आतंकवाद के खिलाफ जंग पर बड़ी बड़ी डींगें
हांकने वाले पाकिस्तान ने एक बार फिर अपना असल रंग दिखा दिया है।
पाकिस्तानी संसद के निचले सदन में भारतीय संसद पर हमले के गुनहगार आतंकी
अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया। ये प्रस्ताव
जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजलुर्रहमान ने पेश किया।
प्रस्ताव
में अफजल का शव उसके परिजनों को सौंपने की मांग की गई है। जम्मू-कश्मीर के
मौजूदा हालात पर चिंता जताते हुए कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को
कश्मीर समस्या हल करने में मदद करनी चाहिए। प्रस्ताव के मुताबिक कश्मीर
मुद्दा हल करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव लागू
होने चाहिए।प्रस्ताव में कश्मीर घाटी के सभी शहरों से सेना हटाने की भी बात
कही गई है। साथ ही प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए सभी कैदियों को रिहा
करने की भी मांग की गई।
विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि
पाकिस्तान को कोई हक नहीं है कि वो भारतीय कानून के तहत किसी दोषी को फांसी
दिए जाने का विरोध कर इस तरह का प्रस्ताव पास करे। उन्होंने कहा कि ये
मामला भारतीय कानून के तहत है। पाकिस्तान को अपनी संसद में अपने देश के
मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए और हमें हमारे मामले संभालने देना चाहिए। वहीं
केंद्र में मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान को भारत के
अंदरूनी मामले में बोलने का कोई हक नहीं।
उधर,
अपनी गलती मानने की बजाय पाकिस्तान उल्टा भारत को ही नसीहत देने की कोशिश
कर रहा है। पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार का कहना है कि भारत
को अपने पड़ोसी मुल्क पर भरोसा रखना चाहिए। भारत के राजनीतिक गलियारों में
भी इसे लेकर माहौल गर्म है। बीजेपी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया जताई
है।पाकिस्तान के तेवर पर सख्त आपत्ति जताते हुए बीजेपी ने सरकार से मांग की
है कि इस मामले में पाकिस्तान के राजदूत को बुलाकर फटकार लगाई जाए।
बीजेपी नेता राजीव प्रताप रूढ़ी ने कहा कि पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं है
कि वो भारत के फैसले और कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठाए। हमें अपने कानून
और संविधान पर पूरा विश्वास है। बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि
पाकिस्तान के राजदूत को बुलाकार फटकार लगाना चाहिए। भारत सरकार को पकिस्तान
को सख्त संदेश देना चाहिए। पाकिस्तान को ऐसा रेसोल्यूशन पास करने का कोई
अधिकार नहीं है। कश्मीर घाटी में बीते कुछ महीनों से हालात नाजुक हैं, ऐसे
में पाकिस्तान की ये चाल कई सवाल खड़े करती है-
इस प्रस्ताव के पीछे पाकिस्तान की असल मंशा क्या है?
क्या ये घाटी का माहौल खराब करने की साजिश है?
हमारे अंदरूनी मामले में पाकिस्तान की दखल क्यों?
कहीं ये भारत को अस्थिर करने की चाल तो नहीं?
रक्षा
मामलों के जानकारों का कहना है कि कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
दम तोड़ रहा है। इसीलिए पाकिस्तान ने ये कदम उठाया है। ये पहला मौका नहीं
है जब पाकिस्तान ने भारत के अंदरूनी मामले में टांग अड़ाने की कोशिश की
है। पाकिस्तान हमेशा कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए
ऐसी हरकतें करता रहा है। लेकिन ऐसे वक्त में जब कश्मीर में माहौल ठीक नहीं
है। पाकिस्तान की ये चाल माहौल को और बिगाड़ सकती है।
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