कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी आज
सीआईआई के सालाना समारोह में भाषण देंगे। कांग्रेस पार्टी का उपाध्यक्ष
बनने के बाद पहली बार वो किसी बड़े मंच पर बोलेंगे। राहुल पर बड़े मुद्दों
पर बोलने से बचने के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन आज उनके भाषण पर सियासी जमात
के अलावा देश के बुद्धिजीवियों की भी नजर होगी। क्या राहुल का भाषण देश के
लिए दिशा और दशा का प्रतिबिंब साबित होगा?
राहुल
गांधी वैसे शख्स हैं, जिनमें कांग्रेसी देश का भावी प्रधानमंत्री देखते
हैं और विपक्ष बड़े मुद्दों पर चुप्पी साधने वाला सियासी नौनिहाल। गुरुवार
को बड़े मंच पर बड़े मुद्दे पर बोलते दिखेंगे। पार्टी उपाध्यक्ष बनने के
करीब महीनेभर बाद राहुल दिल्ली में देश के शीर्ष उद्योगपतियों के साथ
सीआईआई के वार्षिक सम्मेलन में संवाद करेंगे। वो भारत का कल : विकास,
सुरक्षा और शासन की अनिवार्यता पर सम्मेलन में बोलेंगे। सीआईआई के इस आयोजन
में राहुल गांधी को पहली बार भारतीय उद्योग से मुलाकात का मौका मिला है।
सीआईआई
की बैठक में राहुल 45 मिनट के एक सत्र को संबोधित करेंगे। इसमें भारती
एयरटेल के प्रमुख सुनील भारती मित्तल, गोदरेज समूह के अध्यक्ष आदि गोदरेज
और विप्रो के अध्यक्ष अजीम प्रेमजी मौजूद रहेंगे। उपाध्यक्ष बनने के बाद
राहुल गांधी अपनी भूमिका का दायरा बढ़ाने में लग गए हैं। राहुल से पहले
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इस बैठक को संबोधित कर चुके हैं। हाल ही में
मनमोहन सिंह ने इशारों में कहा था कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर वो
तीसरी पारी के लिए भी तैयार हो सकते हैं। ऐसे में जिस मंच से मनमोहन ने देश
के उद्योगपतियों को संबोधित किया। उसी से राहुल को सुनना दिलचस्प होगा।
उम्मीद की जा रही है कि इस भाषण के जरिए राहुल देश की माली हालत और उसे
सुधारने की दिशा में अपना रोडमैप लोगों के सामने रखेंगे।
राहुल
गांधी ने अब तक उद्योग जगत से जुड़े किसी बड़े सम्मेलन को संबोधित नहीं
किया है। जबकि सीआईआई एजीएम को अपनी पार्टी का आर्थिक और व्यावसायिक एजेंडा
बताने का मंच राजनेता बनाते रहे हैं। सोनिया गांधी 1998 और 2002 में इस
बैठक को संबोधित कर चुकी हैं। वहीं बीजेपी ने साल 2002 में एक तरह से
पार्टी का चुनावी घोषणा पत्र ही एजीएम में रख दिया था। 2003 में सीआईआई ने
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाया था। तब राहुल बजाज और जमशेद
गोदरेज से उनकी कहासुनी हो गई थी।दोनों ने गुजरात में कानून एवं न्याय
व्यवस्था के सवाल पर मोदी को घेरने की कोशिश की थी। तब मोदी ने कहा था कि
ये बैठक ऐसे मसलों पर बातचीत करने का मंच नहीं है।
बाद
में मोदी ने खुद को ऐसी बैठकों से दूर रखा। दिलचस्प बात यही है कि जब
लोकसभा चुनाव में राहुल बनाम मोदी का जुमला उछाला जा रहा है। इस बार भी
मोदी सीआईआई की बैठक में नहीं आ रहे हैं। उनके बजाय बीजेपी से अरुण जेटली,
रविशंकर प्रसाद और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह शिरकत करने जा रहे
हैं।
पार्टी
उपाध्यक्ष नियुक्त होने के तुरंत बाद राहुल ने 'एक युवा और अधीर भारत' की
बात की थी। जो सरकारी काम-काज, निर्णय प्रक्रिया, प्रशासन और राजनीति में
अपनी बड़ी भागीदारी की मांग कर रहा है। तब राहुल ने व्यवस्था में पूरी तरह
से बदलाव की जरूरत बताई थी, ताकि भ्रष्टाचार जैसी बुराई को खत्म किया जा
सके। वो उस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ते हैं या नहीं। सीआईआई के मंच से
दिए जाने वाले भाषण से इसका खुलासा हो जाएगा।
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