शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जो डॉकटर नहीं
बनना चाहता, वजह साफ है। एक तो ये पेशा इतना पवित्र है, दूसरा इसमें पैसे
की कमी नहीं। जाहिर है पैसे के इसी लालच ने डॉक्टर बनाने वालों के जमीर को
भी खोटा कर दिया है। लालच इतना भर गया है कि मेडिकल में दाखिले के लिए वो
सब दांवपेच चलाए जा रहे हैं जो कानूनन सही नहीं है फिर वो चाहे कालाधन हो।
सुप्रीमकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन हो या फिर दूसरे नियम कायदों की
धज्जियां उड़ाना। ये सब हो रहा है देश के कुछ नामी निजी कॉलेजों में। देश
के 3 राज्यों के 5 कॉलेजों में हमारे सहयोगी चैनल सीएनएन-आईबीएन ने पड़ताल
की, तो कैमरे पर ऐसी हकीकत सामने आई की आप भी दंग रह जाएंगे।
मेडिकल
कॉलेज में दाखिला चाहिए, मिल जाएगा, क्या !..योग्यता ? योग्यता आपकी जेब
है। आप कितना दे सकते हैं। जितनी बड़ी बोली उतना ही अच्छा ट्रेड। पोस्ट
ग्रेजुएशन स्पेशेलाइजेशन की सीटें बिक चुकी हैं। वो भी तब जब कॉमन मेडिकल
एंट्रेंस टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभी आया ही नहीं है। ये
हकीकत है देश के कुछ बड़े मेडिकल कॉलेज की और इनकी ये करतूत खुफिया कैमरे
में कैद हो चुकी है।
जांच के रडार पर सबसे पहले गाजियाबाद का संतोष मेडिकल कॉलेज।
रिपोर्टर- सर बेटा आया था कल एडमिशन के लिए...
चक्रवर्ती- राजेश है न..
रिपोर्टर- हां..ओर्थो के लिए...
चक्रवर्ती- अगले साल...
रिपोर्टर- हां...इस साल हो जाएगा सर..नहीं?
चक्रवर्ती- इस साल नहीं..
रिपोर्टर- और इंटर्नल मेडिसिन....इस साल..
चक्रवर्ती- जनरल मेडिसिन?
रिपोर्टर- हां..
चक्रवर्ती- इस साल नहीं..
रिपोर्टर- सर बोले थे...2 करोड़ रुपया
चक्रवर्ती- हां...60% जमा करने होंगे
रिपोर्टर- सर कैश में जमा करने होंगे
चक्रवर्ती-
हां, कैश ही करने होंगे...नहीं तो ये आपकी बैलेंसशीट में
दिखेगा...बैलेंसशीट में दिखेगा तो अगले ही दिन आईटी वाले आ धमकेंगे...
रिपोर्टर- इसकी कोई रसीद बगैरह
चक्रवर्ती- डोनेशन की कौन रसीद देता है...मेडिसिन एक बेहतरीन ब्रांच है...
रिपोर्टर- और उसका कम भी है...
चक्रवर्ती- हां...
रिपोर्टर- उसका कितना है...डेढ़ करोड़?
चक्रवर्ती- वन प्लस थर्टी..
रिपोर्टर- वन प्लस थर्टी?
चक्रवर्ती- हां...
संतोष
मेडिकल कॉलेज ने 2013 के लिए सीटें बेच दी हैं। हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट
का फैसला आना बाकी है। इतना ही नहीं यहां 2014 के लिए बुकिंग भी चल रही
है, जो कि गैरकानूनी है। जरा कीमत पर नजर डालिए तो ऑर्थोपीडिक्स में एक
सीटी की कीमत 2 करोड़ रुपए है और जनरल मेडिसिन में एक सीट के लिए 1 करोड़
30 लाख रुपए। और ऊपर से हिसाब चोखा है। चेक का झंझट ही नहीं।
- पैसा कैश में देना होगा...
