Friday, April 12, 2013

कांग्रेस को सपा का झटका, रायबरेली, अमेठी की बिजली गुल

कांग्रेस से नाराज समाजवादी पार्टी ने अब उसके गढ़ रायबरेली और अमेठी को बिजली का झटका दिया है। यूपी सरकार ने सोनिया और राहुल गांधी के इन संसदीय क्षेत्रों को बिजली कटौती से मुक्त वीवीआईपी जिलों की फेहरिस्त से बाहर कर दिया है। हालांकि इटावा, कन्नौज, संभल, मैनपुरी, रामपुर के साथ एक दर्जन वीवीआईपी इलाकों में 24 घंटे बिजली मिलती रहेगी, जहां से समाजवादी पार्टी के कई अहम नेता चुन कर आते हैं।
दरअसल आम चुनाव की आहट के साथ कांग्रेस की बत्ती गुल करने की कोशिशों में जुटे मुलायम सिंह यादव और उनकी समाजवादी पार्टी ने एक और मोर्चा खोला है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के क्षेत्र अमेठी में हो रही अबाध बिजली सप्लाई पर रोक लगा दी है। हालांकि सरकार ने बीती 1 अप्रैल को ही हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करके कहा था कि जिन इलाकों में वीवीआईपी लोगों का आना-जाना होता है, वहां 24 घंटे बिजली दी जा रही है। रायबरेली और अमेठी इस लिस्ट में शामिल थे। ऐसे में सिर्फ 11 दिन बाद दोनों जिलो में 6 से 8 घंटे कटौती के फैसले को बदले राजनीतिक समीकरणों से जोड़ा जा रहा है।
कांग्रेस को सपा का झटका, रायबरेली, अमेठी की बिजली गुल
वैसे, गर्मी के साथ सूबे में बिजली संकट बढ़ा है। लेकिन मुलायम सिंह के क्षेत्र मैनपुरी, उनके भाई शिवपाल के क्षेत्र इटावा, मुलायम की बहू डिंपल यादव के संसदीय क्षेत्र कन्नौज, मुलायम के भतीजे धर्मेन्द्र यादव के क्षेत्र संभल, पार्टी सांसद नरेश अग्रवाल के शहर हरदोई, पार्टी दिग्गज आजम खां के क्षेत्र रामपुर के साथ-साथ राजधानी लखनऊ और ताज जोन के चलते आगरा सहित करीब एक दर्जन शहरों को 24 घंटे बिजली मिल रही है। जाहिर है, अमेठी और रायबरेली के लोगों बीजली कटौती को सियासी झगड़े का खामियाजा बता रहे हैं।
लेकिन समाजवादी पार्टी के नेताओं की नजर में फैसला बिजली की उपलब्धता से जुड़ा है। लेकिन कांग्रेस भी सवालों के तीर छोड़ रही है। हालांकि सवाल ये भी है कि लोकतंत्र में वीवीआईपी क्षेत्रों को बनाना कहां तक जायज है। बराबरी के दर्शन समाजवाद का झंडा बुलंद करने वाली सरकार सभी जिलों को बराबर बिजली क्यों नहीं देती। सोनिया गांधी ने गुजारिश की तो मुलायम ने रायबरेली को कटौती मुक्त करा दिया और अब नाराज हैं तो बदला निकाला जा रहा है। नेताओं के इस रुख ने राजनीति को चमक देने वाली विचारधाराओं का फ्यूज उड़ा दिया है।

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