अभियान शुरू किया है जिसके लिए नीता सूरत जिले के गांवों में पहुंची थीं।
ग्रामीण और शहरी इलाकों के बीच की खाई को भरने के इरादे से शुरू किये गए इस
अभियान से किसानों के चेहरों पर आई चमक को देख नीता इतनी खुश हुईं कि उनके
साथ आदिवासी नृत्य भी किया।
आईपीएल की टीम मुंबई इंडियंस की मालकिन और
रिलायंस फाउंडेशन की चेयरपर्सन नीता के इतने रंग शायद पहले कभी किसी ने
देखे हों। कभी कुल्हड़ में पानी पीतीं तो कभी कुल्हड़ में ही चाय। कभी
खटिया पर बैठकर महिला किसानों की समस्याएं जानने की कोशिश करतीं, तो कभी आम
लोगों के साथ जमीन पर बैठकर भजन गातीं। कभी बच्चों को गिनती सिखातीं, तो
कभी महिला किसानों के साथ आदिवासी नृत्य करतीं।
भारत इंडिया जोड़ो की इस खास पहल के लिए
नीता अंबानी जब सूरत के सेलारपुर पहुंची तो पैदल ही खेतों की तरफ बढ़ चलीं।
रास्ते में उनके लिए एक बैलगाड़ी भी तैयार थी। सो, इस मौके पर बाकी का
फासला उन्होंने बैलगाड़ी से ही तय किया। असल में, रिलायंस फाउंडेशन किसानों
की बेहतरी के लिए कार्यक्रम चला रहा है। जिसके तहत पैदावार बढ़ाने से लेकर
किसान परिवार की खुशहाली के लिए कई जतन किए जा रहे हैं।
सेलारपुर
पहुंचने पर नीता का परंपरागत रूप से स्वागत किया गया। महिला किसानों ने
उनके माथे पर तिलक लगाए और लोकगीत गाकर उनकी अगवानी की। किसानों के साथ
खेत-खलिहान पहुंचने के बाद नीता ने फसलों की हालत देखी और बाद में बेहद
इत्मीनान से किसानों की समस्याओं पर भी विस्तार से बात की। किसानों ने नीता
को बताया कि रिलायंस फाउंडेशन की मदद से खेती के तरीके में बदलाव कर
उन्हें कितना फायदा मिला। एक किसान जीना भाई कहते हैं कि पहले पांच हजार
आवक था अब 25 हजार मेरी आवक है।
नीता
की मानें तो रिलायंस फाउंडेशन का मकसद गरीब और छोटे किसानों का उत्थान है।
रिलायंस फाउंडेशन की स्थापना अक्टूबर 2010 में की गई।गांवों के विकास के
मकसद से फाउंडेशन की स्थापना की गई। प्रोजेक्ट के तहत 10 क्षेत्रों के करीब
250 गांवों का चुना गया। ऐसे किसानों की पहचान की गई जिनके पास बहुत कम
जमीन थी। इस जमीन पर एक से ज्यादा फसल नहीं उपजती थी। इसके बाद नीता अंबानी
की देखरेख में इन किसानों की हालत सुधारने का अभियान चल पड़ा। दो साल की
मेहनत में ही इसका असर दिखने लगा है।
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