कश्मीर घाटी में पिछले तीन सालों से शांति
का माहौल था, कश्मीर में टूरिज्म फिर फलने-फूलने लगा था। लेकिन अब इस हमले
के बाद कश्मीरियों को एक बार फिर डर सता रहा है कि कहीं उनकी रोजी रोटी पर
फिर आतंक का साया न पड़ जाए।
दरअसल
एक बार फिर कश्मीर तीन साल पहले के हालात से रूबरू है। आरोप है कि सुरक्षा
बलों की गोली से एक नौजवान की मौत हो गई। जबकि सुरक्षा बलों का कहना है कि
प्रदर्शनकारी उस गाड़ी को रोक रहे थे जिससे उनके साथी को अस्पताल ले जाया
जा रहा था। एक तरफ आतंकी हमला, दूसरी ओर प्रदर्शनकारी युवक की मौत। लेकिन
बीते तीन सालों के दौरान हिंसा में गिरावट का सीधा फायदा पर्यटन व्यवसाय को
मिला।
.आंकड़ों पर नजर डालें तो आतंकवाद में बीते दो साल के दौरान 37 फीसद कमी
आई। 2011 में 32 हजार विदेशियों समेत 9 लाख पर्यटक आए। 2012 में पर्यटकों
की संख्या 12.20 लाख तक पहुंच गई। विदेशी पर्यटकों की संख्या 16 फीसद बढ़ी
है। अमरनाथ यात्रा पर 6.21 लाख श्रद्धालु आए। माता वैष्णो देवी यात्रा पर
एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आए। विदेशी मुल्कों ने नेगेटिव ट्रैवल
एडवाइजरी वापस ली। बीते वित्त वर्ष में ही राज्य की विकास दर 7 फीसदी रही।
लेकिन बदले हालत में आम कश्मीरी को एक बार फिर चिंता सताने लगी है।
कश्मीर में शांति लौटने लगी थी तो सुरक्षाबलों की तादाद भी घटाई जाने लगी
थी। जिन इमारतों पर सुरक्षा बलों का कब्जा था उन्हें भी खाली कराया जा रहा
था। लेकिन ताजा फिदायीन हमले और अफजल गुरु की फांसी के बाद शुरू हुए विरोध
प्रदर्शनों ने माहौल एक बार फिर संगीन बना दिया है।
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