Friday, April 12, 2013

‘तेजस’ में तकनीकी खामियां, वायुसेना के बेड़े में शामिल नहीं

देश में बने हल्के लड़ाकू विमान तेजस के वायुसेना के बेड़े में शामिल होने की अभी दूर-दूर तक उम्मीद नहीं है। तीस साल की कोशिशों के बाद बने इस विमान में कई ऐसी तकनीकी गड़बड़ियां सामने आई हैं, जिन्हें फिलहाल दूर करना आसान नहीं है। जानकार मानते हैं कि मौजूदा चुनौतियों के मद्देनजर ये गंभीर स्थिति है। हल्के लड़ाकू विमान तेजस को एअर शो में उड़ान भरते देखकर शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इसमें सौ से भी ज्यादा तकनीकी खामियां होंगी।
1983 में पुराने पड़ रहे मिग सिरीज के लड़ाकू विमानों से निर्भरता खत्म करने के मकसद से देश में ही लड़ाकू विमान बनाने का फैसला किया गया था। शुरूआत में करीब 550 करोड़ के इस प्रोजेक्ट पर अब तक करीब 14 हजार करोड़ खर्च हो चुके हैं, लेकिन जो तेजस विमान बना है, वो जंग में जौहर दिखाने के काबिल ही नहीं है। विशेषज्ञों ने इस विमान में तमाम तकनीकी खामियां बताई हैं मसलन तेजस एक इंजन और एक सीट वाला विमान है। इंजन की क्षमता ऐसी नहीं है जो जरूरी गोला-बारूद, मिसाइलों और बमों के साथ उड़ान भर सके। डीआरडीओ यानी डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट आर्गनाइजेशन ने कावेरी नाम का इंजन बनाया था बेकार साबित हुआ।
‘तेजस’ में तकनीकी खामियां, वायुसेना के बेड़े में शामिल नहीं
राडार प्रणाली पूरी तरह नाकाम रही, लड़ाकू विमान अमूमन लैंडिंग के बाद आधे घंटे में चुस्त-दुरुस्त होकर उड़ान को तैयार हो जाते हैं, जबकि तेजस को इसमें तीन दिन का समय लगता है। इतना ही नहीं लैंडिंग गियर जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाता है, जिससे दुर्घटना की संभावना ज्यादा होती है इन तमाम खामियों के अलावा भी बहुत सारी छोटी-मोटी तकनीकी कमियां हैं। वायुसेना के विशेषज्ञ भी इन खामियों को बेहद गंभीर मानते हैं।
तकरीबन 25 हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट में डीआरडीओ के अलावा एअरोनाटिक्स डेवलेपमेंट एजेंसी, हिन्दुस्तान एयरोनाटिक लिमिटेड (एचएएल) और वायुसेना की प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टीम भी काम कर रही है।
तेजस के मार्क-1 के आठ विमान मार्च-2013 तक वायुसेना को मिल जाने थे, लेकिन अभी तक फाइनल आपरेशनल क्लीयरेंस सर्टिफिकेट नहीं मिला है। तेजस विमानों की इस रफ्तार को विशेषज्ञ देश की सुरक्षा के लिए गंभीर मानते हैं। तेजस के मार्क-1 विमानों की जब ये दशा है तो मार्क-2 के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है पड़ोस की चुनौतियों के मद्देनजर वायुसेना के सामने देश की सुरक्षा वाकई एक बड़ी चुनौती है।

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