अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं।
राज्य में चुनाव होने हैं और सत्ता का महज एक बरस बचा है शायद इसीलिए
उन्हें अपने कुनबे की चिंता सताने लगी है। गहलोत साहब पहले भी अपने
बेटे-बेटी को नौकरी देने वाली निजी कंपनियों को सरकारी ठेके दिलवाने के
चलते विवादों में आ चुके हैं। और अब एक बार फिर उनका खान-दान चर्चा में है।
खान दान यानि खान पाने वाले घरवाले। जी हां, राजस्थान में ऐसा अनोखा खेल
हुआ कि जोधपुर में गहलोत के 16 रिश्तेदारों को सरकार ने खदानें बांट दीं।
इसके लिए सरकारी नीति तक बदल डाली गई।
जोधपुर
के बड़ा कोटेचा गांव की पहाड़ी की तलहटी की जमीन मुख्यमंत्री गहलोत के
रिश्तेदारों के लिए खुशियां लेकर आई। सरकार ने यहां 37 लोगों को सैंड स्टोन
की खदानें आवंटित कीं। इन 37 लोगों में 16 सीएम के रिश्तेदार हैं जबकि 3
करीबी। सरकारी दस्तावेज मुख्यमंत्री गहलोत के भाई की पत्नी, भाई के बेटे की
पत्नी और भांजे की पत्नी के नाम के अलावा तमाम रिश्तेदारों के नामों से
अटा पड़ा है।
1-मंजुलता गहलोत, मुख्यमंत्री के बड़े भाई अग्रसेन गहलोत की पत्नी।
2-शालिनी गहलोत (अनुपम स्टोन), अग्रसेन के बेटे की पत्नी।
3-वीना कच्छावा (जेएम सैंड स्टोन), मुख्यमंत्री के भांजे जसवंत की पत्नी।
4-माधो सिंह (जेएम सैंड स्टोन), जसवंत सिंह के साले।
5-हिम्मत सिंह (ओम सैंड स्टोन), माधो सिंह यानी यानि मुख्यमंत्री के भांजे के साले के भतीजे।
6-नरपत सिंह (नरपत सैंड स्टोन), माधो सिंह यानि मुख्यमंत्री के भांजे के साले के समधी।
7-किशोर सिंह (कृष्णा सैंड स्टोन), माधो सिंह के समधी के साले, यानि मुख्यमंत्री के भांजे के साले के समधी के साले।
8-नरसिंह (नीलकंठ सैंड स्टोन), नरपत सिंह के भाई, यानि मुख्यमंत्री के भांजे के साले के समधी के भाई।
9-जीतेंद्र सिंह (न्यू रावी सैंड स्टोन), नरपत सिंह के भाई, यानि मुख्यमंत्री के भांजे के साले के समधी के भाई।
10-भीख सिंह (गोपाल सैंड स्टोन), नरपत सिंह के भाई, यानि मुख्यमंत्री के एक और नजदीकी रिश्तेदार।
11-खेम सिंह गहलोत, नरपत सिंह के भाई, यानि मुख्यमंत्री के नजदीकी रिश्तेदार।
12-नवीन गहलोत (नवीन सैंड स्टोन), नरपत सिंह के भाई, यानि मुख्यमंत्री के नजदीकी रिश्तेदार।
13-किरण टाक (ओम सैंड स्टोन), हिम्मत सिंह के भाई, यानि मुख्यमंत्री के नजदीकी रिश्तेदार।
14-तरुण गहलोत (श्रीराम स्टोन), माधो सिंह के भाई के साले, यानि मुख्यमंत्री के नजदीकी रिश्तेदार।
15-पुखराज (विशाल सैंड स्टोन), नरपत सिंह के भांजे, यानि मुख्यमंत्री के रिश्तेदार।
16-कैलाश सोलंकी (सोलंकी ब्रदर्स), नरपत सिंह के नजदीकी रिश्तेदार, यानि मुख्यमंत्री के रिश्तेदार।
17-जब्बर सिंह (राधा स्टोन आर्ट), नरपत सिंह के रिश्तेदार, यानि मुख्यमंत्री के रिश्तेदार।
18-राजेंद्र सिंह (राजरोक्स एक्सपोर्ट), जोधपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, इन्हें गहलोत का करीबी कहा जाता है।
19-संजय कच्छाह (कच्छावा सैंड स्टोन), कांग्रेसी नेता, इन्हें भी गहलोत का करीबी समझा जाता है।
ये
19 लोग ऐसे हैं जो सीएम के कुनबे के हैं, उनके खानदान के हैं या करीबी
हैं। खुद मंजुलता गहलोत मुख्यमंत्री के बड़े भाई की पत्नी हैं। उन्हें भी
एक खदान आवंटित की गई है। उनके पति यानि सीएम के भाई के पास आईबीएन7 का
कैमरा पहुंचा तो अग्रसेन गहलोत भड़क उठे। बोले क्या जब तक गहलोत
मुख्यमंत्री रहें, हम कामधाम छोड़ दें। क्या हम भीख मांगेंगे।
जाहिर