- ऊपर से अगर आप रसीद मांग रहे हैं...तो माफ करिएगा...यहां नहीं मिलेगी....
क्योंकि यहां सब ब्लैक है...व्हाइट अगर है तो सिर्फ एडमिशन फीस...क्योंकि वही बहीखाते में दर्ज होगी...
भोपाल
में मौजूद मध्य प्रदेश के बड़े निजी मेडिकल कॉलेज में से एक ‘पीपल्स
मेडिकल कॉलेज’...यहां कैमरे में कैद हुए पीप्ल्स ग्रुप के दो डायरेक्टर
कैप्टन अमरीश शर्मा और आईएच सिद्दीकी।
रिपोर्टर- मुझे कहा गया था कि रिजल्ट आने से पहले आपसे मिलूं...
अंबरीश- दीवाली से पहले..
रिपोर्टर - 2014 की एडमिशन के लिए न...
अंबरीश- हां...2014 के लिए..
सिद्दीकी- अगर इस साल के लिए कोई सीट होती है तो मैं आपको कॉल करुंगा...
ऑर्थो, गायनाकॉलोजी और पेडियाट्रिक्स के लिए 1 करोड़ लगेंगे...ठीक है?
रिपोर्टर - इस साल के लिए?
सिद्दीकी- हां इसी साल के लिए...अगर कोई सीट खाली होती है तो आपको एडमिशन के लिए 1 करोड़ तैयार रखने होंगे...ठीक है?
रेडियॉलोजी तो 2013, 2014, 2015, 2016 तक के लिए बिक चुकी है। हमें सिर्फ दो ही सीटें मिलती हैं। एक सरकार के लिए और एक हमारे लिए।
डायरेक्टर
साहब बता रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले ही 2013 की ज्यादातर
सीटें बुक हो चुकी हैं और रेडियॉलोजी की सीटें तो 2016 तक बुक हो चुकी हैं।
और एक सीट की कीमत है 1 करोड़ रुपए है। जाहिर है इन्हें कानून का कोई डर
नहीं है। ऊपर से न तो मेडिकल काउंसिल इस ओर कान दे रही है और न ही देश के
स्वास्थ्य मंत्री।
मेडिकल
में दाखिले के लिए होने वाले कॉमन एंट्रेंस टेस्ट का नतीजा अभी आया ही
नहीं और 2013-14 के लिए पोस्ट ग्रजुएट मेडिकल सीटें बिक चुकी हैं। सुप्रीम
कोर्ट का साफ आदेश है कि मेडिकल कॉलेज अपने खुद के एंट्रेंस टेस्ट के नतीजे
कोर्ट के फैसले से पहले न घोषित करें। मगर यहां न सिर्फ इस आदेश की खिल्ली
उड़ाई जा रही है। एमसीआई और डीसीआई के कायदों की भी धज्जियां उड़ रही है।
एनआरआई के कोटे की सीटों को अवैध तरीके से भारतीयों को ही बेचा जा रहा है।
अब
आपको बताते हैं दांतों के डॉक्टर तैयार करने वाले आईटीएस डेंटल कॉलेज
गाजियाबाद की। यहां कॉलेज के रजिस्ट्रार अनिल कुमार से मुलाकात हुई।
रिपोर्टर - अच्छा मनीष कह रहा था कोई केस चल रहा है...
अनिल कुमार- केस तो चलता रहेगा...ये फाइनल अमाउंट है...
रिपोर्टर - 50 लाख?
अनिल- हां...
रिपोर्टर -इसमें कैश कितना देना होगा...
अनिल- करीब 25 लाख...24.8 लाख
रिपोर्टर - एडमिशन फीस है
अनिल - हां...
रिपोर्टर - 24 लाख आपको कैश देने होंगे...
अनिल- हां...
रिपोर्टर- अभी कितना देना होगा..
