कोरियाई प्रायद्वीप में कई हफ्तों से
जारी तनातनी को बातचीत के जरिए खत्म करने के अमेरिका और दक्षिण कोरिया के
जवाब में उत्तर कोरिया ने गुरुवार को कहा कि बातचीत का रास्ता तभी खुलेगा
जब संयुक्त राष्ट्र उस पर लगाए गए पाबंदी को हटाए। साथ ही अमेरिका किसी
परमाणु गतिविधि में शामिल न होने का वादा करे।
इससे
पहले अमेरिका और उसके साथ सैन्य अभ्यास में जुटे दक्षिण कोरिया ने जारी
विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने की ख्वाहिश जाहिर की थी। उत्तर कोरिया का
कहना है कि वह कुछ शर्तों को माने जाने के बाद ही बातचीत में शामिल होगा।
उत्तर कोरिया ने पिछले साल दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के
प्रस्ताव के खिलाफ एक रॉकेट प्रक्षेपित किया था। उसका कहना था कि यह एक
उपग्रह को स्थापित करने के लिए प्रक्षेपित किया गया था। आलोचकों के मुताबिक
यह रॉकेट परमाणु हथियार ढ़ोने में सक्षम था।
उत्तर
कोरिया के रक्षा आयोग ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि बातचीत और युद्ध
साथ-साथ नहीं चल सकते। अगर अमेरिका और उसका सहयोगी राष्ट्र दक्षिण कोरिया
हमारी सेना और जनता के वार से बचना चाहते हैं। वे वास्तव में समझौते और
बातचीत के जरिए मसला सुलझाना चाहते हैं तो उन्हें पहले हमारी शर्त माननी
होगी। उत्तर कोरिया ने साथ ही कहा कि बातचीत के लिए अमेरिका को पहले
प्रायद्वीप पर तैनात किए गए अपने परमाणु हथियारों को भी हटाना होगा जिसके
बाद वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों के निशस्त्रीकरण की राह बन पाएगी।
इसके
बाद उत्तर कोरिया ने बीते फरवरी में तीसरा परमाणु परीक्षण किया जिसके बाद
संयुक्त राष्ट्र ने मार्च में उत्तर कोरिया पर कई पाबंदियां लगा दी थी। इन
पाबंदियों के बाद उत्तर कोरिया ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया और कहा कि
संयुक्त राष्ट्र ने मनगढ़ंत बातों को आधार बनाकर उस पर पाबंदी लगाई है।
उत्तर कोरिया कड़ी चेतावनी देता रहा है कि वह अमेरिका पर परमाणु हमला कर
सकता है और वह दक्षिण कोरिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा भी कर चुका है।
गौरतलब
है कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका की सेना ने संयुक्त वार्षिक अभ्यास किया
था। इससे नाराज होकर उत्तर कोरिया ने अपनी सेना को हाई अलर्ट पर रखने का
फैसला लिया। उत्तर कोरिया इस ड्रिल को आक्रमण का अभ्यास समझता है जबकि
दक्षिण कोरिया इसे नियमित अभ्यास कहता आया है। अमेरिका ने राडार पर नहीं
नजर आने वाली स्टील्थ तकनीक से लैस दो एफ 22 विमानों को भी सैन्य अभ्यास
में शामिल किया था। इससे पहले साल 2010 में अमेरिका ने एफ 22 को दक्षिण
कोरिया में तैनात किया था। इसके जवाब में उत्तर कोरिया ने भी अपनी सीमा पर
सुरक्षा बढ़ा दी।
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