है मुख्यमंत्री गहलोत का रिश्तेदार होना कोई गुनाह नहीं है और अगर उस
रिश्तेदार को कोई खदान मिल जाए तो भी दिक्कत नहीं लेकिन सवाल तब उठेंगे ही,
जब राज्य के एक इलाके में ही 16 रिश्तेदारों को खदानें मिल जाएं। खदानों
का ये किस्सा चार साल पुराना है।
साल-2009
में राजस्थान के जोधपुर के बड़ा कोटेचा इलाके में सैंड स्टोन के पट्टे के
लिए आवेदन आए। उस वक्त राज्य में पहले आओ-पहले पाओ की नीति लागू थी लेकिन
एक नियम उस वक्त भी था कि खदान का पट्टा कम से कम पांच हेक्टेयर के लिए
दिया जाएगा लेकिन हैरत ये कि 87 आवेदनों में से ज्यादातर ने सिर्फ एक
हेक्टेयर के पट्टे के लिए आवेदन किया था। जाहिर है ये आवेदन खटाई में पड़
गए।
साल
2011 में खदानों की बंदरबांट रोकने के लिए बनी राजस्थान खनन नीति के
मुताबिक पचास फीसदी खदानें आरक्षित वर्ग को और बाकी पचास फीसदी खदानें
नीलामी के जरिए दी जाएं। लेकिन इस नीति में साफ लिखा था कि खदान का पट्टा
कम से कम पांच हेक्टेयटर के लिए ही दिया जाएगा।
23
नवंबर 2012 को गहलोत ने कैबिनेट की बैठक बुलाई और उसमें बड़ा कोटेचा इलाके
की सैंड माइंस के लिए एक नई शर्त और एक नई रियायत जोड़ने का प्रस्ताव आया।
प्रस्ताव पर मोहर लग गई। शर्त ये कि बड़ा कोटेचा में खदान उसी को मिलेगी
जिसका जोधपुर के लिए मंडोर स्टोन पार्क में सैंड स्टोन का कारखाना होगा।
रियायत ये कि यहां पांच हेक्टेयर की खदान के बजाय एक हेक्टेयर की खदान
आवंटित कर दी जाएं।
इस
शर्त और इस रियायत ने कुल 87 आवेदकों में से 50 आवेदक छांट दिए। रह गए
सिर्फ 37 जिनमें शामिल थे मुख्यमंत्री के रिश्तेदार और करीबी 19 लोग।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनों को खदानों की रेवड़ियां बांटने के लिए न
केवल खदान आवंटन की न्यूनतम पांच हेक्येटर की शर्त को बदला बल्कि मंडोर
स्टोर पार्क में कारखाने की शर्त भी जोड़ दी। जाहिर है कैबिनेट का आदेश था
सो खदान निदेशालय, उदयपुर ने 4 दिसंबर 2012 को जोधपुर के मंडोर स्टोन पार्क
के 37 आवेदकों को बड़ा कोटेचा में खदानों के आवंटन का आदेश जारी कर दिया।
खदान
मंत्री राजेंद्र पारीक सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहते हैं कि सिटी
की खदानों में पत्थर नहीं होने से स्टोन पार्क के कारखाना मालिकों के लिए
पत्थर का संकट खड़ा हो गया था। आवंटन नियमानुसार है। मुख्यमंत्री की
रिश्तेदार तो राजस्थान की पूरी जनता है।
उधर
उसी इलाके के दूसरे पत्थर कारोबारी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे
हैं। उनका साफ कहना है कि ये एक गहरी साजिश है जिसका सीधा फायदा
मुख्यमंत्री और उनके परिवार को मिल रहा है। पत्थर कारोबारी कैलाश गहलोत
कहते हैं कि आवंटियों में 80 फीसदी रिश्तेदार हैं। रिश्तेदारों ने मिलकर ये
साजिश रची थी और सीएम के जरिए खदानें ले लीं।
सवाल
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर उठ रहे हैं। आईबीएन7 ने मुख्यमंत्री से भी ये
सवाल किए लेकिन उन्होंने इसका जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। कांग्रेस
अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को
विवेकाधीन कोटे खत्म करने को कहा था। उसी के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री
अशोक गहलोत ने भी अपने खदान मंत्री से खदानें बांटने का अधिकार वापस ले
लिया था, लेकिन अब खुद उनके रिश्तेदारों को खदानें मिलने के बाद वो सवालों
के घेरे में आ गए हैं।
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