रिपोर्टर - 15 दिन के अंदर 24 लाख देने होंगे...
इन
लोगों को कानून का कोई डर नहीं है। इनके लिए ये आम बात है। ये मान चुके
हैं कि कोर्ट में मामले तो चलते रहते हैं। जाहिर है इन्हें किसी का डर
नहीं। जाहिर है मेरठ के शुभार्ती मेडिकल कॉलेज की कहानी भी कुछ अलग नहीं
है।
रिपोर्टर- एडवांस कितना देना होगा सीट बुक करने के लिए ?
आरपी सिंह- 19 मार्च को एंट्रेंस एग्जाम है...टेस्ट से पहले पैसे देने होंगे...
अंबाला
के मुल्लाना मेडिकल कॉलेज में ये साहब तो सिस्टम से पार पाने के लिए एक
अनोखा तरीका सुझा रहे हैं। एनआरआई कोटे में एडमिशन लो...आप एनआरआई नहीं हैं
इससे क्या फर्क पड़ता है।
रिपोर्टर - अच्छा ये जो आप NRI वाला बता रहे हैं ...अगर कोई भी रिश्तेदार हों ...कोई दोस्त हो...तो हो जाएगा...
यशपाल- नियम के मुताबिक तो ये किसी रिश्तेदार के ही थ्रू होना चाहिए...बाकि आप देख लीजिए...
रिपोर्टर- जैसे मेरी कोई दोस्त है बाहर...उससे करवा लूं...तो क्या उसके बैंक खाते से करना होगा...
यशपाल- एडमिशन फीस विदेशी खाते से आनी चाहिेए
रिपोर्टर - उनकी तरफ से और क्या चाहिए
यशपाल- एफिडेविट चाहिए...कि आप उनके वार्ड हैं और वो आपकी एजुकेशन स्पॉन्सर कर रहे हैं...
रिपोर्टर - रिलेशन बताना है उसमें..
यशपाल- वो सिर्फ ये बता सकते हैं कि आप उनके वार्ड हैं...
ये
है न NRI सीटें वैध तरीके से बेचने का अनोखा तरीका वो भी उनको जो भारत के
ही रहने वाले हैं। आपको बस इतना करना होगा कि विदेशी खाते से पैसा आए और उस
विदेशी खाताधारक की तरफ से एक हलफनामा दिया जाए जो कहे कि छात्र की शिक्षा
का खर्च वो उठाएगा।
ऐसा
नहीं है कि देश में इस तरह के गोरखधंधे को रोकने के लिए नियम कायदे नहीं
हैं। इन पर लगाम लगाने के लिए बकायदा संस्थाएं काम कर रही हैं। मगर इन्हीं
संस्थाओं में भ्रष्टाचार चरम पर है। तीन साल पहले एमसीआई के अध्यक्ष को
मान्यता के बदले रिश्वत लेने के आरोप में जेल तक जाना पड़ा था। अप्रैल 2010
में सीबीआई ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉक्टर केतन देसाई को
गिरफ्तार किया। आरोप था पंजाब के एक मेडिकल कॉलेज से मान्यता के बदले 2
करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का।
वहीं
छात्रों का कहना है कि निजी संस्थानों में कोई कायदा नहीं है। अगर वो
अच्छी शिक्षा तक देते तब भी ठीक था। मगर वो ऐसा भी नहीं कर रहे। वो डॉक्टर
के नाम पर पुतलियां तैयार कर रहे हैं। अगर मुझे रेडियॉलोजी में दाखिला
मिलता है और मैं सीट छोड़ देता हूं तो प्राइवेट कॉलेज में मुझे सीट छोड़ने
के 20 से 25 लाख मिलेंगे ताकि वो बाद में किसी और को सीट बेच सकें। एमसीआई
और सरकार के पास ये चेक करने का कोई जरिया नहीं है कि कोई छात्र एक बार में
बस एक ही कॉलेज में दाखिला ले सके।
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